इन्वेस्टमेंट बैंकर से गेमिंग आंत्रप्रेन्योर बनने तक: परिणीता राजगढ़िया के सफर की कहानी
YourStory के साथ बातचीत में, परिणीता राजगढ़िया, जो कि एक इन्वेस्टमेंट बैंकर, मॉमप्रेन्योर रही है, अब गेमिंग आंत्रप्रेन्योर बनने की अपनी यात्रा के बारे में बात करती हैं।
रविकांत पारीक
Wednesday June 02, 2021 , 5 min Read
जब परिणीता राजगढ़िया 2019 में दक्षिण पूर्व एशिया में छुट्टियां मनाने गईं, तो उन्हें जीरो लेटेंसी (Zero Latency), वेयरहाउस-स्केल, फ्री रोम, मल्टी-प्लेयर वर्चुअल रियलिटी एंटरटेनमेंट से परिचित कराया गया। इतने बड़े पैमाने पर वीआर गेमिंग का यह उनका पहला अनुभव था।
परिणीता कहती हैं, "मुझे यह बेहद पसंद आया और मुझे पता था कि मुझे यही करना है। मुंबई लौटने पर, मैं जीरो लेटेंसी के संपर्क में आई, जो ऑस्ट्रेलिया में स्थित है, और इसे भारत में शुरू करने का विचार रखा।”
वह आगे कहती हैं, "फ्री-रोम वर्चुअल रियलिटी यूजर्स को एक खुली जगह में स्वतंत्र रूप से घूमने और केबल और अन्य मोबाइल उपकरणों से विवश नहीं होने का विचार मेरे लिए नया था।"
इसने उन्हें 2019 में मुंबई में Samrey Entertainment शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
IBS हैदराबाद से MBA कर चुकी, परिणीता ने अपनी गर्भावस्था तक एक इन्वेस्टमेंट बैंकर के रूप में काम किया। अपने मातृत्व के दौरान, उन्होंने Needle Art की स्थापना की, जो एक कंपनी है जो महिलाओं और बच्चों के लिए कस्टम कढ़ाई वाले फैशन (इंडो-वेस्टर्न और वेस्टर्न) की पेशकश करती है। जबकि परिणीता के लिए आंत्रप्रेन्योरशिप कोई नई बात नहीं थी, लेकिन गेमिंग सेक्टर नया था।
वह कहती हैं, "यह कुछ क्रांतिकारी है और वीआर गेमिंग का भविष्य है, और इसी तरह से इसे भारत में लाने का विचार आया और यहां हम हैं - मुंबई में क्रांतिकारी अनुभव के साथ। इसलिए मैंने पहली बार भारत में 'फ्री रोम वर्चुअल रियलिटी' अनुभव लाने के लिए लाइसेंस प्राप्त पार्टनर Samrey Entertainment शुरू करने का फैसला किया।
जीरो लेटेंसी ने एक ही समय में एक ही गेम में अधिकतम 8 खिलाड़ियों को समायोजित करके वीआर अनुभव में सामाजिक तत्व को शामिल किया है। मार्च 2021 तक, 22 देशों में 46 स्थानों पर जीरो लेटेंसी मौजूद है।
गेमिंग क्यों?
