'भारत में अपवाद नहीं आदर्श बन रही है महिला उद्यमिता', पढ़िए TiE की गीतिका दयाल की कहानी
तमाम जोखिम होने के बावजूद उद्यमशीलता की धारणा लोगों में लगातार तेजी से बढ़ रही है। लोग आकांक्षात्मक बनने की ओर अग्रसर हैं और ऐसे रास्तों की खोज कर रहे हैं जिनके बारे में बहुत कम जाना गया है। हालांकि, TiE(द इंडस एंटरप्रेन्योरस- The IndUS Entrepreneurs), दिल्ली-एनसीआर की कार्यकारी निदेशक गीतिका दयाल के अनुसार, उद्यमिता के सार में कुछ भी बदलाव नहीं होता है, जिसका मकसद "एक आइडिया के सही एग्जीक्यूशन से होता है।"
1991 में, जब ग्लोबलाइजेशन भारत में उपभोक्ता बाजार को ईंधन देने की शुरुआत कर रहा था, गीतिका ने लखनऊ में उद्यमिता के साथ अपना पहला प्रयास किया था। पिता के निधन के बाद उन्हें अपने पारिवारिक व्यवसाय की जिम्मेदारी लेनी पड़ी। 21-वर्षीय फ्रेशर के रूप में उद्यमी बाधाओं का सामना करने से लेकर युवा उद्यमियों को प्रेरित करने और TiE में लगभग 20 वर्षों तक उनको मेंटॉर करने तक, गीतिका इस फील्ड की प्लेयर और दर्शक दोनों रही हैं।
अनजान टेरिटरी में प्रवेश करना
गीतिका बताती हैं कि वे एक मध्यम वर्गीय परिवार से थीं और उन्होंने एक खुशहाल और केयरफ्री बचपन जिया और उद्यमशीलता में तब तक नहीं उतरीं थीं जब उनके पिता का निधन नहीं हो गया। पिता को खोना के गम सामना करने के साथ-साथ, उन्हें उस वित्तीय बोझ का भी सामना करना पड़ा जो बड़े पैमाने पर था।
वे बताती हैं कि जब उन्होंने अपने पिता के होम-बेस्ड वेंचर का चार्ज संभाला था तब उस समय महिला उद्यमियों को, विशेषकर छोटे शहरों में, गंभीरता से नहीं लिया जाता था। यहां तक कि उन्हें अपहरण की धमकियों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उनमें मजबूत रहने और खुद को साबित करने के लिए दृढ़ संकल्प था।
वह कहती हैं,
“मुझे कई बार ऐसा लगा जैसे मैं पीछे छूट गई हूं। लेकिन ऐसा नहीं था कि जिन लोगों के साथ मैंने काम किया था, वे मदद नहीं करना चाहते थे, दरअसल वे बस यह नहीं जानते थे कि एक युवा लड़की के साथ संवाद कैसे किया जाए, जो अभी-अभी कॉलेज से निकली है और सीधे बिजनेस डील करना चाहती है।”
ट्रैवल और कम्युनिकेशन अन्य बाधाएँ थीं। शुरुआत में, वह स्थानीय स्तर पर, या उन शहरों में समस्याओं और अवसरों को एड्रेस करती रहीं, जहां उनके रिश्तेदार थे ताकि कम से कम रहने की गारंटी मिल सके। उन्होंने परिस्थितियों को अपना भाग्य तय नहीं करने दिया, बल्कि गीतिका अपने व्यवसाय को प्राथमिकता देकर आगे बढ़ी। उन्हें अपनी मां से समर्थन और प्रेरणा मिली जिन्हें वह 'शक्ति का एक स्तंभ' कहती हैं। इसके अलावा उन्हें अपने परिवार के सदस्यों से भी समर्थन मिला और अपने स्वयं के दृढ़ संकल्प और धैर्य से समर्थन के साथ आगे बढ़ीं।
वे कहती हैं,
"मुझे लगता है कि हम सभी के पास उन स्थितियों से निपटने और उनसे गुजरने की आंतरिक शक्ति और क्षमता है जिनकी हमने कभी कल्पना नहीं की थी।"
वह कहती हैं कि किसी को भी उस चीज से भयभीत नहीं होना चाहिए जिसे वे नहीं जानते हैं। वह बताती हैं कि उद्यमशीलता ने उन्हें पांच वर्षों में व्यवसाय, लोगों और खुद में अंतर्दृष्टि प्रदान की है।
50 वर्षीय का मानना है कि कई बार समय पर विकल्प नहीं होने के कारण, ये आपको सीमाओं से आगे जाने के लिए पुश करता है। वह कहती हैं कि यह एक रोमांचकारी यात्रा रही है जहां उन्होंने हर मोड़ पर कुछ न कुछ सीखा है।
TiE फॉर वूमेन
गीतिका 1999 में TiE, दिल्ली-एनसीआर में तब शामिल हुई थीं जब स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र अपनी नवजात अवस्था में था। दो दशक बाद, वह खुश हैं कि महिलाओं ने विडंबनाओं को तोड़ दिया है और उन सब से ऊपर उठ गई हैं। वह पद्मजा रूपारेल जैसे उदाहरणों का हवाला देती हैं जिन्होंने इंडियन एंजल नेटवर्क की स्थापना की और देबसानी घोष जो नैसकॉम की अध्यक्ष हैं। इनका उदाहरण देते हुए वे कहती हैं कि कैसे स्टार्टअप और इनोवेशन के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं अग्रणी हैं।
गीतिका ने खुद अपने जीवन के दो दशक टीआईई को समर्पित किए हैं जहां वह शुरू में एक संयुक्त निदेशक थीं। उनके नेतृत्व में, उन्होंने देश में महिला निवेशकों के लिए अधिक अवसरों को प्रोत्साहित करने के लिए पहल की। इनमें से कुछ पहल महिला उद्यमियों को मेंटॉरशिप देती हैं और TiE Women, BIRAC WiNER अवार्ड्स के तहत साइंस एंड टेक्नोलॉजी में स्टार्टअप शुरू करने वाली महिला उद्यमियों को 1 करोड़ रुपये तक का अवॉर्ड जीतने का भी असर प्रदान किया जाता है साथ ही साथ एक सप्ताह लंबा एक्सीलेटर प्रोग्राम भी उपलब्ध कराया जाता है।
वे उन लोगों को भी पहचानते हैं जो गवर्नेंस के स्तर पर अनुकूल नीतियों को बढ़ावा देने के अलावा, WomENABLER Award के माध्यम से महिला उद्यमियों का समर्थन करते हैं।
सीखे हुए सबक
अंत में, गीतिका का मानना है कि किसी को विश्वास करना सीखना चाहिए और जो वह करता है उस पर विश्वास करना चाहिए। वे कहती हैं,
“जब महिलाओं को अपने स्वयं के स्टार्टअप आइडिया में अटूट विश्वास होता है, तो वे आलोचकों को दूर करने और निवेशकों को समझने, विश्वास करने और अपने स्टार्टअप में निवेश करने के लिए उन्हें मजबूर करने में सक्षम होंगी।"
अपने स्वयं के अनुभव से आकर्षित, वह कहती है कि महिलाएं खुद पर बहुत गुस्सा करती हैं और आसानी से अपने आप को दोषी महसूस करती हैं, खासकर जब ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो उन्हें इस तरह से महसूस कराते हैं। हालांकि वह बताती हैं कि समय के साथ दृष्टिकोण में बदलाव आया है, समानता और कम पक्षपात के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ है। और इसलिए, सफलता का पीछा करते हुए, महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति को जमीन से जुड़ा हुआ और विनम्र बने रहना चाहिए।