वर्चुअल ऑटोप्सी क्या होती है? राजू श्रीवास्तव का केस देश का पहला है
कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का निधन हो चुका है. 10 अगस्त को जिम में वर्कआउट करने के दौरान हार्ट अटैक के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था. जिंदगी और मौत की 42 दिन लंबी लड़ाई लड़ने के बाद बुधवार 21 सितंबर को उनका निधन हो गया. गुरुवार की सुबह दिल्ली के निगम बोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.
राजू श्रीवास्तव के शव का वर्चुअल ऑटोप्सी किया गया. अस्पताल एम्स में भर्ती किये जाने के वक़्त वे होश में नहीं थे. ट्रेडमिल पर दौड़ते हुए गिरे या नहीं, यह बात साफ करने के लिए उनका पोस्टमार्टम किया गया. किसी की मौत की वजह अगर साफ़ नहीं हो पाती तो वह एक लीगल केस बन जाता है और ऐसे में पुलिस पोस्टमॉर्टम का विकल्प चुनती है.
रीसर्च से यह बात सामने आई है कि अक्सर मृतक के परिजन पोस्टमार्टम कराने के पक्ष में नहीं होते. पोस्टमार्टम के दौरान शव की जांच करने के लिए की जाने वाली चीड़-फाड़ उसकी एक प्रमुख वजह है. इसके अलावा, कई धर्मों में इसकी अनुमति न होना भी एक बड़ी वजह है. ऐसे में वर्चुअल ऑटोप्सी काफी मददगार साबित हो सकती है. क्यूंकि इसमें शव की पूरी जांच मशीन की मदद से की जाती है. इस प्रोसेस में नॉर्मल पोस्टमार्टम की तरह कोई चीर-फाड़ नहीं होती.
फोरेंसिक डॉक्टर एडवांस डिजिटल एक्सरे और एमआरआई मशीन का इस्तेमाल करते हैं. इस प्रोसेस से मौत की कारण का ज़्यादा सटीक अंदाजा लगाया जा सकता है. वर्चुअल ऑटोप्सी से समय और पैसे दोनों की ही बचत होती है. जहां नॉर्मल पोस्टमार्टम में 2.5 घंटे का वक्त लगता है, वहीं वर्चुअल पोस्टमार्टम 30 मिनट में किया जा सकता है. कम समय लगने की वजह से शव को अंतिम संस्कार के लिए जल्दी भेजा जा सकता है.
वर्चुअल ऑटोप्सी एक रेडियोलॉजिकल परीक्षण है. इसमें उन फ्रैक्चर, खून के थक्के और चोटों का भी पता चल जाता है, जिन्हें आंखों से नहीं देख सकते. इस प्रोसेस की मदद से ब्लीडिंग के साथ-साथ हड्डियों में हेयरलाइन या चिप फ्रैक्चर जैसे छोटे फ्रैक्चर का भी आसानी से पता चल जाता है इन्हें एक्सरे के रूप में रखा जा सकता है, जो आगे जाकर कानूनी सबूत बन सकते हैं.
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड जैसे देश पहले से ही इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन दक्षिण-पूर्वी एशिया में एम्स दिल्ली वर्चुअल ऑटोप्सी करने वाला एक मात्र अस्पताल है. दिल्ली में यह पहला वर्चुअल ऑटोप्सी सेंटर है, जहां ये पूरी प्रक्रिया विधिवत हुई. भारत ही नहीं पूरे साउथ ईस्ट एशिया में पहली बार किसी डेडबॉडी का वर्चुअल पोस्टमार्टम किया गया है.