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स्टैनफोर्ड के छात्रों से बोले पीयूष गोयल - भारत का अर्थ है अवसर; यह केवल भारत का दशक नहीं, बल्कि भारत की सदी है

तेजी से उद्यमी और स्टार्टअप चैम्पियन बनते भारतीय युवाओं पर भरोसा व्यक्त करते हुये गोयल ने कहा कि भारत की नई शिक्षा नीति उदार शिक्षा को गति दे रही है तथा इसके तहत दुनिया के बेहतरीन शिक्षा संस्थानों के साथ सहयोग करने का प्रयास किया जा रहा है.

स्टैनफोर्ड के छात्रों से बोले पीयूष गोयल - भारत का अर्थ है अवसर; यह केवल भारत का दशक नहीं, बल्कि भारत की सदी है

Wednesday September 07, 2022 , 5 min Read

वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने आज कहा कि ‘भारत का अर्थ है अवसर.’ उन्होंने कहा कि यह केवल भारत का दशक नहीं, बल्कि भारत की सदी है. वे आज सैन फ्रांसिस्को में स्टैनफोर्ड (Stanford ) ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस के छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत कर रहे थे.

गोयल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों का कालखंड भारत ने एक ऐसी बुनियाद रखने में लगाया, जिसके आधार पर देश तेजी से बदल सके, अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ा सके, अपनी प्रणालियों में सुधार कर सके, टेक्नोलॉजी के साथ जुड़ सके और दुनिया की बेहतरीन चीजों से सीख ले सके. उन्होंने जोर देते हुये कहा कि भारत अपने हर नागरिक, देश में जन्म लेने वाले हर बच्चे के लिये बेहतर जिंदगी और उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के लिये जबरदस्त काम कर रहा है.

भारत का निर्यात पिछले वित्तवर्ष में ही 675 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर चुका था, जिसका उल्लेख करते हुये पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अब 2030 तक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को दो ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने की परिकल्पना कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि भारत जब अपना 100वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा होगा, तब तक वह 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन चुका होगा. उन्होंने कहा कि यह केवल भारत का दशक नहीं, बल्कि भारत की सदी है.

तेजी से उद्यमी और स्टार्टअप चैम्पियन बनते भारतीय युवाओं पर भरोसा व्यक्त करते हुये गोयल ने कहा कि भारत की नई शिक्षा नीति उदार शिक्षा को गति दे रही है तथा इसके तहत दुनिया के बेहतरीन शिक्षा संस्थानों के साथ सहयोग करने का प्रयास किया जा रहा है.

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गोयल ने कहा भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के भविष्य के परिकल्पना और योजना को आकार दिया है, जो कुछ ठोस प्रबंधन सिद्धांतों पर आधारित है. उन्होंने एलईडी प्रकाश क्रांति का उदाहरण दिया और कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री ने निरंतरता सुनिश्चित करने, बिजली सेक्टर में हमारे निवेश के बोझ को कम करने और आम जन के बिजली के बिलों में कटौती लाने के लिये बिजली संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया था. इस तरह 2015 में एलईडी प्रकाश कार्यक्रम आरंभ हुआ.

गोयल ने कहा कि अत्यंत महंगे एलईडी बल्बों की खरीद के लिये सब्सिडी वापस लेने का प्रधानमंत्री का निर्णय देश में एलईडी प्रकाश को प्रोत्साहन देने वाला निर्णायक पल था. उस समय सरकार सभी हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा कर रही थी, जिसमें आयातकों से लेकर वितरक और आपूर्तिकर्ता शामिल थे. इस तरह कार्यक्रम के पहले ही वर्ष एलईड़ी बल्बों की कीमत को 85 प्रतिशत तक कम करने में सफलता मिली थी. उन्होंने कहा कि यह काम लागत कम करके और उत्पादन बढ़ाकर तथा आपूर्तिकर्ताओं की कुछ दिक्कतों को दूर करके पूरा किया गया.

पीयूष गोयल ने कहा कि भारत ने कई प्रबंधन सिद्धांतों का सफल उपयोग किया है, जैसे गहरा मूल्यांकन, नवाचारी वित्तपोषक मॉडल, लागत कम करना-उत्पादन बढ़ाना आदि. इस तरह एलईडी प्रकाश कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित की गई. उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम की बदौलत ही भारत ने लगभग 80 मिलियन टन सीओ2 उत्सर्जन की बचत करने में सफलता पाई. श्री गोयल ने कहा कि एक समय था जब भारत एलईडी बल्बों को आयात करता था, लेकिन अब देश में उच्च गुणवत्ता के एलईडी बल्ब बनाने वाले बहुतेरे निर्माता हैं. आज बल्ब पूरी दुनिया को निर्यात किये जाते हैं.

एक अकेले कार्यक्रम से आने वाले भारी बदलाव को रेखांकित करते हुये गोयल ने कहा कि भारत अब ऐसे सैकड़ों परिवर्तनगामी कार्यक्रम बना रहा है. भारत की फिनटेक सफलता का हवाला देते हुये गोयल ने कहा कि सभी डिजिटल लेनदेन का लगभग 40 प्रतिशत आज भारत से बाहर हो रहा है, यहां तक ​​कि छोटे विक्रेता भी डिजिटल भुगतान स्वीकार कर रहे हैं.

भारत की तरफ से विश्व को असाधरण अवसरों की पेशकश का उल्लेख करते हुये गोयल ने स्टैनफोर्ड के छात्रों को आमंत्रित किया कि वे भारत के साथ जुड़ें और महान आकांक्षायें रखने वाले एक अरब से अधिक लोगों के साथ काम करें.

पीयूष गोयल ने कहा है कि अमेरिका में प्रवासी भारतीय 'वसुधैव कुटुम्बकम' (पूरा विश्व एक परिवार है) दर्शन के सच्चे दूत हैं. उन्होंने अमेरिका में भारतीय समुदाय के अभूतपूर्व मूल्य निर्माण तथा इसे साझेदारी, नई तकनीकों और नए विचारों के माध्यम से योगदान और समर्थन के जरिये भारत को वापस देने के लिए सराहना की. उन्होंने सैन फ्रांसिस्को में सामुदायिक स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही.

गोयल ने सैन फ्रांसिस्को में 'इंडिया-यूएस स्टार्टअप सेतु' (बदलाव और कौशल उन्नयन के लिए उद्यमियों का समर्थन) को लॉन्च किया. सेतु के बारे में गोयल ने कहा कि यह भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच एक सेतु का काम करेगा और उद्यमियों को बदलाव व कौशल उन्नयन में मदद करेगा तथा यूएस में प्रवासी भारतीय की सफलता की कहानियों से प्रेरणा प्राप्त करने में समर्थन प्रदान करेगा. गोयल ने कहा कि समर्थन, मार्गदर्शन, पैसों की कमी के कारण स्टार्टअप्स से सम्बंधित कुछ अच्छे विचार आगे नहीं बढ़ पाते हैं. उपस्थित लोगों से इस पहल में भाग लेने का आग्रह करते हुए गोयल ने कहा कि यह अमेरिका में भारतीयों के लिए, भारत के मेधावी लोगों को समर्थन प्रदान करके देश को कुछ वापस देने का अवसर है.

गोयल ने कहा कि भारत बेहतर के लिए बदल रहा है, यह आज बहुत अधिक आत्मविश्वासी है, बहुत अधिक आत्मनिर्भर है एवं और अधिक की आकांक्षा रखता है. उन्होंने अगले 25 वर्षों में विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में भारत की यात्रा में प्रवासी भारतीयों से सहयोग देने और भागीदारी करने का आग्रह किया.