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अकालग्रस्त मराठवाड़ा में देसी 'वॉटर एटीएम' वाला पटोदा गांव बना मिसाल


अकालग्रस्त मराठवाड़ा में देसी 'वॉटर एटीएम' वाला पटोदा गांव बना मिसाल

Sunday June 23, 2019 , 4 min Read

महाराष्ट्र के 21 हजार गांव जहां एक-एक बूंद पानी के लिए जूझ रहे हैं, औरंगाबाद जिले का गांव पटोदा मिसाल बन गया है। घर-घर में वॉटर मीटर लगे हैं। हर ग्रामीण को वॉटर एटीएम कॉर्ड मिला हुआ है। वैसे तो पानी फ्री मिलता है मगर समय-समय पर इसके ऑडिट की भी व्यवस्था है ताकि पानी की बर्बादी भी न हो सके।


water atm

पटोदा का वॉटर एटीएम

वैसे तो इस वक़्त आधा भारत ही सूखे की चपेट में है। अवर्षण से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र के लगभग 21 हजार गांव जीवन-मरण प्रश्न बन चुके बूंद-बूंद पानी के लिए जूझ रहे हैं। ऐसे में राज्य के जिला औरंगाबाद का गांव पटोदा अपने 'वॉटर एटीएम' के कारण एक नई मिसाल बन गया है। इस समय महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में, खासकर लाखों किसान संभावित अकाल का सामना कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि मराठवाड़ा में तो 1972 के बाद पहली बार ऐसा भीषण सूखा पड़ा है।


प्रदेश के नौ में से आठ बड़े जलाशय सूख चुके हैं, जिनमें सिर्फ ऐसा मृत जल कीचड़ की तरह रह गया है, जो इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। औरंगाबाद के पैठन डैम नाथ सागर से नांदेड़ को पानी जाता है। ये इलाका मौसम्बी फल की खेती के लिए जाना जाता है लेकिन इस बार यहां बाग-के-बाग सूख रहे हैं। किसानों को पानी खरीद कर लाना पड़ रहा है। एक टैंकर पानी के लिए तीन-साढ़े तीन हजार तक भुगतान करना पड़ रहा है।


एक ओर पानी के लिए हाहाकार, दूसरी तरफ भारतीय रेलवे, मेट्रो, रोड ट्रांसपोर्ट से लेकर प्राइवेट कंपनियां तक वॉटर एटीएम इन्स्टॉल कराने में जुटी हुई हैं। यूजर वाटर एटीएम में क्वॉइन या नोट के जरिए पानी को छोटे गिलास से लेकर 20 लीटर तक के जार में ले सकते हैं। इस तरह के एटीएम में इनबिल्ट आरओ सिस्टम होता है। मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की ससुराल का पीरामल परिवार भी एक कंपनी के साथ मिलकर वॉटर एटीएम के फ्रेंचाइजी दे रहा है।


वॉटर एटीएम के सच का दूसरा पहलू ये है कि छत्तीसगढ़ के शहरी इलाकों में प्रदेश सरकार ने रायपुर समेत एक दर्जन जिलों में जो 150 वॉटर एटीएम लगाने को मंजूरी दी, नगर पालिका और नगर निगमों ने कुछ चुनिंदा इलाकों में वॉटर एटीएम लगा भी दिए, वे शो-पीस बन कर रह गए हैं। उन्हे न तो वॉटर कनेक्शन मिला है, न ही बिजली कनेक्शन। मुश्किल ये आड़े आ रही है कि वॉटर एटीएम को सप्लाई होने वाली बिजली का भुगतान कौन करे! गुरुग्राम (हरियाणा) में तो नगर निगम की ओर से शहर में लगाए जा रहे 48 वॉटर एटीएम सिर्फ विज्ञापन का केंद्र बनकर रह गए हैं तो चंडीगढ़ में वॉटर एटीएम से 05 रुपए लीटर पानी बेचना तमाशा बना हुआ है।





बाकी दुनिया में भले अकाल हो, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) के गांव पटोदा वाले देसी वॉटर एटीएम की दास्तान ही कुछ और है। पटोदा मराठवाड़ा के अन्य गांवों से काफी अलग है। ये गांव भी भीषण सूखे की चपेट में है लेकिन यहां के ग्रामीण 'वॉटर एटीएम' के पानी के संकट से उबर गए हैं। यहां हर एक घर में वॉटर मीटर लगा है। इस वॉटर एटीएम की पूरी व्यवस्था स्वयं गांव वाले ही संभालते हैं। इससे पानी लेने के लिए हर ग्रामीण को बाकायदा एक-एक एटीएम कार्ड दिया गया है। हर ग्रामीण पानी की बड़ी आस्था के साथ हिफाजत भी करता है।


पानी की बर्बादी न हो, इसके लिए यहां के ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से कुछ कड़े नियम भी बना रखे हैं। ऐसी व्यवस्था है कि समय समय पर पानी की समुचित उपयोग का ऑडिट भी होता रहता है। अपनी इस मॉडल व्यवस्था के लिए इस गांव को कई अवार्ड भी मिल चुके हैं। पटोदा के इस माकूल इंतजाम से आसपास के गांवों को भी प्रेरणा मिल रही है।


चौबीस घंटे चलने वाले इस वॉटर एटीएम में हर वक्त पानी उपलब्ध होता है। एक आदमी को वॉटर एटीएम से एक दिन में बीस लीटर तक पानी फ्री दिया जाता है। जो ग्रामीण बीस लीटर से ज्यादा पानी चाहता है, उसे भी एक हजार लीटर के लिए मात्र पांच रुपए का भुगतान करना पड़ता है। इस व्यवस्था से कुओं की भी कनेक्टविटी रखी गई है। साफ-सफाई, कपड़े धोने आदि के लिए सरकारी जलप्रदाय योजना के तहत पानी मिल जाता है।