प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट में निवेश समय की जरूरत, ईकोसिस्टम में स्टार्टअप्स के लिए हैं ढेरों मौकेः रिपोर्ट
मैरिको फाउंडेशन की ओर से बुधवार को “Innovation in Plastic: The Potential and Possibilities नाम से जारी एक रिपोर्ट में प्लास्टिक से जुड़ी चुनौती, इनसाइट के साथ ही ऐसे 15 इनोवेटर्स की भी लिस्ट जारी की गई है जो इनोवेशन के जरिए प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट की परेशानी को हल करने की कोशिश कर रहे हैं.
प्लास्टिक ने हमारे चारों तरफ अपनी अमिट जगह बना ली है. बड़े शहरों में कचरे के बने पहाड़ों में तो समुद्र की लहरों में तो छोटे शहरों में जगह-जगह मिट्टी की परतों के बीच. इंडिया 130 करोड़ से ऊपर की आबादी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए प्लास्टिक की डिमांड भी बढ़ती जा रही है.
मैरिको फाउंडेशन की ओर से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्लास्टिक की खपत 2016-17 में 14 मिलियन टन थी जो 2019-20 में बढ़कर 20 मिलियन टन पर पहुंच गई. इतना ही नहीं इसमें 10 फीसदी CAGR की रेट से तेजी दर्ज की जा रही है.
मैरिको इनोवेशन फाउंडेशन के फाउंडर और मैरिको लिमिटेड के चेयरमैन हर्ष मारियावाला ने बुधवार इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ने के साथ प्लास्टिक वेस्ट भी उसी तेजी से बढ़ रहा है. 2016-20 के बीच इंडिया में प्लास्टिक वेस्ट आउटपुट सीधा दोगुना हो गया.
आने वाले सालों में ये वेस्ट कई गुना रफ्तार से बढ़ेगा जिसके नुकसान हमें आज ही नजर आने लगे हैं. इससे निपटने के लिए सभी आम आदमी से लेकर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, राज्य-केंद्र सरकार और आंत्रप्रेन्योर सभी स्टेकहोल्डर्स को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. ताकि अधिक से अधिक प्लास्टिक वेस्ट को रिसाइकल, रियूज या अपसाइकल किया जा सके और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोका जा सके.
लोगों के बीच इसी जागरूकता को लाने के लिए मैरिको फाउंडेशन ने प्रैक्सिस और IISC के साथ मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में प्लास्टिक की वैश्विक चुनौती और उससे जुड़े अहम बिंदुओं के साथ ही ऐसे 15 इनोवेटर्स की भी लिस्ट जारी की गई है जो अपने इनोवेशन के जरिए प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट की परेशानी को हल करने की कोशिश कर रहे हैं.
इस रिपोर्ट को जारी करते हुए मैरिको इनोवेशन फाउंडेशन के गवर्निंग काउंसिल चेयरपर्सन और पद्म विभूषित रघुनाथ माशेलकर ने कहा कि अन्य देशों में प्लास्टिक के इस्तेमाल को हतोत्साहित करने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा चुके हैं और वो कारगर भी साबित हो रहे हैं. मगर हमें समझना होगा भारत में विविध आबादी है और यहां के लिए अलग तरह की तकनीक या मिशन लाने होंगे.
स्वच्छता भारत अभियान की तरह ही सोशल एंगेजमेंट का इस्तेमाल करके लोगों को जागरूक किया जा सकता है. उसके बाद टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और पॉलिसी के जरिए इसका स्तर और बढ़ाया जा सकता है.
मैरिको इनोवेशन फाउंडेशन के मानद चेयरमैन और बेन कैपिटल इंडिया ऑफिस के चेयरपर्सन डॉ. अमित चंद्रा ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि प्राइवेट सेक्टर के लिए इस सर्कुलर इकॉनमी में ढेरों मौके उपलब्ध हैं.
कुछ इनोवेटर्स पहले ही इन मौकों को पहचानकर काम शुरू भी कर चुके हैं. AI बेस्ड वेस्ट सेग्रीगेशन से लेकर इंटीग्रेटेड वेस्ट मैनेजमेंट और प्लास्टिक की रिसाइकलिंग जैसे मोर्चों पर कुछ स्टार्टअप्स ने काम शुरू किया है और काफी अच्छा काम कर रहे हैं.
लेकिन हैरत की बात है कि जितनी गंभीर ये समस्या है उस हिसाब से इस ईकोसिस्टम को फंडिंग नहीं मिल रही है. रिपोर्ट के मुताबिक इंडिया में सर्कुलर इकॉनमी को कैलेंडर ईयर 2020 में 33 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली थी जो कैलेंडर ईयर 2021 में घटकर 6 मिलियन डॉलर पर आ गई.
ऐसा नहीं है कि ये कंपनियां रेवेन्यू जेनरेट कर पाने में सक्षम नहीं हैं. डालमिया पॉलीप्रो जो एक प्लास्टिक वेस्ट रिसाइक्लर है उसने FY21 में 11.9 मिलियन डॉलर का रेवेन्यू जेनरेट किया है. वहीं रिकरॉन पैनल्स जो प्लास्टिक वेस्ट को अपसाइकल करके प्लाईवुड बनाती है उसने 0.7 मिलियन डॉलर का रेवेन्यू कमाया है.
इसलिए इस ईकोसिस्टम में सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए कुछ न कुछ जरूर है. मैं उम्मीद करता हूंं कि यह रिपोर्ट इंडिया में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट सेक्टर के प्रति निवेशकों और समाज दोनों के बीच जागरूकता लाने का काम करेगी.