पहले ‘Liril’ ऐड की कहानी: जब झरने में नहाती मॉडल को शराब का सहारा लेना पड़ा
YourStory हिंदी की सीरीज़ 'प्रचार गाड़ी' (Prachaar Gaadi) में हम आपको बताएंगे इंडिया में बने कुछ ऐसे ऐड्स (ads) की कहानी जिन्होंने न सिर्फ विज्ञापनों की दुनिया को, बल्कि सामान को बेचे और खरीदे जाने के पैटर्न को ही बदल दिया. आज हम आपको 'लिरिल' साबुन (Liril Soap) के विज्ञापन की कहानी बता रहे हैं.
1970 के दशक में भारत के लिए टेलीविज़न और बिकिनी, दोनों ही नई चीजें थीं. एक और चीज नई थी जो मार्केटिंग से लेकर भारतीय कंज्यूमर को हमेशा के लिए बदलने वाली थी. भारतीयों के लिए हर रोज़ नहाने के मायने बदलने वाले थे.
YourStory हिंदी की सीरीज़ 'प्रचार गाड़ी' (Prachaar Gaadi) में हम आपको बताएंगे इंडिया में बने कुछ ऐसे ऐड्स (ads) की कहानी जिन्होंने न सिर्फ विज्ञापनों की दुनिया को, बल्कि सामान को बेचे और खरीदे जाने के पैटर्न को ही बदल दिया. समान बेचना एक बात होती है. और किसी प्रोडक्ट को लोगों के ज़हन में इस तरह बैठा देना कि वो उससे एक पर्सनल जुड़ाव महसूस करने लगें, एक अलग ही कहानी होती है.
आज हम आपको 'लिरिल' साबुन (Liril Soap) के विज्ञापन की कहानी बता रहे हैं. इंडिया का पहला नींबू की खुशबू वाला साबुन जिसने लोगों को ये बताया कि नहाने का मतलब केवल खुद को साफ़ सुथरा रखना नहीं होता. लिंटास (Lintas) कंपनी ने एक ऐसा विज्ञापन बनाया जिससे नहाने का मतलब बन गया दिन का सबसे ज़रूरी काम जो आपको फ्रेश भी रखता है और ताजगी के साथ साथ खुशबू से भर देता है. वरना नहाते वक़्त कौन है जो खिलखिलाकर हंस रहा हो या पानी बौछार से खेलता हो.
उस दिन भी मुंबई में पानी की बौछार तेज़ी से पड़ रही थीं जब कैलाश सुरेंद्रनाथ नाम के व्यक्ति अपनी गाड़ी से कहीं जा रहे थे. कैलाश ने हाल ही में विज्ञापन बनाने शुरू किए थे. गाड़ी चलाते हुए उनकी नज़र एक महिला पर पड़ी जो बारिश में एक टैक्सी की आस में खड़ी थीं. कैलाश ने उन्हें लिफ्ट ऑफर की. महिला ने बताया कि उन्हें ऐड एजेंसी लिंटास की बिल्डिंग तक जाना है. कैलाश ने विज्ञापनों में अपनी रुचि के बारे में बताया तो कार में बैठी महिला ने बताया कि उनका नाम है मुबी इस्माइल और वो लिंटास की फिल्म चीफ़ हैं.
उस एक मुलाक़ात से कैलाश सुरेंद्रनाथ का जीवन बदल गया. कुछ दिनों बाद वो विज्ञापन के लिए एक मॉडल तलाश रहे थे और शूट की लोकेशन ढूंढने के लिए ऑल इंडिया टूर पर निकलने वाले थे.
जहां एक ओर कैलाश मुंबई की जुहू बीच पर बिकिनी मॉडल्स के साथ स्क्रीन टेस्ट कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर लिंटास के दफ्तर में हाथ की चित्रकारी से साबुन और उसपर करीने से बूँदें डिज़ाइन की जा रही थीं. ये वो दौर था जब मोशन ग्राफ़िक्स तो दूर, कंप्यूटर ही नहीं हुआ करते थे.
खैर, कैलाश सुरेंद्रनाथ इधर शहर-शहर घूमने के बाद कोडईकनाल के टाइगर फॉल्स को शूट की लोकेशन के तौर पर फाइनल कर चुके थे.
कोडईकनाल की अलग मुश्किलें थीं. शूट दिसंबर-जनवरी में होना था और उन दिनों एक दिन में केवल सिर्फ 3-4 घंटे ही सूरज निकल रहा था.
इधर मुंबई में कैलाश सुरेंद्रनाथ की मुलाक़ात 18 साल की कैरेन लुनेल (Karen Lunel) से हो चुकी थी. कैरेन ने इसके पहले बिकिनी में एक विज्ञापन शूट किया हुआ था और उनका स्क्रीनटेस्ट शानदार था.
तमाम मुश्किलों के बाद भी विज्ञापन शूट हुआ. झरने में नाचती लिरिल गर्ल उस दौर में वायरल हो गई जब न इंटरनेट था, न स्मार्टफोन. गाने में प्रीती सागर की आवाज़ में ला,ला ला, ला का साउंडट्रैक था.
कैरेन लुनेल ने एक बातचीत में इकनॉमिक टाइम्स को बताया था कि शूट 8 साल तक चला, अलग अलग लोकेशन पर. टाइगर फाल्स में इतनी ठंड थी कि टीम और लुनेल को ब्रांडी के शॉट लेने पड़ते. स्टिल्स और क्लोज़ अप शॉट खंडाला में लिए गए और साबुन से नहाने वाले शॉट सुरेंद्रनाथ के घर के शावर में लिए गए. एडिटिंग में इस्तेमाल होने वाले इफ़ेक्ट इंडिया के स्टूडियोज में उपलब्ध ही नहीं थे, इसलिए फाइनल एडिटिंग के लिए अमेरिका जाना पड़ा.
इकनॉमिक टाइम्स से हुई बातचीत में कैलाश बताते हैं कि उन्हें बिकिनी मॉडल दिखाते हुए इस बात का ध्यान भी रखना था कि विज्ञापन सेक्शुअल न दिखे. उनका लक्ष्य था कि विज्ञापन घर घर में दिखे.
विज्ञापन घर घर में दिखा, इसके स्टिल्स मैगजीन्स में छपे और आलम ये था कि सिनेमा हॉल में ब्रेक के दौरान लोग इस विज्ञापन को देखने के लिए झट से सीट पर लौट आते. कैरेन जहां भी जातीं, लोग उनके पीछे पागल हो जाते.
1976 के आस-पास अफवाह भी उड़ी कि कैरेन की मौत हो गई है. लेकिन समय के साथ अफवाहें दब गईं. समय के साथ कैरेन ने भी मॉडलिंग से रिटायरमेंट लिया और न्यूज़ीलैंड में बस गईं.
लिरिल के ऐड में धीरे-धीरे और मॉडल्स आईं, प्रीती जिंटा और दीपिका पादुकोण को भी इसमें देखा गया.
आज भी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिरिल साबुन और बॉडी वॉश बना रहा है. और तमाम साबुनों के बीच आज भी इसे एडवरटाइजिंग की दुनिया में क्रांति लाने वाले प्रोडक्ट की तरह देखा जाता है.