पर्यावरण बचाने वाले एनजीओ ग्रीनपीस के ऑफिस बंद, लेकिन अभियान रहेगा जारी
पूरी दुनिया में पर्यावरण बचाने के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ग्रीनपीस के भारत स्थित ऑफिस पर कार्रवाई की गई है। अब इस वजह से संगठन को देश के कुछ शहरों को अपने ऑफिस बंद करने पड़ रहे हैं। हालांकि ग्रीनपीस ने कहा है कि वह नए उत्साह से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगी। संगठन ने एक बयान में कहा कि दिल्ली और पटना के क्षेत्रीय कार्यालयों को बंद किया जा रहा है लेकिन इन शहरों के कर्मियों ने स्वयंसेवी के तौर पर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
ग्रीनपीस इंडिया अपने नई दिल्ली और पटना के दफ्तर को बंद करने के लिये मजबूर हुई। प्रवर्तन निदेशालय के अवैध कार्रवाई के बाद संगठन छोटा हुआ लेकिन पर्यावरण को बचाने की लड़ाई जारी रखी जाएगी। 'प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हमारे खातों को बंद करने की वजह से हम कर्मचारियों को रखने में सक्षम नहीं है। कुछ को कर्मचारी के तौर पर रख लिया जाएगा जबकि कुछ स्वयंसेवकों के तौर पर रखा जाएगा।' ग्रीनपीस इंडिया की कैंपेन डायरेक्टर दिया देब ने कहा,
'इस तरह के हमले ग्रीनपीस को पूरे देश में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की लड़ाई से विचलित नहीं कर सकते। भारतीय नागरिक ग्रीनपीस इंडिया को इसलिए चंदा देते हैं क्योंकि वह साफ हवा, सुरक्षित भोजन और स्वच्छ ऊर्जा के अधिकार पर विश्वास करते हैं। हमें गर्व है कि हम हमेशा रिस्क लेकर देश के पर्यावरण नष्ट करने वाले वाले लोगों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं और हम ऐसा करते रहेंगे। ग्रीनपीस इंडिया देश के हजारो लोगों, दानदाताओं, कार्यकर्ताओं और वॉलिंटियर का समूह है और आगे भी हम में से ज्यादातर लगातार वॉलिंटियर के रुप में काम करते रहेंगे।'
दिया आगे कहती है, 'सरकार सिर्फ हमारे बैंक खाते को बंद कर सकती है लेकिन ग्रीनपीस एक विचार है जिसे खत्म नहीं किया जा सकता है। भले ही हममें से ज्यादातर लोग ग्रीनपीस में काम नहीं कर रहे होंगे लेकिन पर्यावरण न्याय और शांति के लिये हमारे अभियान जारी रहेंगे।' दिया ने जोड़ा, 'ग्रीनपीस इंडिया ने हाल ही में देश की वायु गुणवत्ता पर एक रिपोर्ट जारी किया है। हमलोग लगातार सरकार को बेहतर नीतियां बनाने के लिये दबाव डालते रहेंगे। हमलोग लोगों के स्वास्थ्य के लिये स्वच्छ वायु की मांग जारी रखेंगे।'
ग्रीनपीस इंडिया के सबसे पुराने कर्मचारी सत्यपाल नौबतलाल ने भी भोपाल गैस त्रासदी से लेकर स्वच्छ ऊर्जा तक के अभियान में हिस्सा लिया है। उनका ग्रीनपीस इंडिया में कल आखिरी दिन था। वे कहते हैं,
'मैंने ग्रीनपीस इंडिया को कई संकटों के वक्त देखा है और हम उनसे उबरे हैं। इस बार भी कुछ अलग नहीं है। लेकिन आज हम अपनी नौकरी छोड़ने को मजबूर हैं क्योंकि सरकार ने सारी असहमति की आवाज को दबाने का फैसला लिया है। लेकिन ग्रीनपीस इंडिया को चुप नहीं किया जा सकता। मुझे गर्व है कि मैं इस संगठन का हिस्सा हूं जो सच बोलने से कभी नहीं हटा। मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले दिनों में हमारे देशभर में फिर से दफ्तर खुलेंगे। अपने देश की साफ हवा, स्वच्छ ऊर्जा और सुरक्षित भोजन के लिये अभियान चलाना अपराध नहीं है।'
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