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पापा चाहते थे बेटा मोटी सैलरी वाली नौकरी करे, MTech गोल्ड मेडलिस्ट बेटे ने किया स्टार्टअप

हरियाणा का रोहतक शहर, जिसे देश की दुध मंडी के रूप में जाना जाता है, अब वहां ब्लॉकचेन पर काम हो रहा है. शहर के रहने वाले प्रदीप नरवाल ने क्रिप्टो और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की दुनिया में न सिर्फ कदम रखा बल्कि वे एक बड़ी समस्या का समाधान लेकर आए हैं...

पापा चाहते थे बेटा मोटी सैलरी वाली नौकरी करे, MTech गोल्ड मेडलिस्ट बेटे ने किया स्टार्टअप

Saturday September 03, 2022 , 8 min Read

देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मिडिल क्लास सोसाइटी है. इस 'मिडिल क्लास सोसाइटी' टर्म को अगर समझने की कोशिश करें तो, यह सिर्फ सोसाइटी नहीं है — यह एक सोच है. और जनाब सोच 'जरूरतों' का दुसरा नाम है. बल्कि मैं तो इसे जरूरतों का मुखौटा कहता हूं. अब जिस सोसाइटी में हम रहते हैं; हमें अपने माता-पिता से बचपन से यही सीख मिली है कि पढ़-लिखकर नौकरी करनी है. कुछ मां-बाप इस सीख के साथ बच्चों के लिए सरकारी नौकरी के सपने संजोते हैं, तो कुछ, मोटी सैलरी वाली कॉर्पोरेट जॉब के. लेकिन दोनों में समानता है — नौकरी.

कुछ इसी तरह के ख़्वाब प्रदीप [नरवाल] के मां-बाउजी ने भी बुने थे. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. वैसे भी वो कहते हैं न — जहां चाह, वहां राह. यही कहानी है प्रदीप की.

हरियाणा का रोहतक शहर, जो कि 'देश की दूध मंडी' के रूप में मशहूर है, प्रदीप यहीं से आते हैं. पिता सरकारी नौकरी करते थे, अब रिटायर हो चुके. मां गृहणी हैं. प्रदीप की शुरुआती शिक्षा रोहतक से ही हुई. वे बचपन से ही पढ़ाई में तेज-तर्रार थे. वे राज्य की 10वीं की बोर्ड परीक्षा में टॉप 10 स्टूडेंट्स में शुमार थे. 12वीं के बाद उन्होंने गवर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, सिरसा से ग्रेजुएशन में B. Tech किया. इसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुशन के लिए रोहतक शहर को चुना. यहां उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में M. Tech किया. वे गोल्ड मेडलिस्ट थे.

लेकिन असल इम्तिहान तो अब था...पढ़ाई पूरी होने के बाद; नौकरी का.

YourStory हिंदी से बात करते हुए प्रदीप बताते हैं, "दरअसल, मुझे नौकरी नहीं करनी थी. माता-पिता चाहते थे कि मैं नौकरी करूं, लेकिन मैं राज़ी नहीं था. हमारे खानदान में अधिकतर लोग या तो सरकारी नौकर हैं, या फिर खेती-किसानी करके जीवन-बशर कर रहे हैं. मुझे अपनी अलग राह बनानी थी. छोटा ही सही, मगर खुद का कुछ करना था. बिजनेस करना था."

मगर इसका आग़ाज़ वे अपने तरीके से करना चाहते थे.

उन दिनों को याद करते हुए प्रदीप आगे बताते हैं, "मैंने पहले हरियाणा सरकार के साथ मिलकर HKCL (Haryana Knowledge Corporation Limited) के फ्रेंचाइजी मॉडल के साथ शुरुआत की. इसके जरिए बच्चों को कम्प्यूटर के बारे में सीखाया जाता था. यह पूरी तरह से ई-लर्निंग होने के साथ हरियाणा बॉर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन से जुड़ा था. इसे डेढ़-दो साल चलाया."

इसके बाद उन्होंने NSE-IT (National Stock Exchange का IT डिपार्टमेंट) के साथ काम किया. हर शहर में इसके 10-15 कम्प्यूटर का एग्जाम सेंटर होता है.

फिर, साल 2016 में प्रदीप ने New Edge Soft Sol Pvt Ltd नाम से अपनी खुद की कंपनी शुरू की. उन्होंने इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विस देने के लिए 150 कम्प्यूटर का सेटअप बनाया. इसे उन्होंने तीन साल (2019 तक) चलाया.

