जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करता है स्टार्टअप BioPrime
BioPrime Agrisolutions पुणे स्थित एक बायोटेक स्टार्टअप है जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को हल करके किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करता है. स्टार्टअप खास तरह के bio-molecules (जैव-अणु) तैयार करता है, जिनसे ऐसी फसलें तैयार होती हैं जो प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हों.
जैसा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, हमेशा से खेती भारतीय अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग रही है. हालांकि बढ़ती आबादी के साथ, खेती में उत्पादकता एवं क्षमता बढ़ाने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी को अपनाना बहुत ज़रूरी हो गया है. हाल ही के वर्षों में कई स्टार्टअप्स द्वारा पेश किए गए आधुनिक समाधानों के चलते खेती करने के तरीकों में बड़े बदलाव आए हैं, जो पारम्परिक तरीकों के दायरे से बढ़कर इसे अधिक प्रभावी बना रहे हैं.
वर्तमान में भारत में कई स्टार्टअप्स हैं जो नए जमाने की टेक्नोलॉजी का उपयोग कर खेती को अधिक प्रभावी एवं स्थायी बनाने के लिए काम कर रहे हैं. ये स्टार्टअप किसानों को उनकी फसलों के बेहतर प्रबन्धन, उत्पादकता बढ़ाने, आमदनी बढ़ाने, अपशिष्ट कम करने में मदद करते हैं.
Agrisolutions पुणे स्थित एक बायोटेक स्टार्टअप है जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को हल करके किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करता है. स्टार्टअप ऐसे bio-molecules (जैव-अणु) तैयार करता है जो पौधों की अधिकतम बढ़ोतरी और बेहतर उत्पादकता सुनिश्चित करते हैं, जिससे ऐसी फसलें तैयार होती हैं जो प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हों. यह फसल के नुकसान, तापमान में उतार-चढ़ाव और बीमारियों से जूझ रहे किसानों की मदद करने के लिए अपनी एडवांस्ड बायोटेक्नोलॉजी और बायोलॉजिकल्स रिसर्च का लाभ उठाता है.
BioPrime की स्थापना 2016 में डॉ. रेणुका दीवान (को-फाउंडर और सीईओ), डॉ. शेखर भोसले (को-फाउंडर और सीओओ) और डॉ. अमित शिंदे (को-फाउंडर और सीटीओ) ने मिलकर की थी.
शुरुआत
YourStory से बात करते हुए फाउंडर्स बताते हैं, “वर्ष 2016 अल-नीनो वर्ष था, जिससे खेती पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा. 2014-16 का अल-नीनो चक्र इतिहास में दर्ज सबसे बड़े चक्रों में से एक था और इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ा. तापमान में वृद्धि के कारण टमाटर और मिर्च जैसी हजारों एकड़ फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गईं. किसान इस नुकसान को देख रहे थे, फिर भी वे फसलों और उपज को बचाने के लिए कुछ खास नहीं कर सके. तब हमें अहसास हुआ कि इस समस्या का कोई स्थायी समाधान होना चाहिए. हम जानते थे कि इस समस्या का समाधान सैकंडरी मेटाबोलाइट्स-बेस्ड बायोलॉजिकल्स से ही हो सकता है. हमारा संकल्प उपज और जलवायु प्रतिकूलताओं के बीच इस व्यापार-विरोध का सामना करना और किसानों को अपने प्रयासों को जलवायु-रोधी बनाने का विश्वास दिलाना था. और इस तरह BioPrime की शुरुआत हुई.”
अल-नीनो इफेक्ट मौसम संबंधी ऐसी स्थिति है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है. इसकी वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है. ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे के हालात बनने लगते हैं.
वे आगे कहते हैं, “हमारे ब्रांड का उद्देश्य प्रकृति से, प्रकृति के लिए है. हमारा प्रयास सिंथेटिक और रासायनिक समाधानों की क्षमता के बराबर सही जैव अणु और माइक्रोबियल स्ट्रेन को खोजना और निकालना था और इसे इसके विकल्प के रूप में पेश करना था. हमने किसानों को ध्यान में रखते हुए इनोवेशन किए, चीजों व्यावहारिक और व्यावसायिक रूप से किफ़ायती बनाए रखा. और इसने आज पूरे देश में किसानों की मदद करके हमारी उम्मीदों से कहीं ज़्यादा काम किया है.”
बिजनेस मॉडल
BioPrime के बिजनेस मॉडल के बारे में समझाते हुए, फाउंडर बताते हैं, “हमने अपने DNA और क्षमताओं दोनों से एक रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) कंपनी खड़ी की है. हमें बाज़ार तक पहुंच पाने के लिए सही साझेदारी की ज़रूरत थी. बिजनेस मॉडल इसी के इर्द-गिर्द घूमता है. हमने बड़ी भारतीय और बहुराष्ट्रीय फ़सल पोषण और सुरक्षा कंपनियों के साथ साझेदारी की है. ये साझेदारी हमारे इनोवेटिव प्रोडक्ट्स और साझेदार की बाज़ार पहुंच और समझ के लिए तालमेल है. दूसरी ओर, हमने अपने वैज्ञानिक निष्कर्षों को मान्य करने और प्रोडक्ट्स के सही मूल्य प्रस्ताव को खोजने के लिए देश भर में कुछ मजबूत फसल समूह विकसित किए हैं. आने वाले महीनों में, हम साझेदारी और सहयोग के माध्यम से उत्तरी अमेरिका, थाईलैंड और ब्राजील के बाजारों में अपना पोर्टफोलियो लॉन्च करेंगे.”
SNIPR और Bionexus — फसलों के लिए वरदान
बायोटेक स्टार्टअप ने सिंथेटिक इनपुट पर खेती की स्थायी प्रथाओं को प्राथमिकता देने के लिए डीप टेक प्लेटफ़ॉर्म डेवलप किए हैं. SNIPR और Bionexus जैसे इन-हाउस पेटेंट प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से, BioPrime जलवायु परिवर्तन की जानकारी देने, कीटों और बीमारियों से लड़ने और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने के लिए वरदान साबित हुआ है.
फाउंडर बताते हैं, “SNIPR ने टमाटर, आलू, कपास, केला और चावल जैसी कई फसलों में उत्पादकता बढ़ाने, फसल के नुकसान को कम करने, शेल्फ लाइफ बढ़ाने और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने में सिद्ध किया है. इससे किसानों को जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के खिलाफ़ आश्वासन के साथ अधिक पैदावार में मदद मिली है. हमारा मानना है कि BioPrime के जैविक समाधानों को अपनाकर, किसान आने वाली पीढ़ियों के लिए खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण का समर्थन करते हुए उत्पादक और टिकाऊ उत्पादन की खेती कर सकते हैं.”
फंडिंग और रेवेन्यू
BioPrime ने अक्टूबर 24 में सीरीज़-ए राउंड में $6 मिलियन जुटाए. इस राउंड की अगुआई Edaphon ने की और इसमें मौजूदा निवेशकों Omnivore और Inflexor की भी समान हिस्सेदारी रही. यह बेल्जियम स्थित Edaphon का एशिया में पहला निवेश था.
रेवेन्यू मॉडल के बारे में समझाते हुए, फाउंडर बताते हैं, “हमने अपनी साझेदारियों के साथ लगातार 50% की दर से वृद्धि की है और साल-दर-साल आधार पर गहरी पैठ बनाई है. हमारे B2B (बिजनेस-टू-बिजनेस) ग्राहक आधार में हमारे B2C (बिजनेस-टू-कंज्यूमर) क्लस्टर के साथ-साथ लगातार वृद्धि हो रही है. आने वाले महीनों में, हम देखेंगे कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार रेवेन्यू में योगदान दे रहे हैं.”
हालांकि फाउंडर्स ने BioPrime के रेवेन्यू के आंकड़ों का खुलासा नहीं किया.
चुनौतियां
इस बिजनेस को खड़ा करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? इस सवाल के जवाब में BioPrime के फाउंडर कहते हैं, “बायोलॉजिकल सेक्टर विकसित हो रहा है और स्वीकृति के कगार पर है. हमारी सबसे बड़ी चुनौती उद्योग, कॉरपोरेट्स और किसानों को मिट्टी, पौधे और समग्र पर्यावरण के लाभों के लिए जैविक प्रथाओं को अपनाने के गुणों के बारे में शिक्षित करना है. हमें ब्राजील की तरह जैविक प्रथाएं अपनाने में तेजी लाने की आवश्यकता है. जागरुकता फैलाने और इसके इर्द-गिर्द क्षमता निर्माण करने की जिम्मेदारी हमारे जैसे स्टार्टअप, कॉरपोरेट्स, संस्थानों और सरकारी निकायों पर है, हमें जैविक समाधानों को मुख्यधारा में लाने के लिए आज जो कर रहे हैं, उससे 10 गुना अधिक करने की आवश्यकता है.”
भविष्य की योजनाएं
BioPrime को लेकर अपनी भविष्य की योजनाओं का खुलासा करते हुए, फाउंडर बताते हैं, “हम कृषि, चारा और औद्योगिक क्षेत्रों में कुछ अधूरी जरूरतों को हल करने के लिए सूक्ष्मजीवों की क्षमताओं का लाभ उठाने के लिए समाधान लाना जारी रखेंगे. चूंकि जलवायु परिवर्तन अप्रत्याशित बना हुआ है; हम अपने मौजूदा समाधानों को बेहतर बनाना जारी रखेंगे और कृषि उपज पर इसके प्रभाव का मुकाबला करने के लिए नए समाधान लाएंगे. इस दिशा में, हम अपनी बायोस्टिमुलेंट रेंज का विस्तार करेंगे. एक और सेक्टर जहां हम अंतर देखते हैं वह है बायो कंट्रोल सेगमेंट. खास कर बायो फंगसाइड्स और नेमाटोसाइड्स सेक्टर में. हालांकि इस बाजार में बहुत सारे खिलाड़ी हैं, लेकिन इसकी गुणवत्ता और स्थिरता के बारे में चिंता अभी भी एक बाधा है जिसे पार किया जाना है. यहीं पर हम बेहतर और स्थिर समाधान खोजने के लिए सूक्ष्मजीवों की अपनी बायोनेक्सस ताकत को आगे बढ़ाएंगे. हम एक्वा फीड और औद्योगिक क्षेत्रों में अपनी सेवाओं का विस्तार करने पर भी विचार कर रहे हैं.”