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खुद की नौकरी जाने के बाद मुंबई की इस कैब ड्राइवर ने लॉकडाउन के दौरान सैकड़ों जरूरतमंद लोगों को पहुंचाया घर

खुद की नौकरी जाने के बाद मुंबई की इस कैब ड्राइवर ने लॉकडाउन के दौरान सैकड़ों जरूरतमंद लोगों को पहुंचाया घर

Wednesday July 08, 2020 , 3 min Read

लॉकडाउन के दौरान नौकरी गंवाने वाली विद्या ने 150 से अधिक फंसे हुए लोगों को अपनी सस्ती टैक्सी सेवा के साथ घर पहुंचने में मदद की है।

विद्या शेल्के

विद्या शेल्के (चित्र साभार: द बेटर इंडिया)



कोरोना वायरस महामारी ने लोगों के जीवन पर एक गंभीर दबाव डाल दिया है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर नौकरियों में छंटनी और बेरोजगारी देखने को मिली है। विनिर्माण उद्योगों, लघु-स्तरीय व्यवसायों, कैब सेवाओं, जिम सहित कई उद्योगों को लॉकडाउन के दौरान एक बड़ा झटका मिला है।


ऐसी ही एक शख्स हैं मुंबई की 28 वर्षीय विद्या शेलके, जिन्होने प्रमुख कैब एग्रीगेटर्स के साथ काम करने के बाद अपनी नौकरी खो दी। हालांकि इस कठिन घड़ी के साथ वो अपनी किस्मत को पलटने के लिए दृढ़ संकल्पित थीं।


द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होने बताया, “जब मैं किशोर थी तब मैंने कार चलाना सीखा। जब मेरे सामने काम को चुनने का विकल्प आया, तब मैंने अपने पैशन को पेशे में बदल लिया।”

दो छोटे बच्चों की मां विद्या ने विकलांग, बुजुर्ग महिलाओं और जरूरतमंदों के लिए अपनी टैक्सी सेवा शुरू की और पिछले दो महीनों से मुंबई के मुलुंड क्षेत्र में सेवाएँ दे रही हैं। वह पहले ही 150 से अधिक लोगों को घर लौटने में मदद कर चुकी है।


विद्या ने दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन साथ ही यह महसूस किया कि सिर्फ एक व्यक्ति की कमाई से परिवार का प्रबंधन करना मुश्किल हो रहा है। इसलिए, उसने कैब कंपनी के साथ नौकरी करने से पहले रिक्शा चलाने जैसे कई काम किए।





वह अपने बच्चों को एक अच्छी शिक्षा प्रदान करने और दैनिक खर्चों का प्रबंधन करने के उद्देश्य से दो नौकरियाँ कर रही थीं, हालांकि लॉकडाउन लगाए जाने के बाद उन्होने अपनी नौकरी खो दी।


वह कहती हैं, “ट्रेन और बस सेवाएं बंद होने के साथ कई लोग अपने घरों में वापस जाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। मैंने स्थिति की गंभीरता का एहसास किया और इसके बारे में कुछ करने का फैसला किया। मेरे पति के पास पहले से ही एक कार थी जिसे मैं इस्तेमाल कर रही थी, इसलिए मैंने इसे बाहर निकाल लिया, एक वीडियो संदेश शूट किया, जिसमें ज़रूरतों के लिए मेरी सेवाओं की घोषणा की और इसे सोशल मीडिया पर प्रसारित किया।"

10 मिनट के भीतर उनके पास पिकअप के लिए कॉल आनी शुरू हुई। इस दौरान उन्होने वरिष्ठ नागरिकों और गर्भवती महिलाओं, प्रवासी श्रमिकों के परिवारों को महाराष्ट्र में अपने गंतव्य तक पहुंचने में मदद की।


उन्होने कैब के अंदर मास्क पहनना भी अनिवार्य कर दिया है और उन लोगों के लिए अतिरिक्त मास्क और सैनिटाइज़र की एक बोतल ले रखी है जिनके पास वो उपलब्ध नहीं है। वह बच्चों के अलावा केवल दो यात्रियों को अपनी कार की पिछली सीट पर ले जाती थी।


विद्या ने शी द पीपल को बताया, “मेरी सामाजिक टैक्सी सेवा सोशल डिस्टेन्सिंग के सभी मानदंडों का पालन करती है। वाहन को सैनेटाइज़ किया जाता है और इसी के साथ किसी की भी मदद करने में मुझे खुशी होती है।”