सड़क के किनारे गरीब बच्चों की पाठशाला भी चलाती हैं 'पुलिस मैडम'
"खुर्जा (उ.प्र.) के एक पुलिस स्टेशन में तैनात कांस्टेबल गुड्डन चौधरी रोजाना ड्यूटी के बाद शाम छह बजे से सड़क के किनारे गरीब बच्चों की पाठशाला भी चलाती हैं। इतना ही नहीं, हर महीने अपनी सैलरी का तीस फीसदी हिस्सा इन बच्चों पर खर्च कर देती हैं। इस काम में उनके विभाग के लोग भी खुले मन से मदद करते हैं।"
हमारे देश में, खासतौर से हाई स्कूल तक की कक्षाओं की स्थिति चिंताजनक है। छोटे-छोटे फार्मूले जो कक्षा छह में पढ़ाए जाते हैं, उन्हें हाई स्कूल के बच्चे नहीं बता पा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में यह स्थिति और अधिक खराब है। जिन मॉडल स्कूलों से अपेक्षा रहती है कि वे इंग्लिश मीडियम स्कूलों को टक्कर देंगे, वे सामान्य स्कूलों से भी गए-गुजरे मिल रहे हैं। यह कोई अटकल नहीं, बल्कि शासन के अपर मुख्य सचिव, सचिव, अपर सचिव स्तर के ऑफिसर्स के मौका मुआयना में सामने आया सच है।
एक आईएएस अधिकारी बच्चों की क्लास लेने स्कूल पहुंचे तो पता चला कि वहां की सारी पोल-पट्टी एक-सवा घंटे में ही खुल कर सामने आ गई। टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ रहे नौनिहालों को लर्निंग आउट कम तक का पता नहीं है। ग्रामीण इलाकों के स्कूलों की हालत तो और अधिक खराब है। ऐसे में 'पुलिस मैडम' के नाम से मशहूर हो रहीं बुलंदशहर (उ.प्र.) की पुलिस कॉन्स्टेबल गुड्डन चौधरी एक नई मिसाल पेश कर रही हैं। वह गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने के साथ ही अपनी तीस फीसदी सैलरी भी उन बच्चों पर खर्च कर दे रही हैं।
फिलहाल, पुलिस वाली मैडम गुड्डन चौधरी की क्लास में बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। वह झुग्गी-झोपड़ियों और सड़क पर रहने वाले बच्चों को पढ़ा रही हैं। खुर्जा पुलिस स्टेशन की नौकरी से गुड्डन की रोजी-रोटी चलती है और बच्चों को पढ़ाने से उन्हें संतुष्टि मिलती है। वह इस क्षेत्र में पिछले छह महीने से तैनात हैं। ड्यूटी के बाद वह रोजाना शाम छह बजे से मामूली सा समय सड़क किनारे क्लास लगाकर इन बच्चों के बीच व्यतीत कर रही हैं। इस समय उनकी 'पाठशाला' में दो दर्जन गरीब बच्चे पढ़ रहे हैं।
गुड्डन बताती हैं कि ये गरीब घरों के बच्चे हैं, जो बेहतर शिक्षा के लिए महंगे स्कूलों में नहीं जा सकते हैं। इसलिए वह इन्हें पढ़ाने के साथ ही सभी को पाठ्य सामग्री, कॉपी-किताब आदि भी स्वयं उपलब्ध करा रही हैं। वह मूलतः हाथरस (उ.प्र.) की रहने वाली हैं। खुर्जा देहात थाने में तैनाती के बाद उन्होंने पड़ताल की तो पता चला कि आसपास के कई बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। इसके बाद ऐसे बच्चों को उन्होंने खुद पढ़ाने का संकल्प लिया। शुरुआत में उन्होंने जब कुछ बच्चों को अपने घर पर पढ़ाना शुरू किया तो देखते ही देखते ढेर सारे बच्चे उनके यहां पहुंचने लगे।
2016 बैच की कॉन्स्टेबल गुड्डन चौधरी की इस कोशिश ने पुलिस की छवि को भी बदल दिया है। खुर्जा के सीओ राघवेंद्र मिश्रा गुड्डन के कार्य की सराहना करते हुए कहते हैं कि वह पढ़ाने के साथ- साथ आर्थिक रूप से भी इन बच्चों की मदद कर रही हैं, जिसमें सभी सहकर्मी उनके साथ हैं। गुड्डन कहती हैं कि वह अपने रोजमर्रा का एक छोटा सा हिस्सा इन बच्चों को दे रही हैं। सिर्फ शिक्षा ही है, जिससे इनका भविष्य संवर सकता है।
निश्चित ही पुलिस की नौकरी में व्यस्तता अधिक होती है, पर हर किसी को अपने पैशन के लिए समय निकालना होता है। उनका तो यही पैशन है। उन्हे इन बच्चों को पढ़ाकर संतुष्टि और खुशी मिलती है। वह जब मथुरा में पढ़ती थीं, तबसे ऐसा करती आ रही हैं। इन बच्चों को अभिभावक बताते हैं कि उनके मन में अब पुलिस की पहले जैसी छवि नहीं है। उनके पास इतना पैसा नहीं कि वे बच्चों को अच्छे स्कूलों में भेज पाते, लेकिन मैडम उनकी संतानों के लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं हैं।
गुड्डन चौधरी इन बच्चों को स्कूल में एडमिशन भी दिलवाने की कोशिश कर रही हैं। गरीब बच्चों के परिजन गुड्डन को पढ़ाने के बदले में ढेरों दुआएं देते हैं। फिलहाल, आधार कार्ड नहीं होने की वजह से उनके बच्चों का स्कूल में एडमिशन नहीं मिल पाया है।