इस इन्फ्रास्ट्रक्चर-एज-ए-सर्विस (इसे आगे विस्तार से समझाया गया है) मॉडल के तहत उन्होंने केंद्र सरकार और राज्य [हरियाणा] सरकार के साथ HKCL समेत कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम किया. लेकिन यहां एक समस्या थी. यह मॉडल एग्जाम (परीक्षा) पर निर्भर था. मतलब कि अगर किसी सेंटर पर कोई ऑनलाइन एग्जाम होता है, तभी ये कम्प्यूटर काम आते थे, अन्यथा...

फिर एक मुद्दा इन प्रोजेक्ट्स के विस्तार को लेकर भी था.

बाद में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान उन्होंने बिजनेस में बड़े बदलाव किए. एक नया रास्ता इख़्तियार किया. यह नई राह कोई और नहीं, बल्कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की थी.

यहां ज़रा रुकिए; पहले आप ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में तो समझ लीजिए कि आखिर ये है क्या?

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं है, बल्कि एक प्लेटफॉर्म हैं. इसे डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) भी कहा जाता है. इस प्लेटफॉर्म के जरिए किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड मेनटेन किया जाता है.

ब्लॉकचेन = ब्लॉक और चेन. इसका सीधा मतलब है कि मल्टीपल ब्लॉक्स को चेन से जोड़कर चलाई जाने वाली टेक्नोलॉजी. ये डेटा ब्लॉक को इकट्ठा करके चेन बनाती है. अलग-अलग ब्लॉक में डेटा में होता है और ये ब्लॉक आपस में जुड़े होते हैं. लंबी चेन बनती जाती है, नया डेटा जुड़ता रहता है.

लौटते हैं कहानी पर...

प्रदीप बताते हैं, “हमारी विशेषज्ञता हार्डवेयर, कम्प्यूटर मैनेजमेंट में थी. हमने ब्लॉकचेन को सपोर्ट करने के लिए सर्वर मैनेज किए. ये 24X7 काम करते हैं.”

ब्लॉकचेन को लेकर अभी उतनी जागरुकता नहीं है, खासकर एजुकेशन सेक्टर में. ऐसे में प्रदीप ने अपना खुद का फ्रेंचाइजी मॉडल बनाया है. अब उनके पास अपना खुद का प्रोडक्ट है, जिससे वे अलग-अलग सरकारों को सर्विस देते हैं. पहले ये इसके उलट था.

स्टार्टअप के काम करने के बारे में समझाते हुए प्रदीप बताते हैं,”स्कूल/यूनिवर्सिटी के डॉक्यूमेंट्स को वैरिफाई करने का काम मैनूअल या सेंट्रलाइज्ड सिस्टम में होता था. इसे हम पब्लिक डोमेन में ले जाकर ऑटोमेशन के जरिए 10 सेकण्ड में कर देंगे. यह बेहद कम खर्चीला होगा. हमारा दावा है कि ये 70 फीसदी तक किफायती होगा. इसके साथ ही हम डेटा प्राइवेसी और डेटा ऑनरशिप का भी पूरा ख़याल रखेंगे.”

New Edge Soft Sol ने महाराष्ट्र सरकार के साथ काम करने वाली कंपनी LegitDoc के साथ हाथ मिलाया है. LegitDoc बेंगलुरू स्थित स्टार्टअप है जो New Edge की तरह ही, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए डॉक्यूमेंट्स को वैरिफाई करने का काम करता है.

इस पार्टनरशिप के बारे में जानकारी देते हुए, प्रदीप कहते हैं, “हम हार्डवेयर टेक्नोलॉजी में एक्सपर्ट हैं, और वे [LegitDoc की टीम] सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी में. इस तरह यह पार्टनरशिप इस बड़ी समस्या को सॉल्व कर रही है.”

ब्लॉकचेन ओपन-सॉर्स है. जहां कोई भी आपकी सर्विस का लाभ ले सकता है. इसके लिए वह आपको पेमेंट भी करेगा. ये पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी में होता है. हालांकि, प्रदीप इस सॉल्यूशन पर काम कर रहे हैं कि ये पेमेंट INR [भारतीय मुद्रा रुपए] या फिर USD[अमेरिकी डॉलर] में मिल जाए.

इन्फ्रास्ट्रक्चर-एज-ए-सर्विस मॉडल कैसे काम करता है, इसके बारे में समझाते हुए, प्रदीप बताते हैं, “जो लोग माइनिंग [क्रिप्टो] करना चाहते हैं, या ब्लॉकचेन सर्वर इंस्टॉल करना चाहते हैं; हम ऐसे लोगों को कंसल्टेंसी सर्विस, हार्डवेयर प्रोक्योरमेंट सर्विस, इंजीनियरिंग, मेंटेनेंस आदि बीते एक साल से प्रोवाइड कर रहे हैं.”

