पीएम मोदी ने लॉन्च किया जन समर्थ पोर्टल, जनता के लिए क्या फायदा ?
पीएम मोदी ने वित्त मंत्रालय के ‘आइकॉनिक वीक’ में प्रधानमंत्री क्रेडिट-लिंक्ड सरकारी योजनाओं के लिए जन समर्थ पोर्टल की शुरुआत की और सिक्कों की नयी सीरीज़ भी जारी की. लेकिन देश की आम जनता को पोर्टल के जरिए क्या फायदा होगा ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वित्त मंत्रालय और कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के आइकॉनिक वीक समारोह का उद्घाटन किया. इसके साथ ही पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री क्रेडिट-लिंक्ड सरकारी योजनाओं के लिए जन समर्थ पोर्टल (Jan Samarth Portal) की शुरुआत की और सिक्कों की नयी सीरीज़ भी जारी की.
जन समर्थ पोर्टल का उद्देश्य
इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य नागरिकों के लिए सभी योजनाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर सभी योजनाओं की पहुंच को डिजिटल माध्यमों से और आसान व सरल बनाना है. यह पोर्टल सभी लिंक्ड योजनाओं की कवरेज सुनिश्चित करता है. इसका मतलब है कि अब आप भारत सरकार की मुद्रा लोन, स्टार्टअप, कृषि या एजुकेशन लोन से जुडी 13 महत्वपूर्ण क्रेडिट-लिंक्ड गारंटी स्कीम से जुड़ी अहम जानकारी एक ही सरकारी पोर्टल पर हासिल कर सकते हैं.
जनसमर्थ पोर्टल को लॉन्च करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "जनसमर्थ पोर्टल के माध्यम से अब देश के युवाओं को, मध्यम वर्ग को एण्ड-टू-एण्ड डिलिवरी का एक बड़ा प्लेटफॉर्म मिला है और अब लोन लेने में आसानी होगी. कम से कम प्रक्रियाएं होंगी तो ये भी स्वभाविक है कि ज्यादा से ज्यादा लोग लोन लेने के लिए आगे आएंगे. शुरुआत में वित्त मंत्रालय ने 13 सरकारी क्रेडिट लिंक्ड गारंटी से जुड़ी योजनाओं को जनसमर्थ पोर्टल से जोड़ने का फैसला किया है."
क्या कहता है वित्त मंत्रालय ?
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, जनसमर्थ पोर्टल पर 13 क्रेडिट मुहैया कराने वाली सरकारी योजनाओं का आवेदन जमा करने के लिए सिंगल विंडो फैसिलिटी उपलब्ध है. 4 कैटेगरी के तहत लोन दिया जाएगा. आवेदकों के पास 125+ सरकारी और निजी मनी लेंडिंग संस्थाओं से सुविधा लेने का विकल्प होगा. जनसमर्थ पोर्टल आवेदक की योग्यता चेक करने के बाद उसे मंज़ूर कर उसके द्वारा चुने हुए बैंक के पास भेज देगा.
आपको बता दें कि जनसमर्थ पोर्टल फाइनेंशियल और कॉर्पोरेट गवर्नेंस को और कारगर और मज़बूत बनाने की दिशा में एक कदम है. सरकार का दावा है कि इसकी मदद से लोन प्रोसेस करने की प्रक्रिया तेज़ होगी, और बैंकों का चक्कर लगाने की ज़रुरत नहीं होगी. अब देखना अहम होगा कि आम लाभार्थी के लिए ये नयी व्यवस्था कितनी कारगर साबित होती है.