निर्भया मामला: न्यायालय ने खारिज कीं दो मुजरिमों की सुधारात्मक याचिकायें, दोषियों की फांसी के दिन उसके गांव में मनेगी दीवाली, पढ़ें निर्भया से जुड़े प्रमुख घटनाक्रम
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामला: न्यायालय ने मौत की सजा का सामना कर रहे दो मुजरिमों की सुधारात्मक याचिकायें खारिज कीं। पीड़िता के परिजनों ने निर्णय पर जताई खुशी। फांसी के दिन उसके पैतृक गांव में दीवाली मनेगी।
नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सजा पाये चार मुजरिमों में से दो की सुधारात्मक खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने दोषी विनय शर्मा और मुकेश कुमार की सुधारात्मक याचिकाओं पर चैंबर में विचार के बाद उन्हें खारिज कर दिया।
सुधारात्मक याचिका किसी व्यक्ति को उपलब्ध अंतिम कानूनी विकल्प है।
पांच न्यायाधीशों की यह सर्वसम्मत राय थी कि इन दोषियों की सुधारात्मक याचिकाओं में कोई दम नहीं है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा,
‘‘मौत की सजा के अमल पर रोक के लिये आवेदन भी अस्वीकार किया जाता है। हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन किया है। हमारी राय में रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा एवं अन्य के मामले में 2002 के फैसले में इस न्यायालय द्वारा प्रतिपादित मानकों के दायरे में इसमें कोई मामला नहीं बनता है। सुधारात्मक याचिकायें खारिज की जाती हैं।’’
न्यायाधीशों की इस पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल थे।
दिल्ली की एक अदालत ने सात जनवरी को इस मामले के चारों मुजरिमों को 22 जनवरी को सवेरे सात बजे तिहाड़ जेल में मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के लिए आवश्यक वारंट जारी किया था।
इसके बाद, नौ जनवरी को विनय और मुकेश ने सुधारात्मक याचिका दायर की थी। दो अन्य दोषियों अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता ने अभी तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है।
दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में चलती बस में छह दरिंदों ने 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार के बाद बुरी तरह से जख्मी हालत में पीड़िता को सड़क पर फेंक दिया था। इस छात्रा की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी।
इस सनसनीखेज अपराध में शामिल एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था और उसके खिलाफ किशोर न्याय कानून के तहत कार्यवाही की गयी थी। इस नाबालिग को तीन साल तक सुधार गृह में रखा गया था।
शेष चार आरोपियों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनायी थी, जिसकी पुष्टि उच्च न्यायालय ने कर दी थी।
इसके बाद, मई, 2017 में उच्चतम न्यायालय ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखते हुये उनकी अपील खारिज कर दी थी। न्यायालय ने बाद में इन दोषियों की पुनर्विचार याचिकायें भी खारिज कर दी थीं।
दोषियों को फांसी के दिन गांव में मनेगी दीवाली
निर्भया कांड में मंगलवार को दो दोषियों की तरफ से दाखिल सुधारात्मक याचिका को उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने के निर्णय पर खुशी का इजहार करते हुए पीड़िता के परिजनों ने 22 जनवरी को उसके पैतृक गांव बलिया में दीपावली की तरह उत्सव मनाने की बात कही है।
निर्भया के दादा लाल जी सिंह ने मंगलवार को बिहार की सीमा से सटे गांव मेड़वार कला में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत का निर्णय स्वागत योग्य है तथा अब यह सुनिश्चित हो गया कि निर्भया के गुनहगारों को 22 जनवरी को फांसी दे दी जाएगी।
सिंह ने जानकारी दी कि फांसी के दिन 22 जनवरी को निर्भया के पैतृक गांव में दीपावली की तरह उत्सव मनाया जायेगा।
निर्भया कांड से जुड़े घटनाक्रम
दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के सनसनीखेज मामले में उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को चार दोषियों में से दो की सुधारात्मक याचिकाएं खारिज कर दीं जिन्हें मौत की सजा दी जानी है। दिल्ली की एक अदालत चारों दोषियों को 22 जनवरी को तिहाड़ जेल में सुबह सात बजे फांसी दिये जाने का आदेश सुना चुकी है।
इस मामले का पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है:
- 16 दिसंबर, 2012 : अपने मित्र के साथ जा रही एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ एक निजी बस में छह लोगों ने बर्बरतापूर्वक सामूहिक दुष्कर्म करने और क्रूरतापूर्ण हमला करने बाद उसे जख्मी हालत में उसके दोस्त के साथ चलती बस से बाहर फेंक दिया गया। पीड़ितों को सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया।
- 17 दिसंबर : आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए देशभर में भारी विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए।
- पुलिस ने चारों आरोपियों- बस चालक राम सिंह, उसके भाई मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान की।
- 18 दिसंबर : राम सिंह सहित चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
- 20 दिसंबर : पीड़िता के दोस्त का बयान दर्ज किया गया।
- 21 दिसंबर : दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़िता के दोस्त ने आरोपियों में से एक मुकेश की पहचान की। छठे आरोपी अक्षय कुमार सिंह को पकड़ने के लिए हरियाणा और बिहार में छापेमारी की गई।
- 21-22 दिसंबर : अक्षय को बिहार के औरंगाबाद जिले से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया। पीड़िता ने अस्पताल में एसडीएम के सामने अपना बयान दर्ज कराया।
- 23 दिसंबर : निषेधाज्ञा की अवहेलना कर प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने में दिल्ली पुलिस के सिपाही सुभाष तोमर को गंभीर चोटें आयीं। तोमर को अस्पताल पहुंचाया गया।
- 25 दिसंबर : पीड़िता की हालत गंभीर बताई गई। कांस्टेबल तोमर की मौत।
- 26 दिसंबर : दिल का दौरा पड़ने के बाद पीड़िता की हालत और गंभीर हो गई जिसे देखते हुए सरकार ने पीड़िता को विमान से सिंगापुर के माउण्ट एलिजाबेथ अस्पताल में स्थानांतरित कराया।
