लाला लाजपत रायः पंजाब नैशनल बैंक की शुरुआत करने से लेकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में जान गंवाने वाले नेता
लाला जी की मृत्यु से सारा देश उत्तेजित हो उठा. चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी की मौत के ठीक एक महीने बाद अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली. 17 दिसंबर 1928 को ब्रिटिश पुलिस अफसर सान्डर्स को गोली मारकर उनकी मौत का बदला ले लिया.
आजादी की लड़ाई में जिन महापुरुषों को नाम लिया जाता है उनमें लाला लाजपत राय का नाम बड़ी प्रमुखता से लिया जाता है. लाला जी की आज 158 वीं सालगिरह है. फिरोजपुर जिले के ढुडिके गांव में जन्मे लाला लाजपत राय तो आजादी की लड़ाई के दिनों के गरम दल के नेताओं में भी गिना जाता है.
किशोरावस्था में लाला लाजपत राय की मुलाकात स्वामी दयानंद सरस्वती से हुई जिसके बाद वे आर्य समाजी विचारों से काफी प्रेरित (Motivate) हुए थे. उन पर बाल गंगााधर तिलक के राष्ट्रीय चिंतन का भी काफी असर था.
लाला लाजपत राय ने 1880 में कलकत्ता और पंजाब विश्वविद्यालय से एंट्रेंस की परीक्षा एक साल में पास की और आगे पढ़ने के लिए लाहौर आए. 1982 में एमए की परीक्षा पास की और इसी दौरान वे आर्यसमाज के संपर्क में आए और उसकी सदस्यता हासिल कर ली.
ये वो दौर था जब हर क्रांतिकारी अलग अलग तरीके से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करता जा रहा था. उसी वक्त लाला लाजपत राय ने भी साइमन कमीशन के खिलाफ विरोधी सुर तेज करना शुरू किया.
दरअसल संवैधानिक सुधारों के तहत 1928 में साइमन कमीशन भारत आया था. इस कमीशन में एक भी भारतीय प्रतिनिधि नहीं देखकर भारतीयों में भारी नाराजगी थी.
30 अक्टूबर, 1928 को साइमन कमीशन जब लाहौर पहुंचा तो जनता के विरोध और आक्रोश को देखते हुए यहां धारा 144 लगा दी गई.
साइमन कमीशन पर विरोध जताने के लिए लाला लाजपत राय के साथ-साथ कई क्रांतिकारियों ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर ही साइमन कमीशन का विरोध जताते हुए उन्हें काले झंडे दिखाए और ‘साइमन वापस जाओ’ का नारा लगाया. पुलिस इस आंदोलन पर नियंत्रण हासिल कर पा रही थी.
पुलिस को लाठी चार्ज करने का आदेश मिला, उसी समय अंग्रेज सार्जेंट सांडर्स ने लाला जी की छाती पर लाठी से हमला कर दिया, जिससे उन्हें गहरी चोट पहुंची.
उसी शाम लाहौर की एक विशाल जनसभा में जुटी जनता को संबोधित करते हुए लाला जी ने कहा मेरे शरीर पर पड़ी लाठी की हर चोट अंग्रेजी साम्राज्य के कफन की कील का काम करेगी. इस हमले के बाद उन्हें 18 दिन तक बुखार रहा था. 17 नवम्बर 1928 को उन्होंने आखिरी सांस ली थी.
लाला जी की मृत्यु से सारा देश उत्तेजित हो उठा और चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी की मौत का बदला लेने का फैसला किया.
इन देशभक्तों ने लालाजी की मौत के ठीक एक महीने बाद अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली. 17 दिसंबर 1928 को ब्रिटिश पुलिस अफसर सांडर्स को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी.
लाला लाजपत राय ने पंजाब में पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना भी की थी. वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे.
Edited by Upasana