New Labour Code: हफ्ते में 3 दिन की छुट्टी, सैलरी होगी कम, बढ़ेगी PF-Gratuity, 1 जुलाई से लागू हो सकता है नियम
सरकार के श्रम मंत्रालय, लेबर यूनियनों और बड़े उद्योगों के प्रतिनिधियों के बीच लंबे समय तक चली बातचीत का नतीजा है यह नया लेबर कोड.
भारत सरकार लेबर कोड में बदलाव करने की सारी तैयारियां पूरी कर चुकी हैं. यूं तो यह तैयारी पिछले साल फरवरी में ही पूरी हो गई थीं और 1 अप्रैल, 2021 से इसे लागू किया जाना था, लेकिन राज्य सरकारों की तैयारी पूरी न होने के कारण इसे लागू करने में एक साल की देरी हुई. अब मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आगामी 1 जुलाई से नया लेबर कोड लागू होने जा रहा है.
सरकार के श्रम मंत्रालय, लेबर यूनियनों और बड़े उद्योगों के प्रतिनिधियों के बीच लंबे समय तक चली बातचीत का नतीजा है यह नया लेबर कोड. तीनों संबंधित पार्टियों के बीच हुई मीटिंगों में इस पर विस्तार से चर्चा की गई कि काम के घंटे, सैलरी, प्रॉविडेंट फंड, छुट्टियों और रिटायरमेंट का मौजूदा स्ट्रक्चर कर्मचारियों और कंपनियों के कितने हित में है और उसमें किस तरह के बदलाव की
जरूरत है.
नए लेबर कोड में काम के घंटे
नए नियमों के मुताबिक अब हफ्ते में कुल काम के घंटों को बढ़ाकर 48 कर दिया गया है, जो पहले 45 घंटे थे. लेकिन साथ ही प्रतिदिन के काम के घंटों के नियम में भी बदलाव हुआ है और उसे पहले से ज्यादा फ्लेक्जिबल बनाया गया है. अब प्रतिदिन 12 घंटे की शिफ्ट करने वाले लोगों को हफ्ते में चार दिन काम करना होगा और तीन दिन की छुट्टी मिलेगी.
इसी तरह जिनके रोजाना काम के घंटे 10 हैं, उनके काम के दिन पांच होंगे और दो दिन का वीकली ऑफ मिलेगा. इसी तरह रोज 8 घंटे काम करने वालों को हफ्ते में 6 दिन काम करना होगा और एक दिन की छुट्टी मिलेगी.
नए लेबर कोड में सैलरी स्ट्रक्चर
नए लेबर कोड में कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर बदल जाएगा और टेक होम सैलरी के कम होने की संभावना है. नए नियम के मुताबिक बेसिक सैलरी कुल वेतन का कम से कम 50 फीसदी या उससे अधिक होना अनिवार्य है. अगर बेसिक सैलरी बढ़ती है तो प्रॉविडेंट फंड और ग्रेच्युटी का पैसा पहले से ज्यादा पहले से ज्यादा कटेगा क्योंकि प्रॉविडेंट फंड बेसिक सैलरी पर ही निर्भर करता है. बेसिक सैलरी में से ज्यादा पैसे कटेंगे तो टेक-होम सैलरी या हर महीने हाथ में आने वाली सैलरी कम हो जाएगी.
नए लेबर कोड में सोशल सिक्योरिटी का बढ़ा दायरा
इस कोड के तहत ESIC (Employees' State Insurance Scheme) और EPDO (Employees' Provident Fund Organisation) की सुविधाओं में बढ़ोतरी की गई है और इसका दायरा भी बढ़ा दिया गया है. इस नए कोड के मुताबिक असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले कामगार, गिग्स वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स भी ESIC के दायरे में आएंगे और स्टेट इंश्योरेंस योजनाओं का पूरा लाभ मिलेगा. साथ ही पहले ग्रेच्युटी का लाभ लेने के लिए कर्मचारियों को पांच साल तक इंतजार करना पड़ता था. अब ऐसा नहीं होगा.
सुरक्षा, काम की स्थितियां और स्वास्थ्य को लेकर नियम
नए लेबर कोड में छुट्टियों, काम की स्थितियों, काम के दौरान कर्मचारी की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर नियमों को बेहतर करने की कोशिश की गई है. नई लीव पॉलिसी में कर्मचारी 240 के बजाय 180 दिन काम करने के बाद ही छुट्टियों के हकदार हो जाएंगे. अर्जित छुट्टियों की संख्या 300 से बढ़कर 450 हो जाएगी. यदि काम के दौरान कोई कर्मचारी किसी दुर्घटना का शिकार होता है तो उसे 50 फीसदी मुआवजा मिलेगा.
कंपनियों को मिलने वाली सुविधाएं
नए लेबर कोड में कर्मचारियों के साथ-साथ कंपनियों को भी बहुत सारी छूट दी गई है. नए नियम में 300 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कोई कंपनी बिना सरकारी मंजूरी के अपने संस्थान में छंटनी कर सकेगी. साल 2019 से पहले कर्मचारियों की यह सीमा 100 थी. 100 से ज्यादा कर्मचारियों वाला कोई संस्थान अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल नहीं सकता था. 2020 में श्रम कानूनों में हुए बदलाव में इस सीमा को 100 से बढ़ाकर 300 कर दिया गया. अब 300 की वह सीमा भी समाप्त कर दी गई है.
नए लेबर कोड में मिनिमम वेज
इस कोड में सरकार देश भर के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करेगी और वह देना अनिवार्य होगा. साथ ही कर्मचारियों के लिए भी मिनिमम वेजेज का प्रावधान किया जाएगा.
Edited by Manisha Pandey