नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पश्चिम बंगाल सरकार पर पर्यावरण की अनदेखे के लिए लगाया रिकार्ड 3,500 करोड़ रुपए का जुर्माना
राष्ट्रीय हरित अधिकरण पीठ (National Green Tribunal) ने पश्चिम बंगाल सरकार को 3,500 करोड़ रुपये मुआवजा भरने का आदेश दिया है. पर्यावरण की अनदेखी के लिए भारत में इतना बड़ा जुर्माना पहली बार लगा है.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण पीठ (National Green Tribunal) ने पश्चिम बंगाल सरकार को 3,500 करोड़ रुपये मुआवजा भरने का आदेश दिया है.राज्य सरकार को यह जुर्माना ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में विफल रहने के कारण पर्यावरणीय मुआवजे के तौर पर देना होगा. यह भारत में पर्यावरण की अनदेखी के लिए भरा जाने वाला यह सबसे बड़ा मुआवज़ा होगा. इससे पहले मेगा वायलेशन के लिए 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का फ़ाइन कभी नहीं लगाया गया है..
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस हफ़्ते यह फैसला सुनाते हुए कहा कि पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों में लापरवाही नहीं कर सकते. पश्चिम बंगाल सरकार ने इनको प्राथमिकता देने में खास पहल नहीं की है. इस लापरवाही के लिए पीठ ने राज्य सरकार को मुआवजा भरने का आदेश देते हुए छह महीने के भीतर उपचारात्मक कदम उठाए जाने का भी निर्देश दिया है.
एनजीटी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के 2022-23 के बजट में शहरी विकास और नगर पालिका से जुड़े मामलों पर करीब 12818 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया था. लेकिन राज्य सरकार ने इस दिशा में कोई गंभीरता नहीं दिखाई. राष्ट्रीय हरित अभिकरण के अनुसार, पश्चिम बंगाल के शहरी इलाकों में प्रतिदिन 2758 मिलियन सीवेज उत्पन्न होता है जबकि 44 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए ट्रीटमेंट की क्षमता सिर्फ 1505.85 एमएलडी है. इसलिए महज 1268 एमएलडी सीवेज का ट्रीटमेंट किया जाता है और 1490 एमएलडी सीवेज बिना ट्रीटमेंट के रह जाता है.
इसपर पैनल ने कहा कि यह जीवन के अधिकार का हिस्सा है और इस नाते धन की कमी के हवाले से इस पर ज़िम्मेवारी लेने से इंकार नहीं किया जा सकता. पर्यावरण को हो रहे नुकसान को ध्यान में रखते हुए आदेश में कहा गया है कि पिछले उल्लंघनों के लिए मुआवजे का भुगतान जल्द से जल्द किया जाना चाहिए और आगे से इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए. मुआवजे में मिली रक़म को पर्यावरण और सीवेज ट्रीटमेंट की प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए उपयोग में लाई जायेगी.