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'अमेरिका के जीएसपी स्टेटस वापस लेने से नहीं पड़ेगा भारत पर खास असर'

'अमेरिका के जीएसपी स्टेटस वापस लेने से नहीं पड़ेगा भारत पर खास असर'

Wednesday March 06, 2019 , 4 min Read

देश के पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप

संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका ने हाल ही में भारत के निर्यात के खिलाफ कदम उठाते हुए कहा है कि सामान्‍य प्राथमिकता प्रणाली यानी जीएसपी के तहत अमेरिका की ओर से भारत को मिलने वाले लाभों से संबंधित निर्णय को 60 दिनों में वापस ले लिया जायेगा। कहा जा रहा था कि इससे भारत के निर्यात पर असर पड़ेगा क्योंकि अभी जो वस्तुएं टैरिफ मुक्त हैं उन पर अमेरिका टैरिफ लगाएगा। लेकिन अब सरकार ने कहा है कि इससे भारत के निर्यात पर खास असर नहीं पड़ेगा।


भारत के वाणिज्य सचिव अनूप वाधवन ने कहा कि भारत जीएसपी के तहत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर के सामानों का निर्यात करता है, जिसमें से केवल 1.90 करोड़ डॉलर मूल्य की वस्तुएं ही बिना किसी शुल्क वाली श्रेणी में आती हैं। उन्होंने कहा कि भारत मुख्य रूप से कच्चे माल एवं जैव रासायनिक जैसी मध्यवर्ती वस्तुओं का निर्यात ही अमेरिका को करता है।    


उनकी यह प्रतिक्रिया अमेरिका के राष्ट्रपति के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह भारत को तरजीही व्यापार के लिए दिये गए दर्जे को समाप्त करने का इरादा रखते हैं। सचिव ने संवाददातओं से यहां कहा, ''जीएसपी वापस लिये जाने का भारत द्वारा अमेरिका को किये जाने वाले निर्यात पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।'' भारत के जीएसपी लाभों के बारे में अप्रैल 2018 में अमेरिका द्वारा शुरू की गई समीक्षा के बाद, भारत और अमेरिका परस्‍पर स्‍वीकार्य शर्तों पर एक उपर्युक्‍त समाधान के लिए द्विपक्षीय हितों से जुड़े विभिन्‍न व्‍यापारिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करते रहे हैं।


जीएसटी लाभों के तहत विकसित देशों की ओर से विकासशील देशों के लिए गैर-पारस्‍परिक और गैर-विभेदीय लाभ प्रदान किये जाते हैं। भारत के मामले में, अमेरिका द्वारा जीएसपी रियायतों के तहत प्रतिवर्ष 190 मिलियन अमरीकी डॉलर धनराशि की कर में छूट दी जा रही थी।


अमेरिका ने अमरीकी मेडिकल उपकरण उद्योगों और दुग्‍ध उत्‍पादन उद्योगों के प्रतिनिधित्‍व के आधार पर समीक्षा की शुरूआत की थी, किन्‍तु बाद में खुद ही अनेक अन्‍य मुद्दों को इसमें शामिल किया था। विभिन्‍न कृषि और पशुपालन उत्‍पादों के लिए बाजार पहुंच, दूरसंचार परीक्षण/मूल्‍याकंन जैसे मुद्दें से जुड़ी पक्रियाओं में आसानी और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी उत्‍पादों पर शुल्‍क में कटौती करना इनमें शामिल है।


वाणिज्‍य विभाग ने इन मुद्दों से भारत सरकार के विभिन्‍न विभागों को अवगत कराया। अमेरिका के प्राय: सभी अनुरोधों के बारे में काफी सार्थक उपायों की पेशकश करने में भारत समर्थ था। एक विकासशील देश के दर्जे तथा भारत के राष्‍ट्रीय हितों को ध्‍यान में रखते हुए और जन कल्‍याण से जुड़ी चिंताओं के मद्देनजर, कुछेक मामलों में, अमेरिका के विशेष अनुरोधों को संबंधित विभागों द्वारा फिलहाल तार्किक नहीं पाया गया।


भारत की तरफ से कहा गया है कि हम सैद्धांतिक रूप से मेडिकल उपकरणों के बारे में अमेरिका की चिंताओं का हल करने के लिए तैयार थे। दुग्‍ध उत्‍पादों की बाजार पहुंच से जुड़े मुद्दों पर, भारत ने स्‍पष्‍ट किया है कि हमारी प्रमाणन आवश्‍यकता है कि स्रोत पशुधन को अन्‍य पशुधन से प्राप्‍त रक्‍ताहार कभी नहीं दिया गया है। यह बात हमारी संस्‍कृति और धार्मिक भावनाओं को ध्‍यान में रखते हुए इसके बारे में कोई वार्ता संभव नहीं है। भारत की ओर से दुग्‍ध उत्‍पाद प्रमाणन प्रक्रिया को सरल बनाने का अनुरोध किया था।


अमेरिका से तेल और प्राकृतिक गैस तथा कोयला जैसे सामानों की खरीद बढ़ने से भारत के साथ अमरीकी व्‍यापार घाटे में वर्ष 2017 और 2018 में काफी कमी हुई है। वर्ष 2018 में 4 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक कमी का अनुमान है। भारत में ऊर्जा और विमानों की बढ़ती मांग जैसे घटकों के परिणामस्‍वरूप भविष्‍य में इसमें और भी कमी होने का अनुमान है। अरबों डॉलर के राजस्‍व वाले अमरीकी सेवाओं और अमेजन, उबर, गूगल और फेसबुक जैसी ई-कामर्स कंपनियों के लिए भी भारत एक महत्‍वपूर्ण बाजार है।


सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि समय-समय पर शुल्‍कों में वृद्धि होने से भारतीय शुल्‍क का मुद्दा महत्‍वपूर्ण है। यह प्रासंगिक है कि भारत की ओर से लगाये गये शुल्‍क विश्‍व व्‍यापार संगठन की बाध्‍यताओं के तहत सीमित दरों के भीतर हैं और यह सीमित दरों से काफी नीचे औसत स्‍तर पर कायम हैं। फिलहाल भारत उपर्युक्‍त मुद्दों पर एक अत्‍यंत सार्थक और परस्‍पर स्‍वीकार्य पैकेज को मानने और शेष मुद्दों के बारे में भविष्‍य में विचार-विमर्श कायम रखने के बारे में सहमत हो सकता था। 


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