2003 से कोयंबटूर में जल संसाधनों को पुनर्जीवित करने के मिशन पर है यह संगठन
पानी की कमी आने वाले वर्षों में हमारे समाज के लिए सबसे मुख्य समस्याओं में से एक होने वाली है। पानी की समस्या एक प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों तरह की समस्या है लेकिन बहुत ज्यादा पानी बर्बाद हो रहा है और प्रदूषित भी हो रहा है। लेकिन इसको रोके जाने के लिए भी कोई ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण हमारे देश में हर साल पानी की समस्या का एहसास होने के बावजूद, लोग इस प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के लिए पर्याप्त काम नहीं कर रहे हैं। लेकिन कोयम्बटूर-स्थित सिरुथुली जैसे संगठन हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए अपना काम कर रहे हैं।
सिरुथुली (Siruthuli) को तमिल में "पानी की एक छोटी बूंद" कहते है। ये संगठन पिछले पंद्रह वर्षों से कोयम्बटूर के फ्रेश वाटर लेवल को बहाल करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। इसने अब तक कोयम्बटूर में 26 स्थानीय जल निकायों को सफलतापूर्वक बहाल किया है, और उन जलाशयों का निर्माण किया है जो 7 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी तक इकट्ठा कर सकते हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इसने आज तक 700 से अधिक वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया है। इसके अलावा, संगठन ने ग्रीन गार्ड, (वनीकरण), वेस्ट वाइज (waste management), और स्प्रेड द वर्ड (पर्यावरण जागरूकता) जैसी अन्य परियोजनाओं पर भी काम किया है।
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में काम करने का ये आइडिया 2003 में शुरू हुआ जब कोयम्बटूर में लोगों को अब तक की सबसे भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा था। संगठन की पहली परियोजना 125 एकड़ चौड़ी कृष्णमपथी झील (Krishnampathy Lake) थी। झील के करीब 50 एकड़ हिस्से पर अवैध अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया था। केवल दो दिनों में, सिरुथुली ने झील के क्षेत्र को खाली कराया। इसके तुरंत बाद, दो दिनों की बारिश के चलते सूख चुके जलाशय और परस्पर जुड़े बोरवेल ऊपर तक भर गए।
सिरुथुली की मैनेजिंग ट्रस्टी वनिता मोहन ने एफर्ट्स फॉर गुड्स से बात करते हुए कहा,
"नागरिकों को यह देखकर बहुत अच्छा लगा क्योंकि उन्होंने कोयम्बटूर में इतना पानी कभी नहीं देखा था। दरअसल उस समय तक वर्षा जल संचयन की कोई अवधारणा नहीं थी। वे अपनी आँखों से एक ही जल निकाय में इतना सारा पानी देखकर चकित थे। यहां तक कि वे स्वेच्छा से इस परियोजना में भाग लेने की पेशकश कर रहे थे।”
हालाँकि, यह सिर्फ शुरुआत थी। संगठन बाद में स्कूलों और कॉलेजों में पहुंचा और उन्हें अपनी परियोजनाओं का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद, सिरुथुली ने नोयल यात्रा (Noyyal Yatra) नाम से एक जागरुकता यात्रा निकाली, जिसमें एक लाख प्रतिभागी शामिल हुए, जिन्होंने नोयल नदी को बचाने और उसका कायाकल्प करने के लिए मिलकर काम किया। कोर टीम में बारह लोग शामिल हैं जो सिरुथुली की सभी गतिविधियों को मैनेज करते हैं। इसके अलावा इसके पास समर्पित वॉलंटियर्स और पार्ट-टाइम इंटर्न्स हैं जो संगठन के लिए काम करते हैं।
वनिता कहती हैं,
''हमारे पास वॉटर बॉडीज रेस्टोरेशन कमेटी, नोयल रेस्टोरेशन कमेटी और फॉरेस्ट मैनेजमेंट सेक्शन (जो बंजर भूमि में वनीकरण करती है) है। नागरिक समन्वय समिति नागरिकों और छात्रों के साथ जुड़ी है, और अधिक लोगों को सिरुथुली की पहल में शामिल होने के लिए प्रेरित करती है।”
अभी के लिए, सिरुथुली, नॉयल नदी की पूर्ण पुनर्स्थापना, सभी जल निकायों के जलग्रहण क्षेत्रों में वृद्धि, नदी घाटियों को पुनर्जीवित करना, और शहर के चारों तरफ हरियाली को बढ़ाने की योजना बना रही है। सिरुथुली को कोयम्बटूर के आसपास जल निकायों के सुधारने के लिए और नोयल नदी को बहाल करने की उसकी खास पहल के लिए सर्वश्रेष्ठ नदी-सफाई पहल से सम्मानित किया गया।