तो क्या बैंकों के विलय से इस सेक्टर को फायदा हुआ है – RBI ने बताया?
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India -RBI) के शोधकर्ताओं की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों के विलय (Bank Mergers) से अधिग्रहणकर्ता और अधिग्रहीत दोनों को लाभ हुआ है. जबकि लेन-देन ने अधिग्रहणकर्ता बैंकों की दक्षता में सुधार करने में मदद की है, उन्होंने अधिग्रहण किए गए बैंकों के लिए शेयरधारक मूल्य में इजाफा हुआ है. (banking mergers in India benefited sector)
पेपर के निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत में बैंकिंग विलय औसतन बैंकिंग क्षेत्र के लिए फायदेमंद रहा है क्योंकि विलय के बाद वित्तीय प्रदर्शन और अधिग्रहकों की दक्षता में सुधार हुआ है. ये निष्कर्ष 2019-2020 के दौरान हाल ही में बैंक विलय के लिए भी मान्य हैं, जिसके लिए अब तक केवल सीमित डेटा उपलब्ध हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक अधिग्रहणकर्ताओं की तकनीकी क्षमता विलय से पहले की अवधि में 90.88 से बढ़कर विलय के तीन साल बाद 93.80 और सौदे के पांच साल बाद 94.24 हो गई. अधिग्रहीत बैंकों में अपेक्षाकृत कम प्रबंधकीय और संगठनात्मक दक्षताओं में अध्ययन में कोई बाधा नहीं पाई गई. पेपर ये भी बताते हैं कि कि विलय से उत्पादक क्षमता के पैमाने में वृद्धि हुई है. विलय की गई संस्थाओं को अधिग्रहित बैंकों के शाखा नेटवर्क तक अतिरिक्त पहुंच से भी लाभ हुआ.
पेपर में बताया गया है, "तथ्यों पर गौर करने से दक्षता लाभ हो सकता है, विलय के बाद भौगोलिक विविधीकरण और ब्याज आय के हिस्से में सुधार को महत्वपूर्ण कारकों के रूप में पहचानता है."
2019-2020 के दौरान विलय के लिए नियोजित दृष्टिकोण, जहां पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है, सुझाव देता है कि विलय के परिणामस्वरूप अधिग्रहीत बैंकों के शेयरधारकों की संपत्ति में वृद्धि हुई, यहां तक कि अधिग्रहणकर्ता बैंकों के शेयर मूल्य में अस्थायी उछाल देखा गया.
केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को आपस में विलय कर चार बड़े बैंक बनाने का फैसला किया था. सरकार ने देश में विश्वस्तरीय बड़े बैंक बनाने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाने का कदम उठाया है. इसी के तहत लिए गए निर्णय के बाद इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में और आंध्र बैंक तथा कार्पोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में किया गया.
बैंक के विलय की योजना सबसे पहले दिसंबर 2018 में पेश की गई थी, जब आरबीआई ने कहा था कि अगर सरकारी बैंकों के विलय से बने बैंक इच्छित परिणाम हासिल कर लेते हैं तो भारत के भी कुछ बैंक वैश्विक स्तर के बैंकों में शामिल हो सकता है.
आपको बता दें कि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय हो गया है. केनरा बैंक में सिंडिकेट बैक का विलय हुआ है. बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank Of Baroda) में देना बैंक और विजया बैंक का विलय हो चुका है. इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में हो चुका है. वहीं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय हुआ है. इनके अलावा स्टेट बैंक के कई सहायक बैंक भी शामिल हैं, जिनका उनके ‘मदर बैंक’ एसबीआई में पहले ही मर्जर हो चुका है और यह देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन चुका है.