परिणीता कहती हैं, “मनोरंजन और बाहरी गतिविधियाँ सीमित हैं, लेकिन एक गेमिंग गतिविधि स्पष्ट रूप से बहुत अधिक जुड़ाव और सहभागिता लाती है। भारत में गेमिंग का चलन शुरू हो गया है। शुरू में हमें लगता था कि यह बच्चों तक ही सीमित था, लेकिन ऐसा नहीं है जब हम देखते हैं कि PUBG जैसे इंटरैक्टिव गेम ने लोगों को कैसे प्रभावित किया। यह सामाजिक तत्व है जो गेमिंग का मूल है। ये अनुभव अमेरिका, यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया में पहले से मौजूद हैं, और अब भारत में भी आ रहा है।”
वह आगे कहती हैं, "ये अनुभव जीवन की तरह हैं जहां खिलाड़ी बहुत ही सामाजिक वातावरण में खेलते हैं। इस पल आप अपनी दुनिया में रह रहे हैं, अगले ही पल में आप एक आभासी दुनिया में खो गए हैं।”
लेकिन यह काम शुरू में चुनौतीपूर्ण था क्योंकि मुंबई में फ्री रोमिंग वीआर स्पेस के लिए जगह ढूंढना कठिन था। परिणीता कहती हैं, "फिर भी मुझे पूरा यकीन था कि इसकी जरूरत थी। इसका मतलब था कि अगर हम अनुपालन (compliances) का निर्माण कर सकते हैं तो विभिन्न स्थानों और समझ से गुजरना होगा। हमने आखिरकार मुंबई में जगह बनाने का फैसला किया, और हमने 2019 के अंत में ग्रोथ देखी।”
जगह खोजने के अलावा, कुछ और बातें थी जिनका सामना परिणीता को एक महिला आंत्रप्रेन्योर के रूप में करना पड़ा। परिणीता कहती हैं, "लोग आमतौर पर गेमिंग को लड़कियों के साथ नहीं जोड़ते हैं। इसलिए हर बार जब मैं लोगों से बात करती, तो वे सोचते कि मैंने गेमिंग को क्यों चुना। लेकिन मैंने किसी भी चीज को परेशान नहीं होने दिया और मैं जो कर सकती थी, वह करती रही। युवा लड़कियों को यहां अपनी बर्थडे पार्टीज मनाते हुए देखना बेहद खुशी की बात है।"
महामारी का प्रभाव
जब बिजनेस बढ़ रहा था, महामारी फैल गई और महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक रहा है। परिणीता बताती हैं कि जिस मिनट से बिजनेस शुरू हुआ, उनके पास क्रिकेटर एमएस धोनी जैसी हस्तियां आईं और बाद में राज्य पूरी तरह से लॉकडाउन में था।
परिणीता कहती हैं, "महामारी का प्रभाव ज्यादा था, लेकिन यहीं पर मेरा इन्वेस्टमेंट बैंकिंग का अनुभव मेरे लिए मददगार साबित हुआ। हम मितव्ययी रहे हैं और हमारी टीम छोटी थी, इसलिए हम आगे बढ़ने और मैनेज करने में सक्षम रहे हैं। जब चीजें धीरे-धीरे सुधरने लगीं, तो दूसरी लहर ने हम पर प्रहार किया और हमें ऑपरेशन बंद करने पड़े। हालांकि, हमने हर संभव सुरक्षा और अनुपालन सावधानी बरती है। ये, वास्तव में, पहले से ही मौजूद थे। बैकपैक्स को हर बार उपयोग के बाद साफ किया जाता है, और जैकेट और गियर भी हैं। पूरी जगह को सैनेटाइज़ कर दिया गया है।"
हालांकि वह मानती हैं कि यह सेगमेंट हिट हो गया है, उनके पास वर्तमान में डिजिटल होने की कोई योजना नहीं है। परिणीता का कहना है कि खेल विशुद्ध रूप से वीआर स्पेस में अनुभव पर आधारित हैं। चूंकि ये नॉन-केबल रन गेम हैं, इसलिए ये अलग हैं।
IBEF रिसर्च के अनुसार, भारत में गेमिंग इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है और 2030 तक इसकी साइज 3.7 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। Escape Rooms जैसे स्टार्टअप भी भारत में विभिन्न सिमुलेटेड गेमिंग इनिशिएटिव लाने के लिए काम कर रहे हैं।
परिणीता कहती हैं, "हमारा मानना है कि यहां एक बड़ा बाजार है, और एक बार जब शहर फिर से खुल जाएगा, तो लोग बाहर निकलने के रास्ते तलाशेंगे।"
Edited by Ranjana Tripathi