नोएडा के ट्विन टावर के मलबे को फिर से बिल्डिंग मैटिरियल बनाएगी यह कंपनी
नोएडा के ट्वीन टावर के मलबे को फिर से बिल्डिंग मेटेरियल में बदलने का काम “री-सेस्टेनेबिलटी” नाम की कंपनी को दिया गया है.
28 अगस्त को नोएडा के सेक्टर 93ए में एपेक्स और सेयेन नामक ट्विन टावर को विस्फोट से ध्वस्त होते हुए पूरे देश ने देखा. आसपास रहने वाले लोगों की सुरक्षा, ट्रैफिक मैनेजमेंट और व्यवस्थाओं के बारे में भी लोगों को लगातार जानकारी मिलती रही. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण और उससे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ सकने वाले गंभीर प्रभाव के बारे में चर्चा की और अपने स्तर पर लोगों को सचेत किया गया.
जिस एक चीज़ पर कम ध्यान गया वह था ध्वस्त करने के बाद बचा मलबा.
करीब 100 मीटर ऊंचे दो टावरों को ध्वस्त करने में 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल हुआ और फिर ख़ाक ही ख़ाक थी.
ख़ाक भी क्या कुछ नहीं था. विध्वंस के 10 सेकंड के अंदर करीब 30,000 टन कचरा जमा हो गया था. क्या हमारे मन में ये सवाल उठा कि इतने मलबे का क्या होगा? क्या इस मलबे को कहीं किसी स्थान पर डंप करके छोड़ दिया जाएगा? ट्विन टावर के ध्वस्त होने के बाद उस जगह का क्या होगा?
इस मलबे के प्रबंधन और निपटान के लिए एशिया की प्रमुख पर्यावरण प्रबंधन और सर्कुलर कंपनी ‘रि-सस्टेनेबिलिटी’ को उसे रि-साइकिल करने की जिम्मेदारी दी गई है. कंपनी तीन महीने तक नोएडा के कचरा प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण संयंत्र में प्रतिदिन 300 टन कचरे का प्रसंस्करण करेगी. कंपनी को इस काम के लिए तीन महीने का ठेका मिला है. कंपनी ने कहा कि कचरे को निर्माण सामग्री में बदला जाएगा.
इस बीच टि्वन टावर को जमींदोज कराने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने वाली सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसायटी की आरडब्ल्यूए (RWA) ने नया ऐलान किया है. आरडब्ल्यूए अध्यक्ष ने कहा है कि आरडब्ल्यूए और सोसायटी के निवासी खाली हुई जमीन पर किसी भी निर्माण के लिए बिल्डर को सहमति नहीं देंगे. उन्होंने बताया कि टि्वन टावर की जमीन पर एक छोटा ग्रीन पार्क, बच्चों के खेलने का मैदान और एक मंदिर बनाने की योजना है. इसके लिए जल्द ही बैठक कर पूरी सोसायटी के निवासियों की सहमति ली जाएगी.
(फीचर इमेज क्रेडिट: अनुज मौर्य)