कभी IIT में नहीं मिला था दाखिला आज अपने इनोवेशन्स से लगातार अवार्ड जीत रहा है UP के किसान का ये बेटा
एक बेहद साधारण से किसान परिवार में पैदा हुए आनंद के लिए उनके शुरुआती दिन बेहद मुश्किलों से भर हुए थे। तमाम बार ऐसा भी हुआ जब उन्हें घर की बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते भूखा सोना पड़ता था।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित आनंद का रुझान शुरुआत से ही इनोवेशन की तरफ था, हालांकि तब आर्थिक हालात को देखते हुए आनंद के परिवार वाले यह चाहते थे कि आनंद अपनी पढ़ाई पूरी कर कोई ढंग की नौकरी कर लें। इनोवेशन के साथ आगे बढ़ते हुए आनंद के शुरुआती प्रोजेक्ट्स में मैनुअल रोबोट और ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन का मॉडल शामिल था।
दिल में हमेशा से ही इनोवेशन की ललक रखने वाले आनंद पांडे भले की सालों पहले IIT में दाखिले से चूक गए हों लेकिन आज उनके द्वारा किए गए आविष्कार लोगों के जीवन को लगातार सरल बनाने का काम कर रहे हैं। 31 साल के आनंद अब तक कई अवार्ड और ढेरों कैश प्राइज़ भी भी जीत चुके हैं।
एक बेहद साधारण से किसान परिवार में पैदा हुए आनंद के लिए उनके शुरुआती दिन बेहद मुश्किलों से भर हुए थे। तमाम बार ऐसा भी हुआ जब उन्हें घर की बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते भूखा सोना पड़ता था, हालांकि आनंद को यह बात शुरुआत से ही पता थी कि शिक्षा ही उन्हें इस गरीबी दलदल से बाहर निकाल सकती है और आनंद इसी उद्देश्य को लेकर आगे बढ़े भी।
शुरुआत से ही टॉपर थे आनंद
आनंद ने अपनी शुरुआती पढ़ाई एक सरकारी स्कूल से की। पढ़ाई में शुरुआत से ही रुचि रखने वाले आनंद हमेशा अपनी क्लास में टॉप किया करते थे। आनंद आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें संस्थान में दाखिला नहीं मिल सका। इसके बाद आनंद ने अमेठी के एक कॉलेज से ही अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित आनंद का रुझान शुरुआत से ही इनोवेशन की तरफ था, हालांकि तब आर्थिक हालात को देखते हुए आनंद के परिवार वाले यह चाहते थे कि आनंद अपनी पढ़ाई पूरी कर कोई ढंग की नौकरी कर लें। इनोवेशन के साथ आगे बढ़ते हुए आनंद के शुरुआती प्रोजेक्ट्स में मैनुअल रोबोट और ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन का मॉडल शामिल था। आनंद के इस प्रोजेक्ट को दूरदर्शन चैनल ने भी कवर किया।
इन इनोवेशन्स ने खींचा ध्यान
आनंद ने तमाम ऐसे इनोवेशन किए जिन्होने बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने का कम किया है। आनंद ने ऐसे बैग का निर्माण किया है जिसे बाद में कुर्सी की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी के साथ उन्होने ऐसे स्पीड ब्रेकर का निर्माण भी किया है जिसके जरिये बिजली भी उत्पन्न की जा सकती है।
हाल ही में आनंद ने एक ऐसी लड्डू मशीन भी बनाई थी जिसके जरिये एक घंटे में 1 क्विंटल लड्डू का निर्माण किया जा सकता है, गौरतलब है कि इस मशीन में लड्डू निर्माण के लिए तमाम तरह के सेंसर का भी इस्तेमाल किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कभी आईआईटी में दाखिला न ले पाने वाले आनंद को आज आईआईटी समेत तमाम बड़े शिक्षण संस्थान लेक्चर के लिए भी बुलाते हैं
आज छात्रों को ट्रेनिंग देते हैं आनंद
आनंद आज अपनी तरह इनोवेशन के प्रति रुचि रखने वाले छात्रों को ट्रेनिंग मुहैया कराते हैं। आनंद आज लगभग देश के सभी हिस्सों के छात्रों को ट्रेन करने का कामकर रहे हैं। आनंद के ये ट्रेनिंग सेशन 3 महीने के होते हैं, जिनके जरिये आनंद ढाई लाख रुपये से अधिक कमा लेते हैं।
लगातार इनोवेशन कर रहे आनंद को उनके इन आविष्कारों के लिए तमाम अवार्ड से नवाजा जा चुका है, जबकि साल 2015 में युवा वैज्ञानिक अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
Edited by Ranjana Tripathi