Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

क्या ‘काम का अधिकार’ कानून लाने से देश में सभी को रोजगार मिल पाएगा?

देश बचाओ अभियान द्वारा स्थापित रोजगार और बेरोजगारी पर जन आयोग ने मंगलवार को अपने अध्ययन ‘काम का अधिकार: भारत के लिए वास्तव में सभ्य और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनने के लिए व्यावहारिक और अपरिहार्य’ रिपोर्ट जारी की.

क्या ‘काम का अधिकार’ कानून लाने से देश में सभी को रोजगार मिल पाएगा?

Wednesday October 12, 2022 , 3 min Read

देश में सभी को रोजगार सुनिश्चित करने के लिए सरकार को ‘काम का अधिकार’ कानून बनाने और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का कम से कम 5 प्रतिशत यानी 13.52 लाख करोड़ रुपये का सालाना निवेश करने की जरूरत है. रोजगार और बेरोजगारी पर जन आयोग की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

देश बचाओ अभियान द्वारा स्थापित रोजगार और बेरोजगारी पर जन आयोग ने मंगलवार को अपने अध्ययन ‘काम का अधिकार: भारत के लिए वास्तव में सभ्य और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनने के लिए व्यावहारिक और अपरिहार्य’ रिपोर्ट जारी की.

रिपोर्ट में कहा गया कि पूर्ण रोजगार के लक्ष्य को किसी आधे-अधूरे नजरिए के जरिये प्राप्त नहीं किया जा सकता है. इसके लिए कानूनी, सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं में भारी बदलाव की आवश्यकता होती है.

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को नागरिकों के लिए अच्छी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए ‘काम का अधिकार’ कानून बनाना चाहिए. साथ ही इसमें कहा गया है कि 21.8 करोड़ लोगों के लिए रोजगार सृजित करने के लिए प्रति वर्ष 13.52 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी के पांच प्रतिशत के बराबर निवेश की आवश्यकता है.

रिपोर्ट में अगले पांच वर्षों के लिए इस खर्च को जीडीपी का सालाना एक प्रतिशत बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि रोजगार बढ़ने से उत्पादन के साथ-साथ मांग भी बढ़ेगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्ण रोजगार के लक्ष्य को हासिल करने में संसाधनों की कमी की बात करना बहस को गलत दिशा में मोड़ने का प्रयास है क्योंकि इस सेल्फ फाइनेंस किया जा सकता है. यह अमीरों की उस धारणा के विपरीत है कि पूर्ण रोजगार उनके लिए एक निगेटिव होगा.

बता दें कि, फिलहाल 21.8 करोड़ लोगों को काम की आवश्यकता है. यह आंकड़ा तब है जब इसमें ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत लाभार्थी लोगों की संख्या नहीं जोड़ी गई है. इसमें कहा गया कि फिलहाल 30.4 करोड़ लोगों के पास प्रॉपर वर्क है.

रिपोर्ट में कहा गया कि पूर्ण रोजगार की दिशा में आगे बढ़ते हुए अधिक सभ्य और लोकतांत्रिक समाज के लक्ष्य को हासिल करना संभव है. हालांकि, रिपोर्ट में इस बात पर दुख जताया गया है बाजार पूर्ण रोजगार की गारंटी नहीं देते हैं. बल्कि यह भी चाहते हैं कि बेरोजगारी बनी रहे ताकि श्रम की कीमत कम रखी जा सके.

एडवांस्ड देशों में विकसित की जा रही नई तकनीक उनकी जरूरतों के लिए उपयुक्त है लेकिन भारत जैसे विकासशील देश के लिए जरूरी नहीं है. हाई टेक्नोलॉजी से किसी कंपनी का लाभ बढ़ाया जा सकता है लेकिन यह रोजगार की संभावना को भी कम करता है. इसलिए, जो लोग टेक्नोलॉजी को अपनाते हैं और रोजगार को कम करते हैं उन्हें उसके लिए टैक्स देना चाहिए जिसका उपयोग रोजगार पैदा करने में लगने वाले वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है.


Edited by Vishal Jaiswal