प्रदीप आगे बताते हैं, “एजुकेशन सेक्टर में हम पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. हम इसके लिए कोर्स तैयार कर रहे हैं. अब IIT-कानपुर में डिग्री/डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन का काम ब्लॉकचेन पर ही हो रहा है. हाल ही में CBSE (Central Board of Secondary Education) ने भी घोषणा की है कि यह भी अपने सारे डॉक्यूमेंट्स ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के जरिए ही वैरिफाई करेगा.”

बेंगलुरु स्थित LegitDoc महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में ब्लॉकचेन के जरिए 65,000 जाति प्रमाण पत्र जारी करने की राज्य सरकार की पहल को साकार करने में मदद कर रहा है. इसमें लगभग 70 प्रतिशत आदिवासी आबादी है.

जालसाजी को रोकने के लिए ब्लॉकचेन पर जाति प्रमाण पत्र तैयार किए जाते हैं. भले ही महाराष्ट्र के पास उन्हें जारी करने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, अधिकांश लोगों के पास जाति प्रमाण पत्र की हार्ड कॉपी हैं, जिससे ऑथेंटिकेट और वैरिफाई करना मुश्किल हो रहा है.

प्रदीप ने टीम साइज के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक टीम में 4 फुल टाइम एम्पलॉई है और कुछ फ्रीलांसर भी हैं. अब टीम के विस्तार की भी योजना है. हालांकि ज्यादातर प्रोसेस ऑटोमेशन पर है; इसलिए टीम ज्यादा बड़ी नहीं है.

अभी तक स्टार्टअप पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड है. यानि कि फाउंडर ने निजी निवेश किया है. उन्होंने करीब 10 लाख रुपये का हार्डवेयर खरीदा और बाकी इन्फ्रास्ट्रक्चर पहले से ही था.

चैलेंज के बारे में पुछने पर प्रदीप बताते हैं, “इस सेक्टर में प्रशिक्षित मैन-पावर की कमी है. टेक्नोलॉजी डायनामिक है, अर्थात हर रोज चीजें बदल रही है. अपडेशन ज्यादा है. एक बार पैठ जमा ली तो ठीक, वर्ना बड़े प्लेयर्स के आने के बाद मुश्किलें बढ़ जाएंगी.”

वे आगे बताते हैं, “AICTE (All India Council for Technical Education) ने हाल के वर्षों में अपने कोर्स में 20 इनोवेटिव प्रोग्राम जोड़े हैं. ब्लॉकचेन इनमें से एक है. एक सेमेस्टर में क्रिप्टोकरेंसी, बिटकॉइन, माइनिंग आदि के बारे में पढ़ाया जाता है. स्टूडेंट्स अब जागरुक हो रहे हैं. वे अब स्पेशलाइजेशन कर रहे हैं. मशीन लर्निंग (ML), रोबॉटिक्स, ब्लॉकचेन आदि उभरती टेक्नोलॉजी में शानदार रूझान देखने को मिल रहे हैं.”

प्रदीप कहते हैं, “हार्डवेयर, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सर्विस रेंट हमारा रेवेन्यू मॉडल है.”

USP (unique selling proposition) के बारे में जानकारी देते हुए, वे बताते हैं, “हम हार्डवेयर बेचने के साथ-साथ उसे मैनेज, मेंटेनेंस की भी सर्विस दे रहे हैं. इसके अलावा हम हर समय लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ अपडेटेड रहते हैं.”

क्रिप्टो के भविष्य को लेकर प्रदीप बेहद आशावादी हैं. वे कहते हैं, “आने वाले समय में चीजें और भी बेहतर होंगी. सरकार की तरफ से भी, RBI (Reserve Bank of India) की तरफ से भी. नई चीजों को समझने और उन्हें अपनाने में वक्त तो लगता ही है. मेरा मानना है कि सरकार ने जो टैक्स लगाए हैं, वो सही है. उनमें सुधार भी हुआ है. GST (Goods and Services Tax) का ही उदाहरण ले लीजिए. धीरे-धीरे लोगों ने इसे अपनाया है. इसमें भी सुधार हुए हैं. बस नियमों का पालन करें और टैक्स अदा करें.”

अंत में New Edge Soft Sol की भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए प्रदीप नरवाल बताते हैं, “आने वाले समय में हम 2-3 राज्यों के शिक्षा बोर्ड के साथ मिलकर ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के जरिए डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन प्रोसेस को इंप्लीमेंट करना चाहते हैं. करीब 10 यूनिवर्सिटी में कोर्स शुरू करेंगे. हम हरियाणा के अलावा अब गुड़गांव, नोएडा और दिल्ली-एनसीआर में भी विस्तार की योजनाएं बना रहे हैं.”

Markets And Markets की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में ब्लॉकचेन मार्केट का आकार 4.9 बिलियन डॉलर था. 2026 तक इसके पर 67.4 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है; 68.4% की CAGR (Compound Annual Growth Rate) से.