भुजिया नमकीन से हुई थी शुरुआत, आज देश-विदेश में धूम मचा रहा है हल्दीराम
हल्दीराम ब्रांड ने आज हर घर में अपनी जगह बना ली है। इसके प्रोडक्ट की हर गांव, गली, कस्बों और शहरों तक पहुंच है।
‘हल्दीराम’, इस नाम से तो आप सभी परिचित होंगे। लेकिन, इसकी शुरुआत कब, कैसे और कहां हुई? इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। हल्दीराम ब्रांड ने आज हर घर में अपनी जगह बना ली है। इसके प्रोडक्ट की हर गांव, गली, कस्बों और शहरों तक पहुंच है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में कंपनी के पास 400 से अधिक उत्पाद हैं। इनमे से कुछ प्रोडक्ट तो ऐसे भी हैं जिनका हम सब रोजमर्रा के जीवन में भी इस्तेमाल करते हैं। इस कंपनी का नाम सुनते ही सबसे पहले हर किसी के दिमाग में हल्दीराम की भुजिया नमकीन का ख्याल आता है। इस पारंपरिक भुजिया ने इस ब्रांड को देशभर में खास पहचान दिला दी।
हालांकि, वर्तमान में हल्दीराम के पास भुजिया के अलावा सेव, सोहन पापड़ी, रसगुल्ले, जैसे कई खाद्य उत्पाद मौजूद हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में हल्दीराम के रेवेन्यू में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जिसके बाद इस ब्रांड ने 4000 करोड़ के आंकड़ों को पार कर लिया था।
कहां से हुई शुरुआत
राजस्थान के बीकानेर से शुरू हुआ ये छोटा स कारोबार अपने स्वाद और क्वालिटी की बदौलत आज भारत ही नहीं बल्कि, दुनिया के अन्य देशों में भी अपनी छाप छोड़ रहा है। इस कंपनी के पीछे अग्रवाल परिवार के कई पीढ़ियों की मेहनत छुपी है। हल्दीराम कंपनी की शुरुआत एक छोटी-सी दुकान से हुई थी।
वर्ष 1937 गंगाविशन अग्रवाल राजस्थान के बीकानेर में एक छोटी-सी दुकान चलाते थे, जिसमें वो मिठाई और नमकीन बेचा करते थे। यह वास्तव में इनके पिता भीखाराम के द्वारा शुरू किया गया भुजिया सेव का व्यापार था, जिसे बाद में हल्दीराम यानी भीखाराम के पोते गंगाबिशन ने ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
राजस्थान से निकलकर दिल्ली और अमेरिका में फैला बिजनेस
रिपोर्ट के मुताबिक, एक बार हल्दीराम किसी परिवारिक कार्यक्रम के शामिल होने के लिए कोलकाता गए थे। यात्रा के दौरान नाश्ते के लिए वह अपने साथ भुजिया भी ले गए थे। वह भुजिया वहां उनके रिश्तेदारों ने खायी जो उन्हें काफी पसंद आई। रिश्तेदारों ने हल्दीराम से एक दुकान कोलकाता में भी खोलने को कहा।
यह सुझाव उन्हें भी काफी पसंद आया। हल्दीराम की एक ब्रांच कोलकाता में खोल दी गई। इसके बाद उनके कारोबार को उनके पोते शिवकुमार और मनोहर ने संभाला। धीरे-धीरे हल्दीराम का कारोबार नागपुर और दिल्ली तक जा पहुंचा। साल 1970 में नागपुर में पहला स्टोर खोला गया। 1983 में दिल्ली में दूसरा स्टोर।
इन दोनों ही जगहों पर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाए गए। पूरे देश में हल्दीराम के प्रोडक्ट बिकने लगे। देखते ही देखते हल्दीराम विदेशों में भी बिकने लगा। प्रोडक्ट और क्वालिटी के आधार पर देखें तो हल्दीराम लगातार बुलंदियों को छूता चला गया। इसका आलम यह हुआ कि 2003 में हल्दीराम के प्रोडक्ट अमेरिका में भी बिकने शुरू हो गए। आज करीब 80 देशों में हल्दीराम के प्रोडक्ट का निर्यात किया जाता है।
दादा ने बहन से सीखी थी भुजिया बनाने की रेसीपी
गंगा बिशन अग्रवाल ‘हल्दीराम’ के दादा भीखाराम ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। पाँच दशक पहले भीखाराम अग्रवाल लगातार काम की तलाश में भटक रहे थे। इसी दौरान उन्होंने अपने और अपने बेटे चांदमल के नाम पर एक दुकान खोली, जिसका नाम रखा भीखाराम चांदमल। भीखाराम ने भुजिया बनाने की कला अपनी बहन से सीखी थी।
दुकान में उन्होंने नमकीन बेचनी शुरू की। दुकान के आसपास के लोगों को उनकी नमकीन का स्वाद रास आने लगा और कुछ ही समय में इस दुकान का भुजिया लोकप्रिय हो गया।
Edited by Ranjana Tripathi