पाम ऑयल पर टैक्स बढ़ाएगी सरकार? कई चीजें हो सकती हैं महंगी, जानिए कैसे होता है इस तेल का प्रोडक्शन
मोदी सरकार पाम ऑयल के आयात पर लगने वाला टैक्स बढ़ा सकती है. इससे खाने के तेल समेत कई चीजों के दाम बढ़ सकते हैं. आइए समझते हैं कैसे होता है पाम ऑयल का प्रोडक्शन.
भारत सरकार (Modi Govt) आने वाले दिनों में पाम ऑयल (Palm Oil) के आयात पर टैक्स (Tax) बढ़ा सकती है. खाद्य तेल उद्योग ने गिरते हुए तिलहन के दामों को समर्थन देने के लिए सरकार से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और गंधहीन पाम तेल (आरबीडी) के आयात पर कम से कम 10 फीसदी का टैक्स लगाने की मांग की है. बता दें कि खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर काबू रखने के लिए सरकार ने कुछ समय पहले टैक्स को खत्म कर दिया था. अभी सीपीओ पर 5 फीसदी का उपकर (Agriculture Infrastructure and Development Cess) लगता है, जबकि आरबीडी के आयात पर 12 फीसदी का टैक्स लगता है.
पाम ऑयल पर टैक्स बढ़ाने का क्या होगा असर
अगर सरकार पाम ऑयल पर टैक्स बढ़ाती है तो इससे पाम ऑयल महंगा हो जाएगा. इसका फायदा तिलहन की खेती करने वाले घरेलू किसानों को भी होगा, क्योंकि फिर घरेलू तेलों की मांग में भी तेजी देखने को मिलेगी. यानी पाम ऑयल पर टैक्स बढ़ाने के फैसले से भारत के किसानों को फायदा होगा.
कई चीजों की बढ़ जाती है लागत, दाम भी बढ़ सकते हैं
वैसे तो पाम ऑयल का इस्तेमाल खाने के तेल की तरह खूब होता है, लेकिन इसका इस्तेमाल कई तेलों में ब्लेंडिंग के लिए भी किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि पाम ऑयल का अपना कोई रंग, खुश्बू, स्वाद नहीं होता, ऐसा में वह आसानी से किसी भी तेल के साथ मिलाया जा सकता है. इतना ही नहीं, पाम ऑयल से शैंपू, नहाने के साबुन, टूथपेस्ट, विटामिन की गोलियां, मेक-अप की चीजें भी बनती हैं. चॉकलेट इंडस्ट्री में पाम ऑयल का काफी इस्तेमाल होता है. पेट्रोल-डीजल में जो जैविक ईंधन या बायो-फ्यूल मिलाया जाता है, वह दरअसल पाम ऑयल ही होता है. बता दें कि दुनिया भर में बहुत सारे घरेलू उत्पादों में पाम ऑयल इस्तेमाल होता है, ऐसे में इसकी कीमतें बढ़ने का इन सभी पर असर होता है.
कितना पाम ऑयल आयात करता है भारत?
मौजूदा समय में भारत अपनी जरूरत का करीब 70 फीसदी खाद्य तेल मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, रूस और यूक्रेन जैसे देशों से आयात करता है. दिलचस्प है कि इसमें करीब दो तिहाई हिस्सा तो सिर्फ पाम तेल का है. पाम ऑयल के उत्पादन के मामले में इंडोनेशिया दुनिया में नंबर-1 है. इंडोनेशिया के कुल निर्यात का करीब 4.5-5 फीसदी तो पाम ऑयल है, ऐसे में इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था में पाम ऑयल का बड़ा योगदान है. भारत जितना भी पाम ऑयल आयात करता है, उसका करीब 70 फीसदी तो सिर्फ इंडोनेशिया से आता है, जबकि बाकी का 30 फीसदी मलेशिया से आता है.
कैसे किया जाता है पाम ऑयल का प्रोडक्शन?
पाम ऑयल को पाम के फल से निकाला जाता है. इसका फल खजूर जैसा होता है और इसका पेड़ भी खजूर जैसा दिखता है. इसकी खेती बड़े-बड़े इलाकों में दूर-दूर तक होती है. इसकी खेती की एक अच्छी बात ये है कि इसकी पैदावार सरसों से तुलना में करीब 3 गुना होती है. यानी 1 एकड़ सरसों से खेती से आप जितना सरसों का तेल पा सकते हैं, उसकी तुलना में उतनी ही जगह में आप करीब 3 गुना पाम ऑयल हासिल कर सकेंगे. यही वजह है कि भारत सरकार भी इसकी खेती को भारत में बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. हालांकि, यहां एक बात ध्यान रखनी होगी कि यह तेल स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक माना जाता है.
कैसे निकाला जाता है पाम ऑयल?
इसकी खेती में सबसे पहले पाम के पौधे लगाए जाते हैं जो धीरे-धीरे पेड़ की शक्ल ले लेते हैं और उनके पाम के फल गुच्छों में लगते हैं. इन पाम के गुच्छों को परिपक्व हो जाने के बाद काट लिया जाता है. इन गुच्छों से पहले पाम के फल को को अलग किया जाता है और फिर एक कंटेनर में पानी डालकर उबाला जाता है. उबाले गए पाम को उसके बाद एक क्रशर में डालकर क्रश किया जाता है. क्रश हो चुके पाम को एक अलग कंटेनर में डालकर दबाया जाता है, जिससे उसमें से तेल निकलने लगता है. इस तेल को रिफाइन कर के बाजार में बेच दिया जाता है.
पाम ऑयल के फायदे-नुकसान भी जान लीजिए
सरसों तेल की तुलना में पाम ऑयल के इस्तेमाल से कोलेस्ट्रोल बहुत अधिक बढ़ने का खतरा रहता है. इसके अधिक सेवन से आपका दस्त और पेट दर्द जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं. ज्यादा मात्रा में इसका इस्तेमाल आपके दिल को नुकसान पहुंचा सकता है. पाम ऑयल को पचाने में हमारे लीवर पर बहुत दिक्कत होती है. ऐसे में इसके अधिक सेवन से आपके लीवर को अधिक काम करना पड़ता है, जिससे आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है.