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समलैंगिक युगल अपनी मर्जी से रहने के लिए स्वतंत्र, उन्हें धमकाया नहीं जाए: दिल्ली हाईकोर्ट

अदालत का यह आदेश तब आया जब एक महिला ने अदालत से कहा कि वह अपने परिवार में लौटना नहीं चाहती है और वह अपनी पार्टनर के साथ रहना चाहती है.

समलैंगिक युगल अपनी मर्जी से रहने के लिए स्वतंत्र, उन्हें धमकाया नहीं जाए: दिल्ली हाईकोर्ट

Saturday September 02, 2023 , 2 min Read

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 22 वर्षीय एक समलैंगिक स्त्री के परिवार के सदस्यों एवं रिश्तेदारों को उसे या उसकी पार्टनर को धमकी नहीं देने तथा उन पर दबाव नहीं बनाने का निर्देश देते हुए कहा है कि वे अपने हिसाब से अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र हैं. अदालत का यह आदेश तब आया जब महिला ने अदालत से कहा कि वह अपने परिवार में लौटना नहीं चाहती है और वह अपनी पार्टनर के साथ रहना चाहती है.

पीटीआई-भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा कि महिला बालिग है और उसे उसकी मर्जी के विरुद्ध कहीं जाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी भी पक्ष ने उसके आदेश का उल्लंघन किया तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि यह अदालत स्पष्ट करती है कि माता-पिता, रिश्तेदार या उनके सहयोगी उन दोनों को प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी भी रूप से धमकी नहीं देंगे और न ही उन पर कोई अनुचित दबाव डालेंगे क्योंकि दोनों अपनी मर्जी से समाज में जीवन जीने के लिए स्वतंत्र हैं.

अदालत महिला की पार्टनर की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही है. उसकी पार्टनर ने दावा किया था कि उसकी साथी महिला ‘गायब' है तथा उसे उसके परिवार वाले कथित रूप से ले गये क्योंकि वे उनके रिश्ते के खिलाफ हैं.

सुनवाई की पिछली तारीख पर महिला को अदालत में पेश किया गया था और अदालत ने पुलिस को उसे आश्रय गृह में ले जाने तथा उसके वहां रहने के लिए जरूरी प्रबंध करने का निर्देश दिया था.

उनतीस अगस्त को पीठ ने कहा, “हम पाते हैं कि महिला 22 साल की है और कानून के अनुसार उसे उसकी मर्जी के विरुद्ध कहीं जाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. हमारा मत है कि महिला जिस किसी के साथ, जहां कहीं भी रहना चाहे, वह रहने के लिए स्वतंत्र है.”


Edited by रविकांत पारीक