कैसे 30 सेकंड में फ्री ऑनलाइन स्टोर खोलने में मदद करता है स्टार्टअप Coutloot
Coutloot भारत के सबसे बड़े ऑफ़लाइन से ऑनलाइन बिजनेस प्लेटफ़ॉर्म्स में से एक है, जहाँ आप आसानी से अपना ऑनलाइन स्टोर खोल सकते हैं और महज 30 सेकंड में अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं. Coutloot की शुरुआत 2016-17 में जसमीत ठिंड ने अपनी दोस्त महिमा कौल के साथ मिलकर की थी.
हाइलाइट्स
- CoutLoot दुकानदारों को नॉन-MRP नॉन-ग्रोसरी मार्केट में ऑफलाइन से ऑनलाइन बिजनेस करने में मदद करता है.
- 2 करोड़ से अधिक लोगों ने ऐप डाउनलोड किया है. 10 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड स्टोर हैं.
- यह डिजिटल कॉमर्स के लिए भारत सरकार की पहल ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) से जुड़ा हुआ है.
बढ़ते इंटरनेट यूजर बेस और मार्केट के अच्छे हालात के कारण, भारत की ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में काफी संभावनाएं हैं. ग़ज़ब की तरक्की करते हुए, भारत में ई-कॉमर्स इंडस्ट्री की मार्केट वैल्यू साल 2018 में लगभग 22 अरब अमेरिकी डॉलर आंकी गई थी. इसके 2030 तक 350 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. ये आंकड़ें मार्केट रिसर्च फर्म Statista से जुटाए गए हैं.
ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में बढ़ती वृद्धि के कई कारण हैं. अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण और लोगों को सस्ता इंटरनेट मुहैया करना कुछ ऐसे कारण हैं जिन्होंने भारत में डिजिटल सेल्स को रॉकेट की स्पीड दी है. साल 2018 में, पूरे भारत में ई-कॉमर्स की बिक्री में 25 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था. 2018 में भारत में प्रति उपयोगकर्ता औसत रिटेल ई-कॉमर्स रेवेन्यू 50 अमेरिकी डॉलर से अधिक था. 2024 तक इसके 75 अमेरिकी डॉलर को पार करने का अनुमान लगाया गया है.
भारत में ई-कॉमर्स कारोबार में कड़ी प्रतिस्पर्धा है. बाजार कई स्थानीय और विदेशी कंपनियों से भरा हुआ है जो मार्केट पर अपना कब्जा जमाने की होड़ में लगी हुई हैं. अप्रैल 2017 तक, Amazon India बिक्री में 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के साथ देश में अग्रणी ऑनलाइन मार्केटप्लेस था. इसके बाद Flipkart और Myntra स्थानीय बाजार में प्रमुख खिलाड़ी थे.
लेकिन अब मार्केट में और भी कई प्लेटफॉर्म्स हैं. इन्हीं में से एक है
(कूटलूट).Coutloot भारत के सबसे बड़े ऑफ़लाइन से ऑनलाइन बिजनेस प्लेटफ़ॉर्म्स में से एक है, जहाँ आप आसानी से अपना ऑनलाइन स्टोर खोल सकते हैं और महज 30 सेकंड में अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं.
Coutloot की शुरुआत 2016-17 में जसमीत ठिंड (Jasmeet Thind) ने अपनी दोस्त महिमा कौल (Mahima Kaul) के साथ मिलकर की थी.
हाल ही में को-फाउंडर जसमीत ने YourStory से बात की. जसमीत बताते हैं, “CoutLoot की फुल फॉर्म ‘Couture and Loot’ है. हमारा मकसद ‘स्टाइल को सस्ता और सभी के लिए सुलभ बनाना’ है.”
इसकी शुरुआत के पीछे के मकसद के बारे में बात करते हुए वे कहते हैं, "तब (2016-17 में) हमें महसूस हुआ कि यहां कोई ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं है जो प्राइवेसी के साथ अपनी पर्सनल सामान जैसे कपड़े, जूते, घड़ियां आदि बेचने दे. ये ब्रांडेड और महंगे होते हैं. लेकिन कई लोग इन्हें बेचना चाहते थे, तो कई खरीदना भी. और इस तरह ये शुरू हुआ. बिजनेस चल पड़ा. हमने कई मशहूर सेलेब्रिटीज और इनफ्लुएंसर्स के कपड़े और सामान बिकवाए. लेकिन फिर थोड़े टाइम बाद हमने समझा कि लोगों को सेकंड हैंड पर्सनल चीजें खरीदना उतना रास नहीं आ रहा. तो हमने बिजनेस में बदलाव किया."
जसमीत आगे बताते हैं, "साल 2019 आते-आते हमारे पास लोकल दुकानदार आने लगे. क्योंकि वे Amazon पे नहीं जा सकते थे. Meesho पे नहीं जा सकते थे. उनके पास कंप्यूटर नहीं था. उन्हें एक्सेल शीट पर काम करना नहीं आता था. सब चीजें मोबाइल पर थी. हमारे साथ ये था कि हमारा प्लेटफॉर्म 12 भाषाओं में था. मोल-भाव करना आसान था. फिर साल 2020 में लॉकडाउन लग गया. और बस काया ही पलट गई."
जसमीत कहते हैं, "हमारा बिजनेस हमने नहीं बनाया है. हमारे यूजर्स ने बनाया है. दुकानदारों ने बनाया है."
