वडनगर के बचपन से 'मोदी युग' के सूत्रपात तक पीएम नरेंद्र दामोदर दास मोदी
"17 सितंबर 1950 को वडनगर (गुजरात) में जनमे, इस उम्र में भी ऊर्जा से भरपूर अपनी दृढ़ता, परिपक्वता और कड़े फैसलों से पूरी दुनिया को लोहा मनवा चुके पीएम मोदी आज 69 साल के हो गए। आज गुजरात में अपनी मां से आशीर्वाद लेंगे। 22 सितंबर को अमेरिका में मेगा रैली 'हाउडी मोदी' को डोनाल्ड ट्रंप के साथ संबोधित करेंगे।"
17 सितंबर 1950 को वडनगर (गुजरात) में जनमे एवं अपनी दृढ़ता, परिपक्वता और कड़े फैसलों से पूरी दुनिया को लोहा मनवा चुके, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर 2019 को 69 साल के हो जाएंगे। अपने गृहप्रदेश में इस जन्मदिन पर (आज) वयोवृद्धा मां का आशिर्वाद लेने के साथ ही सरदार सरोवर बांध भी जाएंगे। इस साल अच्छी बारिश होने से पहली बार बांध का जल स्तर अपनी पूर्णता पर है। बांध की नींव 05 अप्रैल 1961 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी लेकिन इसका निर्माण 56 साल बाद पीएम मोदी के कार्यकाल में सितंबर 2017 में पूरा हुआ। यह बांध गुजरात की जीवनरेखा माना जाता है।
पीएम मोदी 22 सितंबर को ह्यूस्टन (अमेरिका) के एनआरजी स्टेडियम में आयोजित मेगा रैली 'हाउडी मोदी' ('हाउ डू यू डू' का शॉर्ट फॉर्म) में 50 हजार से ज्यादा भारतीयों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ संबोधित करेंगे। पीएम मोदी ने ट्वीट कर ट्रंप के प्रति प्रसन्नता जताते हुए लिखा है,
'इससे काफी खुश हूं। अमेरिका के राष्ट्रपति का यह फैसला भारत और अमेरिका के बीच खास दोस्ती का संकेत है।'
यूएस में भारतीय राजदूत हर्ष वर्धन ने इस इवेंट को ऐतिहासिक और अभूतपूर्व करार दिया है। नरेंद्र मोदी ने मई 2014 में पहली बार पीएम बनने के बाद सितंबर में अमेरिका के मशहूर मेडिसन स्क्वायर पर हजारों भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित किया था।
प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों को खास बनाने के पीछे एक खास शख्स, अप्रवासी भारतीयों को पार्टी से जोड़ने, भाजपा के विदेश मामलों के प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. विजय चौथाईवाले होते हैं। भाजपा से जुड़ने से पहले वह कॉरपोरेट सेक्टर में मॉलीक्यूलर बायोलॉजिस्ट थे।
वर्ष 2014 से ही विदेशों में मोदी के दौरे से कई महीने पहले मौके पर पहुंचकर डॉ. चौथाईवाले कैंपेनिग करते आ रहे हैं। इतिहास में पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साझा रैली करने जा रहे हैं। इस शो की सभी टिकटें अभी से बुक हो चुकी हैं। मोदी की मेगा रैली में ट्रंप के पहुंचने की घरेलू वजहें भी हैं। ट्रंप 2020 के चुनाव में अमरीका में रह रहे भारतीयों का समर्थन चाहते हैं, जो मोदी के बिना संभव नहीं बताया जा रहा है।
मोदी और ट्रंप की यह जुगलबंदी पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है। दरअसल, अमेरिका का चौथा सबसे बड़ा शहर होने के साथ ही ह्यूस्टन एनर्जी कैपिटल भी है। 130 करोड़ की आबादी वाला भारत ऊर्जा का बड़ा आयातक देश है और पहले से ह्यूस्टन से बड़ी मात्रा में तेल और गैस खरीदा जा रहा है। सऊदी की तेल कंपनी पर ड्रोन हमले के बाद अगर भारत की तेल सप्लाई प्रभावित होती है तो ह्यूस्टन से आपूर्ति बढ़ सकती है। ह्यूस्टन में डेढ़ लाख से ज्यादा भारतीय मूल के लोग रहते हैं। मोदी के मेगा शो में करीब 60 सांसदों में रिपब्लिकन और डेमोक्रैट्स दोनों पहुंच सकते हैं।
पीएम मोदी 21 सितंबर को अमेरिका रवाना होंगे। इस अवसर पर पीएम वहां संयुक्त राष्ट्र महासभा को भी संबोधित करेंगे। उससे पहले भारत के कई राजनेता अमेरिका के दौरे पर होंगे, जिनमें कांग्रेस के भी कई नेता शामिल हैं। 17 सितंबर को ही राजनेताओं और विदेश नीति एक्सपर्ट्स का ग्रुप अमेरिका पहुंच जाएगा, जिसमें कांग्रेस नेता मनीष तिवारी, जयवीर शेरगिल, बीजेपी के राजीव प्रताप रुडी, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी आदि शामिल हैं।