- 29 दिसंबर : पीड़िता ने गंभीर चोटों और शारीरिक समस्याओं से जुझते हुए सुबह 2 बजकर 15 मिनट पर दम तोड़ दिया। पुलिस ने प्राथमिकी में हत्या की धाराएं जोड़ दीं।
- 2 जनवरी, 2013 : तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने यौन उत्पीड़न मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालत का उद्घाटन किया।
- 3 जनवरी : पुलिस ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक यौनाचार और डकैती की धाराओं में आरोप पत्र दायर किए।
- 5 जनवरी : अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया।
- 7 जनवरी : अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई के आदेश दिए।
- 17 जनवरी : त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू की।
- 28 जनवरी : किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि आरोपी का नाबालिग होना सबित हो चुका है।
- 2 फरवरी : त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।
- 28 फरवरी : किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए।
- 11 मार्च : राम सिंह ने तिहाड़ जेल में अत्महत्या कर ली।
- 22 मार्च : दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मीडिया को निचली अदालत की कार्यवाही को रिपोर्ट करने की अनुमति दी।
- 5 जुलाई : किशोर न्याय बोर्ड में नाबालिग आरोपी के खिलाफ सुनवाई पूरी हुई। किशोर न्याय बोर्ड ने 11 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित कर लिया।
- 8 जुलाई : त्वरित अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही दर्ज की।
- 11 जुलाई : किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार की घटना से एक रात पहले 16 दिसंबर को एक बढ़ई की दुकान में घुसकर लूटपाट करने का भी दोषी पाया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन अन्तरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को मामले की सुनवाई को कवर करने की अनुमति दी।
- 22 अगस्त : त्वरित अदालत में चारों वयस्क आरोपियों के खिलाफ मुकदमे में अंतिम दलीलों पर सुनवाई शुरू हुई।
- 31 अगस्त : किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए सुधार गृह में तीन साल गुजारने की सजा दी।
- 3 सितंबर : त्वरित अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया।
- 10 सितंबर : अदालत ने मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार और लड़की की हत्या और उसके दोस्त की हत्या का प्रयास सहित 13 अपराधों में दोषी करार दिया।
- 13 सितंबर : अदालत ने चारों अपराधियों को मौत की सजा सुनाई।
- 23 सितंबर : उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा अपराधियों को मौत की सजा दिए जाने के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई शुरू की।
- 3 जनवरी, 2014 : उच्च न्यायालय ने अपराधियों की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया।
- 13 मार्च : उच्च न्यायालय ने चारों अपराधियों की मौत की सजा बरकरार रखी।
- 15 मार्च : दो अभियुक्तों मुकेश और पवन की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सजा पर रोक लगा दी। बाद में सभी अभियुक्तों की सजा पर रोक लगा दी गई।
- 15 अप्रैल : उच्चतम न्यायालय ने पुलिस से पीड़िता द्वारा मृत्यु पूर्व दिये गए बयान को पेश करने के लिए कहा।
- 3 फरवरी, 2017: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अभियुक्तों की मौत की सजा पर फिर से सुनवाई होगी।
- 27 मार्च : उच्चतम न्यायालय ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
- 5 मई : सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड को ‘‘सदमे की सुनामी’’ और ‘‘दुर्लभ से दुर्लभतम’’ अपराध करार दिया।
- 8 नवंबर : एक दोषी मुकेश ने उच्चतम न्यायालय में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की।
- 12 दिसंबर : दिल्ली पुलिस ने उच्चतम न्यायालय में मुकेश की याचिका का विरोध किया।
- 15 दिसंबर : अभियुक्त विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने अपनी मौत की सजा पर पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
- 4 मई, 2018 : उच्चतम न्यायालय ने दो अभियुक्तों विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया।
- 9 जुलाई : उच्चतम न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों की पुनर्विचार याचिका खारिज की।
- फरवरी, 2019 : पीड़िता के माता-पिता ने चारों दोषियों को मौत की सजा दिये जाने के लिए वारंट जारी करने की खातिर दिल्ली की अदालत का रुख किया।
- 10 दिसंबर, 2019 : चौथे अभियुक्त अक्षय ने उच्चतम न्यायालय में अपनी मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की।
- 13 दिसंबर : पीड़िता की मां ने उच्चतम न्यायालय जाकर दोषी की पुनर्विचार याचिका का विरोध किया।
- 18 दिसंबर : उच्चतम न्यायालय ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज कीं।
- दिल्ली सरकार ने मृत्यु वारंट जारी किये जाने की मांग की।
- दिल्ली की एक अदालत ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया कि वे दोषियों को शेष कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने के लिए नोटिस जारी करें।
- 19 दिसंबर, 2019 : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पवन कुमार गुप्ता की अर्जी खारिज की जिसमें उसने अपराध के समय खुद के किशोर उम्र होने का दावा किया था।
- 6 जनवरी, 2020 : दिल्ली की एक अदालत ने पवन के पिता की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें घटना के एकमात्र चश्मदीद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गयी।
- 7 जनवरी, 2020 : दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी दिये जाने का आदेश जारी किया।
- 14 जनवरी, 2020 : उच्चतम न्यायालय ने दो दोषियों विनय शर्मा (26) और मुकेश कुमार (32) की सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज कर दिया।
(Edited by रविकांत पारीक )