वे आगे बताते हैं, "हमारे पास ग्रोसरी बेचने वाले दुकानदार नहीं हैं. हमारे पास कपड़े बेचने वाले लोग हैं. बहुत सी औरतें हैं जो छोटे-छोटे बूटिक चलाती हैं. जयपुर, नागपुर, दिल्ली के सरोजनी नगर में बेचने वाले लोग... आदि हमारे प्लेटफॉर्म पर अपना सामान बेच रहे हैं. हमारे प्लेटफॉर्म पर लोग कपड़े, जूते, नैकलेस, ईयरफोन जैसे कई प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं. लेकिन इन दुकानदारों की बड़ी समस्या ऑफलाइन या लोकल मार्केट में सामान बेचने में ये थी कि - दोपहर में ग्राहक नहीं आते तो दुकान बंद होती है. कमाई सिर्फ त्योंहारों के दौरान ही होती थी. इन्हें ऑनलाइन लाकर हमने इस समस्या का समाधान किया. अब वे हर रोज, हर वक्त अपने प्रोडक्ट बेच रहे हैं. और सिर्फ अपने शहर के ग्राहकों तक ही सीमित नहीं हैं, वे इन्हें देश भर में बेच रहे हैं. हमने इन दुकानदारों को ग्राहक लाकर दिए."
जसमीत बताते हैं, "आज हमारे प्लेटफॉर्म पर 10 लाख से ज्यादा दुकानदार हैं. इन दुकानदारों को महीने की औसतन 30 फीसदी सेल हमारे प्लेटफॉर्म के जरिए मिलती है. हम नॉन-MRP नॉन-ग्रोसरी मार्केट में ऑफलाइन से ऑनलाइन का बिजनेस करते हैं. इसका मतलब है कि प्रोडक्ट्स पर कीमत नहीं लिखी होती. ये नॉन-ब्रांडेड होते हैं. लोकल प्रोडक्ट्स होते हैं, जिन्हें मोल-भाव के जरिए खरीदा जा सकता है."
जसमीत CoutLoot प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले प्रोडक्ट्स के बारे में कुछ और रोचक आंकड़े बताते हैं,"हमारे प्लेटफॉर्म पर 27% जूते बिकते हैं, 60% टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स, जिनमें जॉगर्स, टी-शर्ट, शर्ट, कुर्ती आदि सब. इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स, फोन कवर, ईयरफोन, छोटी-छोटी ज्वैलरी, तकिये के कवर इस तरह के प्रोडक्ट्स बेचे जा रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि आदिवासी लोग जड़ी-बूटियों का तेल बनाकर भी यहां बेच रहे हैं. ये 'भारत' का धंधा है; 'इंडिया' का नहीं."
CoutLoot के पास 150 कर्मयों की टीम है. 2 करोड़ से अधिक लोगों ने ऐप डाउनलोड किया है. 10 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड स्टोर हैं. जसमीत का दावा है कि हर महीने करीब 4-5 लाख buyers जोड़े जा रहे हैं.
जमसीत CoutLoot की भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए कहते हैं,"दुकानदारों के साथ काम करते हुए पहले हमने उन्हें ग्राहक लाकर दिए. अब हम उन्हें प्रोडक्ट्स लाकर दे रहे हैं. इसके लिए हमने उन्हें फैक्टरियों, मैन्युफैक्चरिंग युनिट्स, होलसेलर, डिस्ट्रीब्यूटर से कनेक्ट कर दिया है. अक्सर देखा गया है कि लोकल मार्केट में दुकानों की अपनी कोई पहचान नहीं होती है. लोग सिर्फ ब्रांड्स याद रखते हैं. हम CoutLoot ब्रांड के स्टोर बनाना चाहते हैं. इससे यह ब्रांड भी बनेगा और दुकानदारों को मार्जिन भी मिल पाएगा. क्योंकि 2 करोड़ से अधिक लोग हमें जानते हैं."
वे आगे कहते हैं, "हम CoutLoot का पहला स्टोर मुंबई में शुरू कर रहे हैं. और इस साल देश भर में 50 स्टोर खोलने की योजना है."
नवंबर, 2022 में CoutLoot डिजिटल कॉमर्स के लिए भारत सरकार की पहल ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) से जुड़ गया था.
जसमीत बताते हैं, "आने वाले वक्त में हम इन स्टोर्स को अपना सामान एक्सपोर्ट करने के लिए तैयार करेंगे. ताकि दुबई के मीना बाज़ार जैसे दुनिया भर के मार्केट्स में ये लोग अपने प्रोडक्ट्स बेच सकें."
फंडिंग और वैल्यूएशन के बारे में पूछे जाने पर को-फाउंडर जसमीत बताते हैं, "CoutLoot की वैल्यूएशन करीब 90 मिलियन डॉलर है. हमने Artha India Ventures, Venture Catalyst, 9Unicorns, Redcliffe Capital, और Samyakth Capital से फंडिंग जुटाई है. हमने अमेरिका और दुबई के इन्वेस्टर्स से पैसे जुटाए हैं. अलीबाबा ग्रुप की एक कंपनी से पैसे जुटाए हैं."
अंत में जसमीत बताते हैं, "हम वैल्यूएशन के पीछे नहीं भाग रहे हैं. ये महज कागज़ है. हम बड़ा गेम खेल रहे हैं. और कोई भी बड़ा बदलाव लाने में वक्त लगता है."
(साभार: रितिका सिंह)