100 करोड़ लोगों के कोविड टीके के बाद, अब पोलियो, ब्लड डोनेशन और दवा मंगाने के भी काम आएगा CoWin ऐप
हाल ही में CoWin के जनक आरएस शर्मा ने YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ कोविन प्लेटफॉर्म और कोविड के बाद इसके भविष्य को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि महामारी के बाद यह प्लेटफॉर्म कैसे और किन-किन क्षेत्रों में काम आ सकता है.
भारत का कोविड-19 टीकाकरण कवरेज आज सुबह 7 बजे तक अंतिम रिपोर्ट के अनुसार 213.72 करोड़ (2,13,72,68,615) से अधिक हो चुका है. CoWin (Covid Vaccine Intelligence Network) प्लेटफॉर्म ने देशव्यापी टीकाकरण के महाअभियान में बड़ी अहम भुमिका निभाई है. 16 जनवरी, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविन को वर्चुअली लॉन्च किया था. इस ऐप को चलाने के साथ-साथ भविष्य में इससे जुड़े हर सवाल की जवाबदेही थी डॉक्टर राम सेवक शर्मा की. डॉक्टर आरएस शर्मा यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया यानी आधार कार्ड की सेवा देने वाली UIDAI के पूर्व सीईओ, टेलिकॉम रेगुलेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (TRAI) के पूर्व चेयरमैन और फ़िलहाल नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) के सीईओ हैं.
कोविन की कहानी शुरू महामारी से हुई थी, मगर सफर अभी लंबा है. हाल ही में आरएस शर्मा ने YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ कोविन प्लेटफॉर्म और कोविड के बाद इसके भविष्य को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि महामारी के बाद यह प्लेटफॉर्म कैसे और किन-किन क्षेत्रों में काम आ सकता है.
आरएस शर्मा YourStory से हुई बातचीत में बताते हैं, "आने वाले समय में कोविन का इस्तेमाल बदल जाएगा. जैसे बच्चों का वैक्सिनेशन हमेशा होना ही होता है. कोविन की सुविधा से वो वैक्सीन बुक हो पाएगी. दूसरा ये भी होगा कि कोविन उन्हें रिमाइंडर भेजेगा कि पोलियो या किसी और वैक्सीन का वक़्त आ गया है. इससे बच्चे का वैक्सिनेशन रिकॉर्ड सुरक्षित बना रहेगा. इसके साथ ही ब्लड डोनेशन के लिए कोविन पर रजिस्टर कर सकेंगे. डोनेशन के बाद कोविन से सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकेंगे. इसके साथ ही खून की उपलब्धता चेक कर सकेंगे. कि किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति के लिए उससे मेल खाता ब्लड कहां उपलब्ध है. इसी तरह ऑर्गन डोनेशन की भी जानकारी मिल सकेगी."
कोविन ऐप पर लॉग इन करने के बाद अब यूजर को ABHA (आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट) नंबर क्रिएट करने का विकल्प मिलता है. शर्मा कहते हैं, "आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का मुख्य उद्देश्य ये है कि हेल्थ सेक्टर को डिजिटल कैसे बनाया जाए. हम भविष्य में ऐसी सुविधा क्रिएट करना चाहते हैं जिससे हर व्यक्ति के हेल्थ रिकॉर्ड एक ही खाते में उपलब्ध रहें. चाहे वो कहीं भी कंसल्ट कर रहे हों, उनके रिकॉर्ड एक ही जगह जमा हों. उनके हेल्थ रेकॉर्ड्स को हम आधार से लिंक कर देंगे, जिससे भविष्य में कभी भी उनसे कोई रिकॉर्ड गुम न हों. यहां न सिर्फ लोग अपने हेल्थ रिकॉर्ड डाउनलोड कर पाएंगे बल्कि वे इसे डिजिटल फॉर्म में डॉक्टर के साथ शेयर भी कर पाएंगे. ठीक इसी तरह दवा का प्रिस्क्रिप्शन भी फार्मेसी से शेयर कर सकेंगे और दवाएं मंगवा सकेंगे. हर एक रिकॉर्ड डिजिटल रूप से वेरीफाई होगा. ये सारा काम आयुष्मान भारत का एक हेल्थ रिकॉर्ड कर पाएगा. जैसे UPI आपके लिए एक एड्रेस बनाता है, ये आपका हेल्थ एड्रेस है.”
कभी बेगुसराय, धनबाद और पूर्णिया जैसे ज़िलों के डीएम रहे आरएस शर्मा को यकीन है कि इंडिया जैसे देश में भी संपूर्ण डिजीटाइज़ेशन संभव है. 80 के दशक से कंप्यूटर के इस्तेमाल की वकालत करने वाले डॉक्टर शर्मा ने ये काम आधार से शुरू किया था जिसकी डिटेल्स उनकी किताब ‘मेकिंग ऑफ़ आधार: वर्ल्ड्स लार्जेस्ट आइडेंटिटी प्लेटफ़ॉर्म’ में मिलते हैं.
कोविन की तरह ही डॉक्टर शर्मा के साथ वर्तमान और भविष्य की सरकारों के लिए आगे की राह चुनौतियों भरी होने वाली है. लेकिन उस दिन की कल्पना करना भी रोमांचक है जब देश के आखिरी नागरिक तक के हेल्थ रिकॉर्ड उनके फोन में डिजिटल रूप से उपलब्ध होंगे.
Edited by रविकांत पारीक