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RBI Monetary Policy: चौथी बार भी बढ़ सकती है रेपो रेट, महंगाई होगी काबू में?

RBI Monetary Policy: चौथी बार भी बढ़ सकती है रेपो रेट, महंगाई होगी काबू में?

Friday September 30, 2022 , 3 min Read

आरबीआई (RBI) ने महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो दर (Repo Rate) में मई से अबतक 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की है. इस दौरान रेपो दर चार प्रतिशत से बढ़कर 5.40 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है. मौद्रिक नीति समिति (RBI Monetary Policy Committee) 30 सितंबर यानी आज रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला कर सकती है. ऐसा होने पर रेपो दर बढ़कर 5.90 प्रतिशत हो जाएगी. अगर ऐसा हुआ तो होम लोन की ईएमआई (EMI) भरने वालों को अधिक भुगतान करना पड़ेगा. भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में इजाफा किए जाने के बाद से बैंक लोन की दरों में बढ़ोतरी शुरू कर देंगे और यह बढ़ोतरी एक दशक में सबसे तेज रहेगी.

पिछले हफ्ते ही करीब एक दर्जन केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में इजाफा किया था. अमेरिका के बैंक ने 0.75 फीसदी की बढ़त की थी.

दरअसल, महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ाने की रणनीति अपनाए हैं. बावजूद इसके महंगाई की दरें उनके लक्ष्यों से ऊपर है. भारत में खुदरा महंगाई की दर सात फीसदी है जबकि आरबीआई का लक्ष्य 2 से 6 फीसदी है. मई से लेकर अब तक के तीन बार में इसने ब्याज दरों में 1.40 फीसदी का इजाफा किया है.

मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले शेयर मार्केट में आज दबाव दिख रहा है. सेंसेक्स 196.24 अंक नीचे 56,213.72 के स्तर पर है.

जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं. और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे.

हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी से आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर पर बने रहने के बीच घरेलू मुद्रा में तेजी से गिरावट आ रही है.

आरबीआई ने मार्च 2020 में कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से रेपो रेट को घटा दिया था. इसके बाद हालात सामान्य होने बाद 4 मई 2022 तक रेपो रेट को स्थिर रखा था.

रेपो रेट क्या है?

इसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है. बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है. ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से कर्ज लेते हैं. इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं.