Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

Vladimir Putin: KGB एजेंट से राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र

Vladimir Putin: KGB एजेंट से राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र

Friday October 07, 2022 , 5 min Read

पिछले 20 सालों में दुनियाभर में तमाम सरकारें आईं-गईं. तख्‍तापलट हुए. सरकारों में भूमिकाएं बदलीं. एक की जगह दूसरे ने ली. कुछ हमारे बीच नहीं रह गए. नहीं बदले हैं तो देश के मानचित्र और रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin). पुतिन उन रूसी नेताओं में से हैं जो सबसे लंबे समय तक सत्ता में बने रहे हैं. पुतिन आज भी रूस के सर्वोच्‍च नेता हैं. हालांकि फरवरी  2022 में यूक्रेन पर हुए रूसी हमले के बाद यूक्रेन का मानचित्र भी बदल सकता है. लेकिन पुतिन 2024 तक सत्ता में बने रहेंगे और उसके बाद भी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के बतौर उनके सत्ता में बने रहने के संकेत मिल रहे हैं.

यूक्रेन के साथ जब फरवरी में रूस की जंग शुरू हुई तो पश्चिमी देशों ने रूस की तीखी आलोचना की और सख़्त प्रतिबंध लगाए. यूक्रेन युद्ध को लेकर लगाये गए आरोपों को रूस ख़ारिज करता रहा है. पुतिन स्वयं परेशान होने के बजाए निश्चिंत और आराम से दिखाई देते हैं. जानकारों का कहना है कि पुतिन रूस की छवि को एक मज़बूत देश के तौर पर दिखाना चाहते हैं जिसका नेतृत्व मज़बूत हाथों में है और जो अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं आता है. यूक्रेन के साथ जंग के बीच पुतिन अपना जन्मदिन मना रहे थे. पुतिन विदेशी मसलों पर क्या सोचते हैं या कोई नीति बनाते समय उनके दिमाग में क्‍या चलता है, किसी को भी कुछ नहीं मालूम होता है और यह लोगों को हैरान करता है. पुतिन का रूस की इंटेलीजेंस एजेंसी केजीबी का हिस्‍सा रहना, जूडो और आइस स्केटिंग में रुचि रखना, पालतू जानवरों से प्यार, फाइटर जेट्स तक उड़ा लेना और इसके साथ-साथ एफ1 का भी शौक रखना..ऐसी तमाम बातें दुनिया भर के लोगों को संशय में रखती हैं कि पुतिन हैं कौन और रूस क्या कर रहा है या क्या करने वाला है. हालांकि इस बात को याद रखने की ज़रूरत है कि ‘पुतिन एक पहेली हैं’ वाली ईमेज जितना पुतिन के बारे में कहता है, उतना ही पुतिन में दिलचसपी रखने वाले लोगों के बारे में भी कुछ कहता है. आखिर क्यों हमें ‘माचो’ ईमेज के साथ-साथ ‘दयालुता’ के भाव रखने वाले व्यक्ति में इतनी रूचि होती है? इस ईमेज को गढ़ने में सरकार के साथ मीडिया के रोल को भी समझने की भी दरकार है.


पर इसमें कोई शक नहीं है कि इक्कीसवीं सदी में रूस में सिर्फ एक प्रभावशाली चेहरा रहा, और वो नाम है पुतिन. पुतिन के चीफ ऑफ स्टाफ व्लादिमीर ऑस्ट्रोवेंको के शब्दों में "पुतिन नहीं तो रूस नहीं."


रूस के बेहद साधारण से परिवार में 7 अक्‍टूबर 1952 को सोवियत संघ के लेनिनग्राड (अब सेंट पीटर्सबर्ग) में जन्‍मे पुतिन के पिता सिक्‍योरिटी गार्ड थे. क्रेमलिन की वेबसाइट के अनुसार पुतिन अपनी स्कूलिंग पूरी करने से काफ़ी पहले से सोवियत गुप्तचर सेवा में शामिल होना चाहते थे और 17 साल तक पुतिन रूस की इंटेलीजेंस एजेंसी ‘केजीबी’ का हिस्‍सा भी रहे. ‘केजीबी’ सोवियत संघ के जमाने की वह एजेंसी थी जो अमेरिकी एजेंसी ‘सीआईए’ के बराबर समझी जाती थी. केजीबी में अपने करियर के दौरान ही पूर्व राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन से पुतिन का करीबी और भरोसेमंद रिश्ता बना जो आगे जाकर पुतिन के राष्ट्रपति बनने के रास्ते को तय करेगा. बहरहाल, 1991 में पुतिन ने ‘केजीबी’ से इस्‍तीफा दे दिया और सेंट पीटर्सबर्ग वापस आ गए. तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तिसन और उनके निकटतम सहयोगियों ने देश को नई दिशा और इक्कीसवीं सदी में ले जाने के लिए रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी ‘केजीबी’ के कुछ पूर्व अधिकारियों को ख़ुद चुना था. उन्हीं में से एक थे व्लादिमीर पुतिन.


पुतिन और राष्ट्रपति बोरिस येल्तिसन के बीच की कड़ी की भूमिका निभाई थी पेशे से पूर्व पत्रकार वेलेन्टिन युमाशेव ने, जो बोरिस येल्तसिन के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक थे.


अगस्त 1999 में बोरिस येल्तसिन ने व्लादिमीर पुतिन को प्रधानमंत्री नियुक्त किया. येल्तसिन के पद छोड़ने में अभी एक साल बाक़ी था. लेकिन दिसंबर 1999 में उन्होंने अचानक पद त्याग करने की घोषणा कर दी. इसके बाद व्लादिमीर पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति बने और तीन महीने बाद उन्होंने चुनाव जीता. हालांकि साल 2000 में उन्‍होंने राष्‍ट्रपति का चुनाव भी जीता. साल 2004 में उन्‍होंने दूसरी बार राष्‍ट्रपति का कार्यकाल संभाला. साल 2008 में दमित्री मेदवेदेव राष्‍ट्रपति बने और पुतिन पीएम. 2012 में पुतिन फिर रूस के राष्ट्रपति बने. फिर साल बीतते गये.. पिछले 20 साल से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के रूप में पुतिन सत्ता में बने रहे हैं.


पुतिन ने खुले तौर पर तीन सदी पहले रूसी साम्राज्य के ज़ार रहे पीटर द ग्रेट के विस्तारवादी युद्धों की तुलना यूक्रेन पर रूस के हमले से की. एक तरह से पुतिन ने अब तक के सबसे मज़बूत शब्दों में ये माना है कि उनका अपना युद्ध भी ज़मीन पर क़ब्ज़े के लिए ही है. राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय जानकारों का मानना है कि पुतिन की विस्तारवादी महत्वाकांक्षाएं ही पुतिन सरकार के दो सैन्य दख्ल के आधार हैं- 2014 में यूक्रेन और 2015 में सीरिया.


पुतिन एक ऐसे नेता हैं जो सेना के नेतृत्व के करीब हैं और चर्च के भी, जो कि देश पर नैतिक दबदबा रखता है. वहीँ दूसरी ओर पुतिन ने कट्टर चर्च के प्रोत्साहन पर कई पाबंदियां लगाईं. समलैंगिक "प्रॉपेगैंडा" का प्रसार करने वाले समूहों पर प्रतिबंध लगा दिए गए, जिसका समर्थन चर्च ने किया था.


पुतिन खुद और रूस के लोग भी चाहते हैं कि उनका नेता कोई ऐसा हो जो पश्चिमी देशों के हाथों की कठपुतली ना हो. एक वक़्त ऐसा भी था जब रूस के लिए कहा जाता था कि यह एक 'बड़ा पेट्रोल पंप' है और कुछ नहीं. पुतिन ने रूस की स्थिति को मज़बूत बनाया है, ऐसे में उनकी लोकप्रियता से इनक़ार नहीं किया जा सकता. रूसी मीडिया के मुताबिक पुतिन की लोकप्रियता ऐसी है, जो पश्चिमी नेताओं के लिए सिर्फ़ सपना हो सकता है.