रुपये के 81 के पार जाने से और बढ़ेगी महंगाई, जानिए क्या-क्या होगा महंगा?
SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये की कीमत में यह गिरावट डॉलर की मजबूती की वजह से आई है, घरेलू आर्थिक मूलभूत कारणों से नहीं. अमेरिकी मुद्रा की मजबूती के बीच रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 43 पैसे टूटकर 81.52 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के 81.52 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर जाने से कच्चे तेल और अन्य अनाजों का आयात महंगा हो जाएगा जिससे महंगाई और बढ़ जाएगी. मुद्रास्फीति पहले से ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधिकतम सुविधाजनक स्तर छह फीसदी से ऊपर बनी हुई है.
SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोई भी केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा के अवमूल्यन को फिलहाल रोक नहीं सकता है और आरबीआई भी सीमित अवधि के लिए रूपये में गिरावट होने देगा. इमसें कहा गया, ‘‘यह भी सच है कि जब मुद्रा एक निचले स्तर पर स्थिर हो जाती है तो फिर उसमें नाटकीय ढंग से तेजी आती है और भारत की मजबूत बुनियाद को देखते हुए यह भी एक संभावना है.’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये की कीमत में यह गिरावट डॉलर की मजबूती की वजह से आई है, घरेलू आर्थिक मूलभूत कारणों से नहीं.
बता दें कि, अमेरिकी मुद्रा की मजबूती के बीच रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 43 पैसे टूटकर 81.52 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 81.47 पर खुला, फिर गिरकर 81.52 पर आ गया. इस तरह रुपया पिछले बंद भाव के मुकाबले 43 पैसे टूटा. रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 30 पैसे टूटकर 81.09 पर बंद हुआ था.
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों को बार-बार बढ़ाने से भारतीय रुपये पर बना दबाव व्यापार घाटा बढ़ने और विदेशी पूंजी की निकासी की वजह से और बढ़ने की आशंका है.
बढ़ जाएंगे तेल, गैस और अन्य अनाजों के दाम
भारत अपनी 85 फीसदी तेल जरूरतों और 50 फीसदी गैस जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. ऐसी स्थिति में रुपये में कमजोरी का असर ईंधन की घरेलू कीमतों पर पड़ सकता है. मिल मालिकों के संगठन सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि इससे आयातित खाद्य तेलों की लागत बढ़ जाएगी. इसका भार अंतत: उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.
अगस्त 2022 में वनस्पति तेल का आयात पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 41.55 फीसदी बढ़कर 1.89 अरब डॉलर रहा है. कच्चे तेल का आयात बढ़ने से अगस्त में भारत का व्यापार घाटा अगस्त में दोगुना से अधिक होकर 27.98 अरब डॉलर हो गया. इस वर्ष अगस्त में पेट्रोलियम, कच्चे तेल एवं उत्पादों का आयात सालाना आधार पर 87.44 फीसदी बढ़कर 17.7 अरब डॉलर हो गया.
इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘अनाज के दामों में कमी का मुद्रास्फीति पर जो अनुकूल असर पड़ना था वह रुपये में गिरावट की वजह से कुछ प्रभावित होगा.’’
आरबीआई उठा रही कदम
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इस सप्ताह के अंत में द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाली है. इसमें मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए वह रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला कर सकती है.
आरबीआई ने महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो दर में मई से अब तक 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की है. इस दौरान रेपो दर चार प्रतिशत से बढ़कर 5.40 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 30 सितंबर को रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला कर सकती है। ऐसा होने पर रेपो दर बढ़कर 5.90 प्रतिशत हो जाएगी.
आरबीआई के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक बुधवार को शुरू होगी और दरों में परिवर्तन पर जो भी निर्णय होगा उसकी जानकारी शुक्रवार 30 सितंबर को दी जाएगी.
Edited by Vishal Jaiswal