फानी तूफान से तबाह हुए पेड़ों को फिर से लगा रहा है यह एनजीओ
इस महीने ओडिशा में फानी तूफान ने भीषण तबाही मचाई। 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आए इस तूफान से हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा, कई पेड़ उजड़ गए और सड़कें ध्वस्त हो गईं। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इससे लगभग 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अब राज्य सरकार इस तबाही की मरम्मत करने में लगी हुई है। सरकार के अलावा एक एनजीओ भी है जो तूफान में उजड़े पेड़ों को फिर से लगाने का प्रयास कर रहा है। इस एनजीओ का नाम है, 'उन्मुक्त फाउंडेशन'।
35 वर्षीय आर्किटेक्ट श्वेता अग्रवाल इस एनजीओ का नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने बीते कुछ सप्ताह में 1,300 से अधिक पेड़ों को नई जिंदगी दी है। एडएक्सलाइव से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'हम आहिस्ते से पेड़ को पहले सीधा करते हैं और अस्थाई तौर पर सपोर्ट देते हैं। इसके बाद हम जड़ों को मिट्टी से ढंक देते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि ये बाहर न निकलें। इसके बाद हम पेड़ को फिर लगाने से पहले जड़ों में पानी देते हैं।'
इस एनजीओ में 30 वॉलंटियर फुल टाइम काम कर रहे हैं। इसके अलावा नवोदय एल्मनाई असोसिएशन ऑफ ओडिशा और ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर के लोग भी इस टीम का हिस्सा हैं। एनजीओ वन विभाग के साथ मिलकर जगमारा रोड, नवीन निवास रोड, एयरपोर्ट रोड, मास्टर कैंटीन-पीएमजी स्क्वायर रोड, और नाल्को छाक से सैनिक स्कूल रोड पर पेड़ों को फिर से लगाने के मिशन पर काम कर रहा है।
श्वेता ने कहा, 'इस तूफान से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। इसे पूरी तरह से सही होने में दशक लग जाएंगे। भुवनेश्वर में पेड़ों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसलिए आने वाले समय में हम जितने भी पेड़ लगा सकते हैं, लगाने चाहिए। जो पेड़ बचाए जा सकते हैं उन्हें बचाना भई जरूरी है कुछ पेड़ों को हम फिर से लगा रहे हैं इनमें से कुछ तीन से चार साल पुराने हैं, जबकि कुछ 10-15 साल पुराने हैं।'
एनजीओ की टीम सुबह 6 बजे से लेकर 10 बजे तक काम करती है। यह काम सुबह में ही किया जाता है ताकि पेड़ों की जड़ें सूखने न पाएं। टीम ने भुवनेश्वर नगर निगम से सूखी पत्तियों का उपयोग करने और इसे खाद में बदलने का भी अनुरोध किया है ताकि लोग सूखी पत्तियों को न जलाएं।
पेड़ों को बचाने का यह अभियान अभी 30 मई तक चलेगा। एनजीओ में कई सारे वॉलंटियर्स होने के बावजूद अभी कई लोगों की कमी है। टीम के एक सदस्य ने कहा, 'हम भुवनेश्वर के निवासियों से अनुरोध करते हैं कि वे इस काम पर एक या दो घंटे निकालें। यदि हम सभी अपने पड़ोस में पेड़ों को फिर से लगाने के काम पर ध्यान देते हैं, तो हम अगले दो-तीन दिनों में कम से कम हजार पेड़ों को पुनर्जीवित कर पाएंगे।'
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