Razorpay और Pine Labs को मिला पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस, RBI ने दी मंजूरी
कई पेमेंट गेटवेज और अन्य फिनटेक कंपनियों ने पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. पिछले कई महीनों से आरबीआई इनके प्रजेंटटेशन देख रही थी. आरबीआई जल्द ही उन कंपनियों की सूची जारी करने वाली है जिन्हें पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में उसने लाइसेंस दिया है.
और सहित कई बड़े ऑनलाइन पेमेंट प्रोवाइडर्स को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस दे दिया है.
कई पेमेंट गेटवेज और अन्य फिनटेक कंपनियों ने पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. पिछले कई महीनों से आरबीआई इनके प्रजेंटटेशन देख रही थी. आरबीआई जल्द ही उन कंपनियों की सूची जारी करने वाली है जिन्हें पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में उसने लाइसेंस दिया है.
बता दें कि, मार्च, 2020 में पेमेंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क की औपचारिक रूप से शुरुआत की गई थी. इसके तहत निर्धारित किया गया कि केवल आरबीआई द्वारा मंजूरी हासिल करने वाली कंपनियां ही कारोबारियों को पेमेंट सेवा ऑफर कर सकती हैं.
भारत में पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने के लिए अधिकृत फर्म व्यापारियों को भुगतान सेवाएं प्रदान करते समय आरबीआई के सीधे दायरे में आ जाएंगी. यह एक ऐसा कदम है जो एक अधिक स्टैंडर्डाइज्ड और विनियमित भुगतान इकोसिस्टम की ओर ले जाएगा.
पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस मांगने वाली कई ऑनलाइन पेमेंट गेटवेज कंपनियां ‘नो-योर-कस्टमर (KYC)’, पूर्व में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज और गेमिंग ऐप्स के साथ-साथ आरबीआई द्वारा निर्धारित नेट वर्थ क्राइटेरिया का पालन नहीं करने के कारण आरबीआई की जांच के घेरे में थीं.
आरबीआई के नियमों के अनुसार, अपने आवेदन की तारीख या मार्च, 2021 के अंत तक पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों को 15 करोड़ या मौजूदा वित्तीय वर्ष 2023 के अंत तक 25 करोड़ रुपये की नेट वर्थ दिखानी होती है.
क्रेड, रेजरपे और फोनपे जैसे बड़े नामों के साथ-साथ कम से कम 185 फिनटेक कंपनियों ने पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस की मांग करते हुए आवेदन दिए थे.
वहीं, अगर किसी ऐप का आवेदन खारिज हो जाता है तो कंपनियों को अपनी गेटवे सेवा को तीन महीने में बंद करना होगा. आरबीआई इस टाइम पीरियड को बढ़ाकर छह महीने करने पर विचार कर रहा है.