'रेन मैन' राघवन की सबसे बड़ी चिंता कि कैसे बुझेगी चेन्नई की प्यास!

'रेन मैन' राघवन की सबसे बड़ी चिंता कि कैसे बुझेगी चेन्नई की प्यास!

Monday June 24, 2019,

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"भरी बरसात में भी चेन्नई महानगर बूंद-बूंद पानी के लिए तड़प रहा है। सरकार को ट्रेन से जलापूर्ति ही एक अदद उपाय सूझ रहा है लेकिन 'रेन मैन' डॉक्टर शेखर राघवन कहते हैं, यह कोई स्थायी उपाय नहीं। इस राजधानी की प्यास तो रेन वाटर हार्वेस्टिंग से ही बुझेगी। सरकार को इस पर स्थायी प्रोजेक्ट बनाना ही होगा।"


raghvan

राघवन



डॉक्टर शेखर राघवन दक्षिण भारत में जलसंकट से जूझते उसी महानगर के 'रेन मैन' हैं, जहां तमलिनाडु सरकार को हाल ही में ट्रेन से रोजाना एक करोड़ लीटर पानी पहुंचाने की व्यवस्था करनी पड़ी है। मुख्यमंत्री के. पलनीस्वामी ने जनता को आश्वस्त किया है कि चेन्नई को वेल्लोर जिले के जोलारपेट्टई से हर रोज एक करोड़ लीटर पानी ट्रेन से पहुंचाया जाएगा। इसके लिए 65 करोड़ रुपए का प्रबंध किया गया है। उधर, केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन से उन्होंने मुल्लपेरियार बांध में पानी भंडारण क्षमता बढ़ाने का आग्रह किया है।


जलापूर्ति और सीवरेज बोर्ड हर रोज चेन्नई में 525 मिलियन लीटर पानी की सप्लाई कर रहा है। पानी पहुंचाने के लिए 800 टैंकर हर रोज अलग-अलग इलाकों में लगभग दस हजार चक्कर लगा रहे हैं। संकट की इस घड़ी में अन्नाद्रमुक सरकार राजधानी के मंदिरों में यज्ञ भी करा रही है। हालात के बेहद गंभीर होने का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चेन्नई की प्यास बुझाने वाले शोलावरम और रेडहिल्स जलाशय सूख चुके हैं। चेम्बरामबक्कम झील में केवल एक मिलियन क्यूबिक फीट पानी बचा है और पूंडी जलाशय में 21 एमसीएफटी, इस बीच भूजल स्तर भी काफी नीचे जा चुका है।


ऐसे में चेन्नई के रेन मैन डॉ शेखर राघवन हर किसी के लिए गौरतलब हो जाते हैं। राजधानी में बारिश होते राघवन की आंखें खुशी से खिल उठती हैं। 'द रेन सेंटर' के संस्थापक डॉ राघवन बताते हैं कि पिछले साल पूर्वी मॉनसून फेल हो जाने से पांच दिसंबर के बाद बारिश लापता हो गई थी। मामूली बारिश से इतने बड़े महानगर का भला क्या हो सकता है। भूजल स्तर भी रिचार्ज होने से रहा। अकाल जैसे हालात हैं। भू-जल स्तर गिरने से नलकूप भी सूख गए हैं। कुओं का आसरा है, वह भी मामूली सा। उनमें फिलहाल दस-पांच फीट पानी रह गया है।


डॉ राघवन शुरू से ही चेन्नई में रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर देते रहे हैं। वह चाहते हैं कि यहां के लोगों को बरसात के दिनो में सामुदायिक स्तरों पर जल संग्रह करना चाहिए। वे आखिर कब तक चार गुना अधिक पैसे देकर टैंकरों से पानी खरीदते रहेंगे। पानी की कमी के कारण ही स्कूलों में काम के घंटे घटा दिए गए हैं। यहां की कंपनियां अपने कर्मचारियों से घर पर रह कर काम करने के लिए कह रही हैं। इस भीषण जलसंकट ने अमीरों को भी फटेहाल बनाकर रख दिया है। उनके पास पैसा है पर पानी नहीं तो खरीदें भी कहां से।


डॉक्टर राघवन वाटर हार्वेस्टिंग में मदद के लिए कोई फीस नहीं लेते हैं। वह बताते हैं कि पिछले कुछ दिनो से रोजाना उनसे दस-पांच लोग इसी मसले पर मुलाकातें कर रहे हैं। उनका सिर्फ एक मकसद रहता है, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के बारे में विमर्श करना। पहले उनकी बातों को लोग नज़रअंदाज़ कर देते थे लेकिन आज मुसीबत में उनका कहा किसी भी कीमत पर मानने को तैयार रहते हैं।


वैसे किसी वक़्त तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता की सरकार ने भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया था लेकिन उनके बाद की सरकारों ने उस जरूरत को हल्के में लिया। अब तो इस महानगर के लिए सरकार को दीर्घकालीन प्रोजेक्ट पर काम करना ही होगा, ट्रेन से पानी पहुंचाकर इतने बड़े शहर की कब तक प्यास बुझाई जा सकती है। इस जलसंकट की वजह भी इस शहर के लोग हैं, जलाशयों, तालाबों, कुओं को पाट डाला है तो उन्हे ही इसका मुकम्मल समाधान भी ढूंढना होगा।