भारतीय बाजार में कैसा होगा इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स का भविष्य? नीति आयोग और TIFAC ने जारी की रिपोर्ट
नीति आयोग और TIFAC द्वारा बनाए गए एक टूल का उपयोग करते हुए देश में इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की भावी पैठ का विश्लेषण करने के लिए आठ परिदृश्य विकसित/अनुमानित किए गए हैं.
नीति आयोग (NITI Aayog) और TIFAC ने हाल ही में ‘भारत में इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की पैठ का पूर्वानुमान’ (Forecasting Penetration of Electric Two-Wheelers in India) शीर्षक से एक रिपोर्ट पेश की है.
नीति आयोग और TIFAC द्वारा बनाए गए एक टूल का उपयोग करते हुए देश में इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की भावी पैठ का विश्लेषण करने के लिए आठ परिदृश्य विकसित/अनुमानित किए गए हैं.
इस रिपोर्ट में ‘आशावादी परिदृश्य’ (optimistic scenario) में वित्त वर्ष 2026-27 तक भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की 100% पैठ होने का अनुमान लगाया गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार एक अन्य परिदृश्य में, जो टेक्नोलॉजी आधारित है और जिसके तहत वर्ष 2024 तक मौजूदा प्रोत्साहन वापस ले लिए गए हैं, वर्ष 2031 तक इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की 72% पैठ होने का अनुमान लगाया गया है.
रिपोर्ट पेश करने के दौरान नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, "इस रिपोर्ट में विभिन्न परिदृश्यों का विश्लेषण करने और फिर उनके अनुसार ही जरूरी कदम उठाने के लिए उद्योग जगत, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं को एक बहुत ही आवश्यक टूल प्रदान किया गया है. इसे बिना किसी परेशानी के चौपहिया वाहनों जैसे कि अन्य खंडों या सेगमेंटों में भी आसानी से दोहराया जा सकता है."
इन आठ परिदृश्यों पर विचार किया गया है:
- चुनौतीपूर्ण विस्तार
- प्रदर्शन आधारित
- बैटरी की कम कीमत
- टेक्नोलॉजी आधारित
- प्रोत्साहन आधारित
- बैटरी की कीमत चुनौतीपूर्ण
- समान प्रदर्शन
- आशावादी
भावी परिदृश्य इन तीन प्रमुख कारकों के आधार पर तैयार या विकसित किए गए हैं जो बाजार में इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की पैठ को प्रभावित करते हैं: (i) मांग संबंधी प्रोत्साहन (ii) बैटरी की कीमत (iii) रेंज और पावर दोनों ही दृष्टि से वाहनों का प्रदर्शन.
वाहनों की स्थापित उत्पादन क्षमता और उपलब्ध चार्जिंग अवसंरचना की दृष्टि से उपर्युक्त आठ परिदृश्यों के लिए इन चार व्यापक बाधा स्तरों की भी पहचान की गई है: (i) पूर्ण बाधा (जहां वाहन उत्पादन और चार्जिंग अवसंरचना दोनों से ही संबंधित बाधाएं हैं) (ii) उत्पादन संबंधी बाधा (जहां केवल वाहन उत्पादन एक बाधा है) (iii) चार्जिंग बाधा (जहां केवल चार्जिंग अवसंरचना एक बाधा है) और (iv) कोई बाधा नहीं.
रिपोर्ट की खास बातें
‘टेक्नोलॉजी आधारित’ परिदृश्य में यदि किसी R&D कार्यक्रम के जरिए वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2025-26 के बीच इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की रेंज और पावर को सालाना 5% और वित्त वर्ष 2026-2027 में 10% बढ़ाना संभव हो जाता है, तो वित्त वर्ष 2031-32 में इलेक्ट्रिक-दुपहिया वाहनों की पैठ बढ़कर लगभग 72% तक पहुंच सकती है - यहां तक कि मांग संबंधी प्रोत्साहनों की अवधि को बढ़ाए बिना भी.
इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की बिक्री ‘आशावादी’, ‘समान प्रदर्शन’ और ‘बैटरी की कीमत चुनौतीपूर्ण’ परिदृश्यों के तहत वित्त वर्ष 2028-29 में 220 लाख यूनिट या वाहनों के स्तर को पार कर सकती है. यह बिक्री ‘प्रौद्योगिकी-आधारित’ परिदृश्य के तहत 180 लाख यूनिट या वाहनों तक पहुंच सकती है. 'प्रोत्साहन अभियान' परिदृश्य के तहत इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 2031 में केवल 55 लाख यूनिट या वाहनों तक ही पहुंचने की संभावना है.
यदि इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों और चार्जिंग अवसंरचना की पर्याप्त अधिष्ठापित या स्थापित क्षमता है, तो बिक्री (जो अंतत: लगभग 250 लाख यूनिट या वाहनों तक पहुंच जाती है) किसी बिंदु पर यहां तक कि ‘आशावादी’, ‘समान प्रदर्शन’ और ‘बैटरी की कीमत चुनौतीपूर्ण’ परिदृश्यों के तहत अनुमानित उत्पादन स्तर को भी पार कर सकती है.
इस रिपोर्ट में संबंधित क्षेत्र में आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग क्षमता, नीतियों और टेक्नोलॉजी-विकास संबंधी प्राथमिकताओं के बारे में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि या जानकारियां प्रदान की गई हैं.
इन परिदृश्यों का उपयोग सरकारी एजेंसियों, उद्योग जगत और अकादमिक/R&D संस्थानों द्वारा नीतियों, बाजार परिदृश्यों और टेक्नोलॉजी विकास रणनीतियों के साक्ष्य-आधारित विश्लेषण के लिए किया जा सकता है.