पीएम मोदी ने देश से की ‘मन की बात’, कहा- कठोर कदमों के लिए माफी मांगता हूँ, लेकिन यह जरूरी था
इस रविवार पीएम मोदी ने देशवासियों से मन की बात करते हुए कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ जारी जंग को लेकर संबोधित किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने हर महीने होने वाली ‘मन की बात’ के 63वें संस्करण में इस रविवार देश को एक बार फिर से संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी की मन की बात में कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग पर मुख्यता से बात की।
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में लॉक डाउन का जिक्र करते हुए कहा कि वह इन कठोर कदमों के लिए माफी मांगते हैं, जिसके चलते खास कर गरीबों के लिए कठिनाई पैदा हुई हैं, लेकिन इस लड़ाई को जीतने के लिए इन कठोर कदमों की आवश्यकता थी। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में लोगों से गरीबों के प्रति संवेदनशील रहने की अपील की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा कि कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई जीवन और मृत्यु जैसी है, लेकिन भारत के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए कठोर फैसलों की आवश्यकता थी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्बोधन में एक बार फिर से लोगों से घरों पर रहने की अपील की है।
इस दौरान आगे बढ़कर लोगों की सेवा में लगे डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने उन्हे अग्रिम पंक्ति का सैनिक बताया।
मन की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना ज्ञान, विज्ञान, अमीर-गरीब सबको चुनौती दे रहा है, यह किसी क्षेत्र और मौसम में भी भेद नहीं करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जिन लोगों ने खुद को क्वारंटाइन किया है, लोगों को उनका सम्मान करना चाहिए। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ लोगों को अपने परिचितों के साथ समय बिताना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्बोधन में रामगप्पा तेजा का भी जिक्र किया, जो एक आईटी प्रोफेशनल हैं और कोरोना पॉज़िटिव पाये गए थे। रामगप्पा इसके बाद फौरन क्वारंटाइन में चले गए थे, उन्होने न सिर्फ कोरोना को हराया, बल्कि फिलहाल वे अकेले रहना पसंद कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में नरेंद्र मोदी ऐप पर लोगों की राय को भी साझा किया, जहां लोग सोशल डिस्टेन्सिंग और लॉक डाउन के बीच हुए लाभों को गिना रहे हैं। इसके पहले पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ के लिए देशवासियों से सुझाव भी मांगे थे।