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क्या है विद्युत संशोधन विधेयक 2022? क्या हैं इसके विरोध के आधार?

विद्युत संशोधन विधेयक 2022 को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. क्या इस पर सहमति की राह निकल पाएगी?

क्या है विद्युत संशोधन विधेयक 2022? क्या हैं इसके विरोध के आधार?

Thursday September 01, 2022 , 4 min Read

इस महीने की शुरुआत में लोकसभा में Electricity Amendment Bill 2022 पेश किया गया. केंद्र सरकार ने 8 अगस्त को संसद में पेश किए गए एक संशोधन विधेयक के माध्यम से विद्युत अधिनियम 2003 के मौजूदा विधायी प्रावधानों को संशोधित करके सुधार की गति को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा था. इसके कई प्रावधानों पर विपक्ष, ग़ैर-भाजपा राज्यों और सरकारी बिजली कम्पनियों की तरफ़ से आपत्ति की गई है. आइये पहले समझते हैं क्या है यह विधेयक?

विद्युत संशोधन विधेयक 2022 क्या है?

बिजली के निजीकरण से, केंद्र के अनुसार, देश भर में एक स्थिर बिजली आपूर्ति बना रह सकता है. प्रस्तुत विधेयक में विद्युत कानून 2003 की धारा 14 में संशोधन कर निजी बिजली कंपनियों को बिजली वितरण का लाइसेंस लेने की अनुमति मिल जाने का प्रावधान है. जिसका मतलब यह है कि इन कंपनियों की आपस में प्रतिस्पर्धा खोल दी जाएगी जिससे देश भर में बिजली आपूर्ति की दक्षता बढ़ने की उम्मीद है. यह सब बिजली अधिनियम की धारा 42 में संशोधन करके किया जाएगा.


बिजली के निजीकरण के साथ उपभोक्ताओं को अपना बिजली प्रदाता चुनने का अधिकार मिलेगा. विद्युत संशोधन विधेयक-2022 के तहत बिजली उपभोक्ता कई बिजली प्रदाताओं में से चुनने में सक्षम होंगे. अगर सीधे शब्दों में समझें तो इससे बिजली भी फोन कनेक्शन की तरह हो जाएगी. जैसे कई कम्पनियाँ फ़ोन के लिए नेटवर्क और डाटा सर्विस प्रोवाइड करती है, वैसे ही बिजली कंपनियां सर्विस देंगी. दूरसंचार कंपनियों की तरह आप अपनी पंसद की बिजली कंपनी चुन सकेंगे.


विधेयक को लेकर विपक्षी दलों और गैर भाजपा शासित राज्यों ने संशोधनों को लेकर गहरी चिंता प्रकट की है. उनका मानना है कि ये संशोधन बिजली की आपूर्ति तथा मूल्य निर्धारित करने के उनके अ​धिकार में घुसपैठ करता है. इसके आलवा बिजली इंजीनीयरों के एक संगठन कुछ श्रमिक संगठनों ने भी इस पर विरोध जताया है.


बता दें कि, इससे पहले भी इसी तरह के सुधार के प्रयासों ने प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति बनाने को लेकर ध्यान केंद्रित किया गया था. उदाहरण के तौर पर बिजली के बड़े उपयोगकर्ताओं के लिए खुली और सीधी पहुंच (ग्राहकों को अपने आपूर्तिकर्ता का चयन करने की इज़ाजत देना) की सुविधा देना. इस बार के सुधार में प्रमुख फोकस आपूर्ति पक्ष के लिए वितरण क्षेत्र के मार्केट को प्रतिस्पर्धा के लिए खोलना है. साल 2003 के बाद लगातार सरकारों ने इस सिद्धांत को लागू करने की को​शिश की है लेकिन हर बार कड़े विरोध के कारण इसे उचित तरीके से लागू नहीं किया जा सका है.

बिजली इंजीनियर बिल का विरोध क्यों कर रहे हैं?

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) ने मांग की है कि देश भर के 27 लाख से अधिक बिजली इंजीनियरों के भारी विरोध के बाद बिजली संशोधन विधेयक 2022 को व्यापक विचार के लिए बिजली समिति को भेजा जाए. AIPEF ने कहा है कि यह बिल "भ्रामक" है, जिससे राज्य द्वारा संचालित डिस्कॉम को बड़ा नुकसान हुआ है. उनका कहना है कि इस बिल के आ जाने के बाद बिजली ऐसे लाभ कमाने वाले क्षेत्र सरकारी डिस्कॉम से छीन लिए जाएंगे. परिणामस्वरूप डिस्कॉम यानी बिजली वितरण कंपनियों का अपने लाइसेंस वाले क्षेत्रों में खुदरा आपूर्ति पर एकाधिकार समाप्त हो जाएगा.

संसदीय और राजनैतिक विपक्ष का क्या कहना है?

विपक्ष का विरोध सबसे पहले इस बात पर है कि इस मुद्दे पर पहले चर्चा होनी आवश्यक है, केंद्र एकतरफा कानून नहीं बना सकता है.यह विधेयक सहकारी संघवाद का उल्लंघन करता है.


विपक्ष का दूसरा आरोप यह है कि यह निजीकरण की दिशा में एक कदम है. निजी कंपनियां मात्र कुछ शुल्क देकर मुनाफा कमाएंगी और सरकारी कंपनियां दिवालिया हो जाएंगी.


एक दलील ये है कि इससे ग्राहकों के अधिकारों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और कंपनियां अपनी मनमानी करेंगी. इससे बिजली की रेट भी पहले से ज्यादा हो जाएगी और सरकार से मिलने वाली फ्री बिजली भी नहीं मिल पाएगी.


विपक्ष के अलावा विभिन्न श्रम संगठन भी यह कहते हुए इसका विरोध कर रहे हैं कि इससे बिजली बहुत महँगी हो जाएगी और निजी कम्पनियाँ कुछ शुल्क चुका कर सरकारी वितरण प्रणाली का इस्तेमाल कर मुनाफा कमाएंगी.


इस प्रसंग में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या बिना विपक्ष को साथ लिए कानून बनाने, उन्हें पारित कराने, उनके क्रियान्वयन में दिक्कत जैसी समस्याएं अब तक समाप्त नहीं हो जानी चाहिए थी? भारतीय लोकतंत्र को अब 75 साल हो गए हैं . देश में बिजली पहुंच से जुड़े विवादों के लंबे इतिहास और हाल में कृषि क़ानूनों की वापसी को देखते हुए हुए क्या विद्युत संशोधन विधेयक के साथ कहानी कुछ बदलेगी?