पर्यावरण को साफ रखने में इस तरह से योगदान दे रहा है गत्ते से बना मुंबई का ये कैफे
"32 वर्षीय शेफ से लेखक बने अमित धनानी द्वारा स्थापित, कैफे को वास्तुकार नुरु करीम द्वारा डिजाइन किया गया है। यह कैफे मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में स्थित है। कैफे को कार्डबोर्ड के नाम से जाना जाता है। यह कैफे गत्ते से बना और 40,000 वर्गफुट में फैला हुआ है।"
हम आए दिन लगातार ऑनलाइन शॉपिंग करते रहते हैं जिससे हमारे घरों में चारों ओर कार्डबोर्ड बॉक्सेस यानी के गत्ते का ढेर लग जाता है। लेकिन कल्पना कीजिए कि गत्ते का इस्तेमाल सिर्फ आपकी ऑनलाइन शॉपिंग की पैकेजिंग के अलावा और किस-किस काम के लिए हो सकता है। क्या आप गत्ते का इस्तेमाल कर बनाई गई बिल्डिंग की कल्पना कर सकते हैं। शायद मुश्किल होगा, लेकिन आउट ऑफ द बॉक्स मुंबई का ये कैफे पूरी तरह से पुनर्नवीनीकरण गत्ते से बनाया गया है। कैफे में सब कुछ - फर्नीचर से लेकर लाइट फिक्सचर, साइनेज, कटलरी, आदि गत्ते से बने हैं।
32 वर्षीय शेफ से लेखक बने अमित धनानी द्वारा स्थापित, कैफे को वास्तुकार नुरु करीम द्वारा डिजाइन किया गया है। यह कैफे मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में स्थित है। कैफे को कार्डबोर्ड के नाम से जाना जाता है। यह कैफे गत्ते से बना और 40,000 वर्गफुट में फैला हुआ है। इसे केवल सात महीनों में बनाया गया था। कैफे इको-फ्रेंडली और रिसाइकिल योग्य सामग्रियों के साथ-साथ शाकाहारी भोजन का भी उपयोग करता है।
NDTV से बात करते हुए अमित ने कहा,
“गत्ता एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसे लोग हल्के में लेते हैं। लोगों को लगता है कि इसका इस्तेमाल केवल घरों की शिफ्टिंग या विभिन्न चीजों की पैकेजिंग के लिए किया जा सकता है। लेकिन गत्ते वास्तव में पर्यावरण के लिए अच्छे होते हैं - यह 100 प्रतिशत पुनर्नवीनीकरण है और मुख्य रूप से 50 प्रतिशत वायु से बना है। इसके अलावा, यह बहुत ही कम लागत वाला, टिकाऊ, हल्का प्रोडक्ट है। यह काफी एकोस्टिक फ्रैंडली भी है। इस कैफे के माध्यम से हमारा आइडिया हमारे दैनिक जीवन में गत्ते का उपयोग करने की अवधारणा को बढ़ावा देने का था। हम चाहते थे कि लोग गत्ते का बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसी हजारों चीजें हैं जो लोग इस ताकतवर गत्ते के साथ कर सकते हैं।”
खराब मौसम की स्थिति और फैलने से इसे बचाने के लिए, सतहों को मोम से लैमिनेट किया जाता है। कैफे को तैयार करने में इस्तेमाल की गईं सभी सामग्रियों को उनकी कार्यक्षमता और स्थायित्व की जांच करने के लिए विभिन्न चरणों के माध्यम से परीक्षण किया गया है। पैकेजिंग की बात करें तो इस कैफे में टेकअवे फूड को कागज के बॉक्स में परोसा जाता है, जिसमें प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जाता है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक कैफे एक उचित फूड वेस्टेज सिस्टम तैयार करने की योजना बना रहा है।
अमित आगे कहते हैं,
“इसके अलावा, रेस्तरां में, हम यह भी सुनिश्चित करते हैं कि भोजन या अन्य प्रोडक्ट को लेकर जीरो-वास्ट चैन का पालन किया जाए। हमने रेस्तरां से प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग को भी समाप्त कर दिया है, और हम इस बात को लेकर भी काफी सतर्क हैं कि डस्टबिन में क्या चीज डालनी है क्या नहीं।"