FY22 में निजी क्षेत्र के बैंकों ने MSMEs को तीन गुना से अधिक कर्ज दिया
कोविड-19 महामारी के आने के बाद कई निजी क्षेत्र के बैंकों ने छोटे कारोबारों को कर्ज देना कम कर दिया था लेकिन सरकार के आश्वासनों के बाद उन्होंने वित्त वर्ष 2022 में छोटे कारोबारों को कर्ज देने में अपनी हिस्सेदारी तेजी से बढ़ाई है.
वित्त वर्ष 2022 में देश के निजी क्षेत्र के बैंकों ने छोटे कारोबारों को कर्ज देने में अपनी हिस्सेदारी तीन गुना बढ़ा दी है. वहीं, वित्त वर्ष 2021 में छोटे कारोबारों को कर्ज देने में सार्वजनिक क्षेत्रों की जो हिस्सेदारी 73 फीसदी तक बढ़ी थी उसमें वित्त वर्ष 2022 में 19.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
छोटे एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्रों को लोन देने के मामले में निजी क्षेत्रों की सालाना हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2022 में 69.8 फीसदी रही है. बता दें कि, कोविड-19 महामारी के आने के बाद कई निजी क्षेत्र के बैंकों ने छोटे कारोबारों को कर्ज देना कम कर दिया था लेकिन सरकार के आश्वासनों के बाद उन्होंने वित्त वर्ष 2022 में छोटे कारोबारों को कर्ज देने में अपनी हिस्सेदारी तेजी से बढ़ाई है.
CRIF हाईमार्क रिपोर्ट के अनुसार, मार्च, 2022 तक MSME इंडस्ट्री के लिए जारी किया गया कुल लोन 137.4 लाख अकाउंट्स के लिए
था जो कि मार्च, 2021 से 7 फीसदी और मार्च, 2020 से 43 फीसदी अधिक था.
बता दें कि, बीते सोमवार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के सचिव बीबी स्वैन ने कहा था कि सरकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के उद्यमियों के लिए ऋण की पहुंच को सुगम बनाने की दिशा में काम कर रही है.
उन्होंने बताया कि आपातकालीन ऋण गारंटी योजना के तहत 3.47 लाख करोड़ रुपये की ऋण मंजूर किये गए है. इसमें से 2.31 लाख करोड़ रुपये के ऋण एमएसएमई क्षेत्र को दिए गए है.
वहीं, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के शोध विभाग ने 47 लाख करोड़ रुपये के राजस्व वाले 69 क्षेत्रों और 147 क्लस्टर के एमएसएमई के विश्लेषण के बाद सोमवार को बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान 25 प्रतिशत (एक-चौथाई) सूक्ष्म, लघु और मझोले (एमएसएमई) उपक्रमों ने अपनी तीन प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी बड़ी कंपनियों से गंवाई है.
दरअसल, बड़ी स्तर की कंपनियों ने अपनी वैश्विक उपस्थिति का लाभ उठाते हुए कच्चा माल जुटा लिया और सूक्ष्म, लघु और मझोले स्तर के कारोबारियों का एक बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया.