इस साल जून तक 87,000 से अधिक भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता, लेकिन क्यों?
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, संख्या के आधार पर, भारतीयों ने अमेरिका में बसने के सपने को पूरा करना जारी रखा है और उनमें से 7,88,284 लोगों ने 2021 में अपनी नागरिकता छोड़ दी है.
इस साल जून तक कम से कम 87,026 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी, 2011 से अब तक 17.50 लाख से अधिक लोगों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि 2022 में 2,25,620; 2021 में 1,63,370; 2020 में 85,256; 2019 में 1,44,017; 2018 में 1,34,561; 2017 में 1,33,049; 2016 में 1,41,603; 2015 में 1,31,489; 2014 में 1,29,328; 2013 में 1,31,405; 2012 में 1,20,923 और 2011 में 1,22,819 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी.
मंत्री ने कहा, "पिछले दो दशकों में वैश्विक कार्यस्थल की खोज करने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या महत्वपूर्ण रही है. उनमें से कई ने व्यक्तिगत सुविधा के कारणों से विदेशी नागरिकता लेने का विकल्प चुना है."
जयशंकर ने कहा कि यह स्वीकार करते हुए कि विदेशों में भारतीय समुदाय राष्ट्र के लिए एक संपत्ति है, सरकार प्रवासी भारतीयों के साथ अपने जुड़ाव में परिवर्तनकारी बदलाव लेकर आई है.
उन्होंने कहा, "एक सफल, समृद्ध और प्रभावशाली प्रवासी भारत के लिए फायदेमंद है और हमारा दृष्टिकोण प्रवासी नेटवर्क का दोहन करना और राष्ट्रीय लाभ के लिए इसकी प्रतिष्ठा का उपयोग करना है."
कहाँ जाकर बस रहे हैं?
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, संख्या के आधार पर, भारतीयों ने अमेरिका में बसने के सपने को पूरा करना जारी रखा है और उनमें से 7,88,284 लोगों ने 2021 में अपनी नागरिकता छोड़ दी है.
ऑस्ट्रेलिया 23,533 व्यक्तियों द्वारा अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने के साथ अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है, इसके बाद कनाडा (21,597) और यूके (14,637) हैं.
बड़ी संख्या में भारतीयों ने इटली (5,986), न्यूजीलैंड (2,643), सिंगापुर (2,516), जर्मनी (2,381), नीदरलैंड (2,187), स्वीडन (1,841) और स्पेन (1,595) का नागरिक बनना चुना.
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों के शीर्ष 20 गंतव्यों में से तीन को छोड़कर सभी उच्च-आय या उच्च-मध्यम-आय वाले देश थे. चार मिलियन से अधिक की आबादी के साथ, भारतीयों का सबसे बड़ा समूह अमेरिका में रहता है, इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (3.5 मिलियन) और सऊदी अरब (2.5 मिलियन) जैसे खाड़ी देशों में रहते हैं.