निजी जीवन में भी हैंडसम पीएम मोदी की लोकप्रियता के ड्रेसिंग स्टाइल, संतुलित आहार, व्यायाम आदि कई जादुई पहलू हैं। उनकी ड्रेसिंग स्टाइल युवाओं को रिझाती रहती है। 'मोदी कुर्ता' कहावत बन चुका है। नेहरु जैकेट को उनसे ही नया लुक और ट्रेंड मिला। रंगबिरंगी पगड़ी से खास लगाव है। विदेशी लुक कभी नेक टी शर्ट के साथ टीमअप ग्रे सूट तो कभी सफेद कुर्ते-पाजामे और रेड-क्रीम कलर के परंपरागत स्टोल, स्कार्फ या शॉल में।
इस बीच केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले 2,700 से अधिक स्मृति चिह्नों, उपहारों की हाल ही में शुरू हुई ई-नीलामी प्रक्रिया में सबसे पहली बोली लगाने वालों में शामिल रहे। स्मृति चिह्नों में 576 शॉल, 964 अंगवस्त्रम, 88 पगड़ियां, गायों की कई प्रतिकृतियां और कई जैकेट शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि ई- नीलामी से जुटाई गई रकम को गंगा की सफाई को समर्पित ‘नमामि गंगे' परियोजना के लिए दे दिया जाएगा।
पीएम मोदी अपने प्रधानमंत्रित्व काल में एक दिन भी बीमार नहीं पड़े हैं। उनहत्तर वर्ष की उम्र में भी वह बिल्कुल फिट और ऊर्जा से भरपूर हैं। वह रोजाना 18 घंटे काम करते हैं। कभी छुट्टी नहीं लेते। खाने में शाकाहारी भोजन पसंद है। रात में चाहे जितनी देर जागें, सुबह पांच बजे जरूर उठ जाते हैं। योगासन के बाद अदरक वाली चाय, सादा गुजराती पोहा, खिचड़ी, कढ़ी, उपमा, खाकरा पसंद करते हैं। इसके बाद दिन के भोजन में बिना मसाले वाला सादा संतुलित आहार, चावल, दाल, सब्जी, दही, गेहूं की रोटी पसंद है।
संसदीय कार्यवाही के दौरान दोपहर में संसद की कैंटीन से सिर्फ फ्रूट सलाद लेते हैं। रात में हल्की गुजराती खिचड़ी या भाकरी, दाल, बिना मसाले वाली सब्जी। वह नवरात्र में पूरे नौ दिन उपवास रखते हुए केवल नींबू पानी लेते हैं।
पीएम मोदी के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज भारत पूरे विश्व में मोबाइल फोन मैन्युफेक्चरिंग में दूसरे नंबर पर आ पंहुचा है। वर्ष 2014 में देश में केवल दो मोबाइल फैक्ट्रीज थीं, आज वह 268 हैं। 2014 में भारत में 6 करोड़ मोबाइल हैंडसेट्स बनाए जाते थे तो आज यह आंकड़ा बढ़कर 29 करोड़ हो चुका है।
पीएम मोदी, कोई ऐसे ही विश्व की शीर्ष शख्सियत नहीं बने हैं। उन्हे कड़े संघर्षों के साथ शून्य से शिखर तक का सफर तय करना पड़ा है। अब तो इस युग को लोग 'मोदी युग' कहने लगे हैं। बताते हैं कि वह बचपन में सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करना चाहते थे। जामनगर के समीप स्थित सैनिक स्कूल में पढ़ने की उनकी इच्छा इसलिए धरी रह गई कि घर-परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था।
मोदी का बचपन गरीबी में गुजरा। पूरा परिवार एक छोटे से घर में रहता था। पिता स्थानीय रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे। साथ में वह भी पिता का हाथ बटाया करते थे। स्कूली जीवन में वडनगर के भगवताचार्य नारायणाचार्य स्कूल के सहपाठियों के साथ खुलकर बहसें किया करते थे। ज्यादातर वक़्त पुस्तकालय में बिताया करते। तैराकी का भी शौक था।
मोदी का बचपन से ही संघ की तरफ झुकाव रहा। सत्रह साल की उम्र में अहमदाबाद में आरएसएस के सदस्य बन गए। 1974 में नव निर्माण आंदोलन से जुड़े। वर्षों तक आरएसएस के प्रचारक रहे।
नरेंद्र मोदी सन् 1980 के दशक में गुजरात भाजपा में शामिल हो गए। दो साल पार्टी की गुजरात ईकाई के महासचिव रहे। उसके बाद पार्टी की ओर से कई राज्यों के प्रभारी, 1995 में राष्ट्रीय सचिव, पांच राज्यों के पार्टी प्रभारी और 2001 में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने।
दिसंबर, 2002 के विधानसभा चुनाव में पहली बार, 2007 में दूसरी बार और 2012 में तीसरी बार उनके नेतृत्व में पार्टी को जीत मिली। मार्च 2013 में भाजपा संसदीय बोर्ड में नियुक्त होने के बाद उन्होंने सेंट्रल इलेक्शन कैंपेन कमिटी के चेयरमैन का पद संभाला।
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने अकेले दम पर 282 लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया। उसके बाद 26 मई 2014 को वह भारत के 14वें प्रधानमंत्री बने। इस वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके नेतृत्व ने ऐतिहासिक दर्ज करते हुए 303 सीटों पर भाजपा का परचम फहरा दिया और वह लगातार दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने।