प्रोजेक्ट एटलस क्रिप्टो की दुनिया में अगली सबसे बड़ी जगह बनाने की क्षमता रखता है
प्रोजेक्ट एटलस की घोषणा कुछ केंद्रीय बैंकों के बीच बीआईएस के दूसरे सहयोगी प्रोजेक्ट की तरह नहीं लगती है. वे यह देखने के लिए होते हैं कि तकनीकी कौशल भुगतान प्रणालियों की क्षमता को कैसे बढ़ा सकता है.
बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स अपने आप को केंद्रीय बैंकों का सहयोग करने और वित्तीय प्रणाली के कामकाज में सुधार करने के लिए सार्वजनिक तकनीकी समाधानों का विकास करने वाले के रूप में परिभाषित करता है. इसने क्रिप्टो के बारे में दुनिया के नजरिए को आकार देने, वैश्विक वित्तीय निगरानीकर्ताओं (वॉचडॉग) के नीतिगत निर्णयों में समय-समय पर सहायता करने, डिजिटल असेट्स को अपनाने में होने वाली खामियों की पहचान करने और उसके बाद हाल के दिनों में अधिक सकारात्मक रुख पेश करने में प्रमुख भूमिका निभाई है.
BIS का CBDC के प्रति लगाव
बीआईएस के नजरिए के मुताबिक, कई निजी वित्तीय खिलाड़ी लेन-देन के लिए डिजिटल असेट्स की ओर रुझान बढ़ा रहे हैं. इसके अलावा, केवल घरेलू कानूनों का पालन करते हुए कम समय की सूचना पर कार्य करने की उनकी क्षमता, उन्हें दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों की तुलना में लाभ की स्थिति में ला रही है. हालाँकि, उन्हें लगता है कि सीबीडीसी मौजूदा मुद्राओं की ही एक डिजिटल नकल है, और यह एक कानूनी निविदा है. इनके पीछे निजी क्रिप्टो टोकन या स्टेबलकॉइन की तरह असेट्स का आधार नहीं होता है. बीआईएस की राय में, यह वैश्विक भुगतान प्रणाली के लिए एक गेम चेंजर हो सकता है क्योंकि वे थोक और खुदरा लेनदेन में निपटान के लिए डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर पर भुगतान को शामिल करते हैं.
बीआईएस हमेशा केंद्रीय बैंकों द्वारा समर्थित डिजिटल संपत्तियों का उपयोग करके भुगतान निपटाने का समर्थक रहा है. 2021 में, बीआईएस द्वारा शुरू किए गए प्रोजेक्ट जुरा ने एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म पर फ्रेंच और स्विस बैंकों के बीच डिजिटल मुद्राओं (यूरो और स्विस फ़्रैंक) के लेन-देन का परीक्षण किया था. यह प्लेटफ़ॉर्म टोकन असेट्स और विदेशी मुद्रा से जुड़े व्यापार को सुरक्षित और सही तरीके से करने के लिए बनाया गया था. प्रोजेक्ट को सीमा पार भुगतान में सुधार और विदेशी मुद्रा, प्रतिभूतियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन को संभालने के वैश्विक प्रयासों के साथ जोड़ा गया था. प्रोजेक्ट ने रिपोर्ट के साथ नतीजा निकाला कि जुरा वाणिज्यिक बैंकों को सीबीडीसी तक पहुंच प्रदान कर सकता है और सुरक्षित तरीके से निपटान लेन-देन को रिकॉर्ड करने में उनकी क्षमता को भी बेहतर बना सकता है. इसके अलावा, प्रोजेक्ट डंबर्टन को वित्तीय संस्थानों के बीच तेज और कम लागत वाले तरीके से सीमा पार लेन-देन की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया था, और यह कई केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी डिजिटल मुद्राओं का उपयोग करके अंतरराष्ट्रीय निपटान को भी उचित ढंग से कर सकता है. प्रोजेक्ट एमब्रिज भी सीबीडीसी में अनेक मुद्राओं में सीमा पार भुगतान करने के लिए एक विशेष प्लेटफ़ॉर्म के रूप में उपयोग होने वाले केंद्रीय बैंकों के लिए एक सैंडबॉक्स बनाने का एक और सफल प्रयास था.
प्रोजेक्ट एटलस के पैमाने और क्षमता
प्रोजेक्ट एटलस की घोषणा कुछ केंद्रीय बैंकों के बीच बीआईएस के दूसरे सहयोगी प्रोजेक्ट की तरह नहीं लगती है. वे यह देखने के लिए होते हैं कि तकनीकी कौशल भुगतान प्रणालियों की क्षमता को कैसे बढ़ा सकता है. यह उनसे बहुत अधिक महत्वाकांक्षी कदम है जो न केवल सीमा पार से भुगतान का फायदा उठाना चाहता है, बल्कि दुनिया भर में बिटकॉइन लेनदेन और असेट्स के लिए उचित सूचना पहुंच भी सुनिश्चित करना चाहता है. आम चलन में यूएसडी को बीटीसी में परिवर्तित किया जाता है. यह प्रोजेक्ट में गड़बड़ी होने, अवैध लेन-देन और बिना सत्यापित किए या सही से खोजबीन न होने के कारण होने वाली कई तरह की खींचतान के संबंध में क्रिप्टो इकोसिस्टम में आयी हाल की विसंगतियों का एक उत्पाद है. यह इस इकोसिस्टम में सभी स्टेकहोल्डर के लिए डेटा को ठोस रूप देने का एक शुरुआती बिंदु हो सकता है.
यह कैसे काम करता है?
बीआईएस की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, प्रोजेक्ट एटलस चेन और चेन से बाहर की जानकारी को आपस में जोड़ता है, जिससे केंद्रीय बैंकों के लिए डेटा की जांच करने और उसके अनुरूप डेटा तैयार करने के लिए एक कई लेयर या स्तर वाला तरीका विकसित होता है. एटलस की अवधारणा का पहला प्रमाण सफलतापूर्वक दिखाता है कि केंद्रीय बैंकों के आवश्यक नियमों से जुड़े हुए डेटा को कैसे जमा किया जाए, कैसे स्पष्ट किया जाए और उसका विश्लेषण कैसे किया जाए. यह किसी भी डेटा संबंधी विसंगति या गलत सूचना पर लागू होता है. इतना ही नहीं, यह भी साफ है कि यदि किसी भी बिंदु पर क्रिप्टो इकोसिस्टम सीमा के प्रभाव मुख्यधारा की वित्तीय प्रणाली तक पहूंचने ही वाले हैं या किसी भी तरह के व्यापक आर्थिक पहलुओं को प्रभावित करने के संकेत दिखाते हैं, तो रडार बंद हो जाता है और TradFi प्रणाली के सभी नियामक को पता चल जाता है.
इसका नतीजा क्या हो सकता है?
हाल के वर्षों में, क्रिप्टो असेट्स बाजार और उससे संबंधित उत्पादों और सेवाओं में तेजी से वृद्धि हुई है. इसके अतिरिक्त, ये संपत्तियां पारंपरिक वित्तीय प्रणाली के साथ तेजी से जुड़ रही हैं. यह उन नीति निर्माताओं के लिए एक चुनौती पेश करता है, जिन्हें इस डायनामिक क्षेत्र से जुड़े खतरों की निगरानी करने का काम सौंपा गया है. ऐसा खासकर इस लिए भी है क्योंकि इसके भीतर कई गतिविधियां अनियमित रूप से चलती रहती हैं. इस बात की चिंता बढ़ रही है कि ये खतरे जल्दी ही कुछ देशों में सिस्टम के स्तर तक पहूंच सकते हैं, जिससे वित्तीय अस्थिरता पैदा होने की संभावना हो सकती है. मिलजुलकर किए जाने वाले उपायों का अभाव अनजाने में पूंजी का नुकसान पहूंचाने वाली गतिविधियों को आसान बना सकता है, जिसके कारण अस्थिरता लाने वाले प्रभाव पैदा हो सकते हैं.
प्रोजेक्ट एटलस बनाने के लिए बीआईएस (बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स) ने अपने साझेदारों डी नेदरलैंड्शे बैंक और डॉयचे बंडेसबैंक के साथ मिलकर जो कदम उठाए हैं, वे डिजिटल संपत्ति के निर्माण, प्रबंधन और लेन-देन में पारदर्शी डेटा निगरानी प्रणाली के लिए काफी प्रभावशाली लग रहे हैं.
इस प्लेटफ़ॉर्म से रियल टाइम डेटा के आधार पर नियम और देश के आधार पर नीतियां काफी बारीक स्तर पर हो सकती हैं. इससे सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा और मौजूदा मौद्रिक प्रणाली के लिए किसी भी प्रभाव की बेहतर समझ के कारण सार्वजनिक और निजी स्टेकहोल्डर के बीच बेहतर जुड़ाव होगा. बीआईएस द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर, स्टेकहोल्डर इस चेन और इस चेन से बाहर के बेहतरीन डेटा की उम्मीद कर सकते हैं, इससे बाजार में ईमानदारी बढ़ेगी, और इसमें लगे सभी लोगों की जवाबदेही में सुधार हो सकता है. इससे केंद्रीय बैंकों को काफी फायदा हो सकता है. प्रोजेक्ट एटलस अनुरूप डेटा के आधार पर अधिक कस्टमाइज़्ड (अनुकूलित) नीति प्रतिक्रियाओं को चालू कर सकता है. केंद्रीय बैंक अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र में क्रिप्टो असेट्स और यदि कोई DeFi हो तो उसके द्वारा आने वाली विशिष्ट चुनौतियों और अवसरों का समाधान करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो सकते हैं.
एक अच्छे सीमा-पार लेनदेन और अधिक सुव्यवस्थित वैश्विक मूल्य नेटवर्क की मांग भी इस समय प्रबल रूप से सामने है. नीति निर्माता सुरक्षा और स्थिरता को कायम रखते हुए दक्षता बढ़ाने के तरीकों की सक्रिय रूप से तलाश कर रहे हैं. इसका नतीजा यह है कि डिजिटल रूप देने और अत्याधुनिक तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इनकी पहचान वैश्विक सूचना प्रणाली के लिए अवसर पैदा करने वाले प्रमुख उत्प्रेरक के रूप में की जाती है. इनसे सभी को लाभ पहुंचता है. यूरोसिस्टम के भीतर केंद्रीय बैंकों और बीआईएस जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के बीच सहयोग क्रिप्टो असेट्स के वैश्विक निहितार्थों को देखने और उसके अनुरूप कार्यवाई करने के लिए एक समन्वित प्रयास का प्रतीक है. इससे इन बाजारों को नियमित करने और उनकी निगरानी करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ सकता है. यह भारत की अध्यक्षता में इस वर्ष के जी20 शिखर सम्मेलन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है.
जैसे-जैसे केंद्रीय बैंक ट्रिलियन डॉलर क्रिप्टो असेट्स बाजारों में बेहतर समझ प्राप्त करते जाएंगे, वे बाजार की अस्थिरता और संभावित बाधाओं का जवाब देने के लिए भी बेहतर ढंग से तैयार होंगे. इससे वित्तीय स्थिरता और निवेश की भावना को बढ़ावा मिल सकता है. वास्तव में, रियल टाइम के आधार पर प्लेटफ़ॉर्म की निगरानी करने से यह जानकारी मिल सकती है कि तकनीकी की बेहतरी के लिए क्या किया जा सकता है, जिससे आने वाले खतरों को रोका जा सके, और डिजिटल असेट्स क्षेत्र में लेन-देन को भी आसान बनाया जा सके. इससे किसी भी नए तकनीकी एकीकरण की निगरानी की जा सकती है और कमियों या सफलता के लिए उसे बोला जा सकता है. इस प्रकार से इसमें बड़े पैमाने पर लागू करने की क्षमता है.
प्रोजेक्ट एटलस का निर्माण और क्रिप्टो असेट्स बाजारों और DeFi बोलस्टर पर इसका ध्यान व्यापक वित्तीय परिदृश्य में ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल असेट्स के महत्व की बढ़ती मान्यता पर ध्यान देता है. इस पहल के प्रभाव से नियामक और नीतिगत प्रतिक्रियाओं, खतरों के मूल्यांकन और क्रिप्टो असेट्स और DeFi की उभरती दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तक आगे बढ़ने की संभावना है. इससे आखिरकार वैश्विक रूप से क्रिप्टो को अपनाने और सुविधा के लिए एक प्रभावी साधन के रूप में में पहुंचने का सपना साकार होगा.
(लेखक WazirX के वाइस-प्रेसीडेंट हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Edited by रविकांत पारीक