नासा की नई थियरी कहती है, सालों में नहीं महज कुछ घंटों के अंदर हुआ था चांद का जन्म
अभी तक की मौजूदा थियरी बताती हैं कि चांद की उत्पत्ति एक मंगल बराबर ग्रह के पृथ्वी के टकराने के महीनों या सालों बाद हुई थी.
चांद की उत्पत्ति कैसे हुई थी ये विषय एस्ट्रोनॉमर्स के लिए आज भी गुत्थी बना हुआ है. कई कोशिशें हुईं मगर आज भी ये पता नहीं चल सका कि आखिर चांद बना कैसे. इस राज को समझने के लिए अभी तक जो भी कोशिशें हुईं वो ये बताती हैं कि एक मंगल के बराबर का ग्रह पृथ्वी के साथ टकराया और उस टक्कर से बेहिसाब गैस, मैग्मा और मेटल निकले, जो महीनों या सालों तक इकट्ठे होते रहे और उनसे चांद की उत्पत्ति हुई.
मगर नासा ने हाल ही में इस विषय पर एक और नया एक्सपेरिमेंट किया है, जिसके नतीजें जमाने से चली आ रही थियरी से कुछ अलग खुलासे कर रहे हैं. नासा ने अपने सुपरकम्प्यूटर से इस पूरी घटना को दोहराने की कोशिश की और उस एक्सपेरिमेंट से पता चलता है कि थिओ के पृथ्वी से टकराने के महीनों या सालों बाद नहीं बल्कि कुछ घंटों में चांद की उत्पत्ति हो गई थी. टक्कर के बाद थियो के टुकड़े सीधे पृथ्वी के ऑर्बिट में जाकर रुके और इस तरह चांद पृथ्वी की कक्षा में रह गया.
अमेरिका की स्पेस एजेंसी के मुताबिक हालिया एक्सपेरिमेंट में इस तरह के रिसर्च में इस्तेमाल होने वाले अब तक के सबसे हाई रेजॉल्यूशन का इस्तेमाल किया गया है. एजेंसी के मुताबिक ग्रहों की उत्पत्ति को समझने के संबंध में जो भी डमी एक्सपेरिमेंट होते हैं उन्हें अमूमन हाई रेजॉल्यूशन पर ही किया जाता है ताकि पूरा वाकया साफ साफ दिख सके और समझने में आसानी हो.
]मगर चांद की उत्पत्ति को लेकर नासा ने जो हालिया एक्सपेरिमेंट किया उसका रेजॉल्यूशन अब तक के सभी एक्सपेरिमेंट्स में सबसे ज्यादा हाई है. दरअसल कम रेजॉल्यूशन वाले एक्सपेरिमेंट्स में इस तरह के अहम टक्कर में नजर आने वाली कई अहम चीजें छिपी रह जाती हैं और आने वाला रिजल्ट पूरी तरह वास्तविकता के करीब नहीं पाया जाता. इसी कारण वैज्ञानिकों ने चांद की उत्पत्ति वाले टक्कर को एनालाइज करने के लिए अब तक के सबसे अधिक रेजॉल्यूशन का इस्तेमाल किया.
रिपब्लिक के मुताबिक नासा के एम्स रिसर्च सेंटर और दी एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर जैकब केगरीस ने कहा, इस निष्कर्ष के बाद चांद की उत्पत्ति असल में किस बिंदु से हुई है इसे लेकर कई तरह की संभावनाओं को बल मिला है.
उन्होंने कहा, पहले इस बात का भ्रम था कि हाई स्टैंडर्ड रेजॉल्यूशन में होने वाले एक्सपेरिमेंट आपको भ्रामक रिजल्ट दे सकते हैं. मगर इस एक्सपेरिमेंट ने न सिर्फ इस भ्रम को दूर किया है बल्कि ये भी बताया है कि कैसे टक्कर के बाद चांद जैसा एक सैटेलाइट ऑर्बिट में आया, ये तथ्य अपने आप में उत्साहजनक है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस एक्सपेरिमेंट से उन्हें पृथ्वी और चांद के गुथे हुए संबंधों को समझने में आसानी होगी. दरहम यूनिवर्सिटी में एक रिसर्चर और एक को-ऑथर विंसेंट एके के मुताबिक चांद की उत्पत्ति के बारे में नई चीजें सामने आने से पृथ्वी की उत्पत्ति को लेकर भी कई नए राज खुल सकते हैं.
पृथ्वी पर चांद से जो नमूने लाए गए हैं वो बताते हैं कि चांद पर पाए जाने वाले पत्थरों के आईसोटॉप मंगल या किसी और ग्रह के मुकाबले पृथ्वी से ज्यादा मेल खाते हैं. यह फैक्ट इस थियरी को और बढ़ावा देता है जो कहती है कि चांद की उत्पत्ति पृथ्वी से हुई है.
नासा की इस नई थियरी ने उन चीजों का भी जवाब दिया है जो बाकी की मौजूदा थियरी नहीं दे पा रही थीं. नई थियरी ये भी मानती है कि अब चांद से जो नए सैंपल लाए जाएंगे उनसे इस बात की और स्पष्टता मिलेगी कि चांद कैसे बना था.
Edited by Upasana