सच्चा दोस्त वो, जो अपना नेटफ्लिक्स पासवर्ड दे
हमारे देश में ओटीटी की पासवर्ड शेयरिंग का ये आलम है कि यह मुहब्बत, दोस्ती और लॉयल्टी सबकुछ परखने का नया पैमाना बन गया है. अब सच्चा दोस्त वो नहीं होता जो अपना मन बांटे, सच्चा दोस्त वो है जो अपना पासवर्ड बांटें.
ये बात अलग है कि आज नेटफ्लिक्स दुनिया कई देशों में पासवर्ड शेयरिंग को लेकर कड़े नियम बना रही है, लेकिन आज से पांच साल पहले तो आलम कुछ और ही था. 10 मार्च, 2017 को नेटफ्लिक्स ने अपनी ओरिजिनल सीरीज ‘लव’ की रिलीज पर एक ट्वीट किया- “लव इज शेयरिंग ए पासवर्ड.” इस अकेले ट्वीट को 15000 से ज्यादा लोगों ने लाइक किया और 4600 लोगों ने इसे रीट्वीट किया.
ये बात अलग है कि इसे लव यानि पासवर्ड शेयरिंग के चक्कर में आज नेटफ्लिक्स का भट्टा बैठ गया है. हमारे देश में ओटीटी की पासवर्ड शेयरिंग का ये आलम है कि यह मुहब्बत, दोस्ती और लॉयल्टी सबकुछ परखने का नया पैमाना बन गया है. अब सच्चा दोस्त वो नहीं होता जो अपना मन बांटें, सच्चा दोस्त वो है तो अपना पासवर्ड बांटें.
सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अकेले अमेरिका और कनाडा में 3 करोड़ नेटफ्लिक्स देखने वाले ऐसे हैं, जो सब्सक्रिप्शन लेने की बजाय उधार के पासवर्ड से काम चलाते हैं. पूरी दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या 10 करोड़ है. भारत में अब तक नेटफ्क्सि अकसर इस तरह के कॉमिक ट्वीट किया करता था कि “ये नई रिलीज फिल्म देखिए. सब्सक्रिप्शन लेकर नहीं, दोस्त से पासवर्ड लेकर.”
लेकिन इस साल जनवरी-मार्च में जब अचानक नेटफ्लिक्स के दो लाख यूजर्स कम हो गए तो नेटफ्क्सि चौंका. पिछले एक दशक में ये पहली बार था कि अचानक नेटफ्लिक्स के इतने सारे यूजर्स एक साथ प्लेटफॉर्म छोड़कर चले गए. नेटफ्लिक्स की स्टॉक वैल्यू 25 फीसदी गिर गई. अनुमान है कि इस साल 20 लाख नेटफ्लिक्स सब्सक्राइबर्स और कम हो सकते हैं.
1997 में जब किराए पर डीवीडी देने वाले रीड हेस्टिंग्स और मार्क रेंडॉल्फ ने नेटफ्लिक्स की शुरुआत की थी तो कोई नहीं जानता था कि 25 साल के भीतर ये 24.99 अरब डॉलर की कंपनी बन जाएगी.
फिलहाल अभी जब नेटफ्लिक्स अपनी अलग ही चुनौतियों का सामना कर रहा था, जुगाडू हिंदुस्तान की जनता ने पासवर्ड शेयरिंग को अलग ही ऊंचाई पर पहुंचा दिया है. यहां कई ऐसे प्राइवेट स्टार्ट अप चल रहे हैं जो आधे पैसे में नेटफ्लिक्स समेत कई ओटीटी प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन बेच रहे हैं. नेटफ्लिक्स का जो मोबाइल सब्सक्रिप्शन 199 रु. का है, वो आप 90 रु. में ले सकते हैं. बिजनेस इनसाइडर ने इस पर स्टोरी करते हुए ऐसे लोगों को निजी तौर पर वेरीफाई करने की बात कही है.
लेकिन ये बिजनेस ओपन में नहीं हो रहे. मित्रों और क्लोज सर्कल के बीच ही किए जा रहे हैं. एक पासवर्ड 8 से 10 लोगों के बीच शेयर होता है. चूंकि वे सभी अलग-अलग समय पर नेटफ्लिक्स देख रहे होते हैं तो कोई अड़चन नहीं आती.
सबसे कमाल की और रोचक बात तो ये है कि इस साल मार्च में बिजनेस ब्लास्टर इवेंट में एक ऐसे स्टार्टअप का आइडिया पेश किया गया, जो ओटीटी प्लेटफॉर्म का पासवर्ड शेयर करने से जुड़ा था. जो लोग ओटीटी पर कोई खास फिल्म देखना चाहते हैं, उन्हें 5 रु. प्रति घंटे के हिसाब से सब्सक्रिप्शन दिया जाए.
जाहिर है, कंपनी तो ऐसा सब्सक्रिप्शन नहीं दे रही है. कंपनी से कई सारा सब्सक्रिप्शन खरीदकर फिर उसे और ढेर सारे लोगों तक 5 रु. प्रति घंटे के हिसाब से बेचने का बिजनेस प्लान था ये. 12वीं कक्षा के 4-5 स्टूडेंट ये प्लन लेकर आए थे.
नेटफ्लिक्स ने मार्च में कहा भी था कि उनका सब्सक्रिप्शन घटने की सबसे बड़ी वजह पासवर्ड की शेयरिंग है. इससे समस्या से निपटने के लिए नेटफ्लिक्स ने लैटिन अमेरिका में जो प्रयोग किया, वह सफल नहीं रहा.
लैटिन अमेरिकी देशों में पासवर्ड शेयरिंग बड़ी समस्या थी. वहां नेटफ्लिक्स ने यह नियम बना दिया कि परिवार के लोगों के अलावा और किसी के साथ पासवर्ड शेयर करने पर अतिरिक्त पैसे देने पड़ेंगे. परिवार के लोगों से आशय था कि जिस एक डिवाइस में अकाउंट लॉगिन किया गया है, बाकी डिवाइस भी उसके आसपास ही होने चाहिए. दूर के डिवाइस में लॉगिन होने पर नेटफ्लिक्स ने उसके लिए सब्सक्रइबर से अलग से पैसे मांगे. नतीजा ये हुआ कि लोगों ने सब्सक्रिप्शन ही कैंसिल कर दिया.
फिलहाल 2017 में नेटफ्लिक्स ने जो ट्वीट किया था कि ‘लव इज शेयरिंग द पासवर्ड’, वो भावना तो ठीक है, लेकिन इससे बिजनेस नहीं चलता.
Edited by Manisha Pandey