वैज्ञानिकों ने ग्रेटा थनबर्ग के नाम पर रखा घोंघे की नई प्रजाति का नाम
वैज्ञानिकों ने घोंघा की एक नई प्रजाति की खोज की है और उसका नाम पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के सम्मान में उनके नाम पर रखा है।
वैज्ञानिकों ने जमीन पर रहने वाले स्नेल/घोंघा की एक नई प्रजाति की खोज की है और जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों के लिए स्वीडिश कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के सम्मान में इस प्रजाति का नाम क्रैस्पेडोट्रोपिस ग्रेटा थुनबर्ग रखा है।
बायोडायवर्सिटी डेटा जर्नल में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार नई खोजी गई प्रजाति तथाकथित कैगनोगैस्ट्रोपोड्स से संबंधित है। यह भूमि घोंघे का एक समूह है जो सूखे, चरम तापमान और वन क्षरण के प्रति संवेदनशील होने के लिए जाना जाता है।
नीदरलैंड में नेचुरल बायोडायवर्सिटी सेंटर के इकोलॉजिस्ट मेनो शिल्थुइज़न समेत तमाम वैज्ञानिकों ने बताया है कि ये घोंघे ब्रुनेई जहां पाए गए हैं, वह जगह कुआलाल बेलांग फील्ड स्टडीज़ सेंटर में अनुसंधान क्षेत्र स्टेशन के बहुत करीब है।
डेक्कन हेराल्ड में छपी ख़बर के अनुसार उन्होने यह भी बताया है कि घोंघे एक पहाड़ी नदी के किनारे पहाड़ी की ढलान पर खोजे गए थे। ये रात के समय पौधों के हरे पत्तों पर रह रहे थे।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रजाति का नाम वे ग्रेटा के नाम पर इस लिए रख रहे हैं क्योंकि वह उन समस्याओं के खिलाफ आवाज उठा रही हैं, जो उन्होने उत्पन्न नहीं की हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि उनका यह प्रयास अन्य युवाओं को ग्रेटा का सहयोग करने के लिए प्रेरित करेगा।
शोधकर्ताओं के अनुसार उन्होने नामकरण से पहले ग्रेटा से अनुमति भी मांगी थी और ग्रेटा ने इस संबंध में खुशी जताते हुए इसे अपने लिए सम्मान की बात बताया था।
साल 2003 में स्टॉकहोम में जन्मीं ग्रेटा पर्यावरण एक्टिविस्ट हैं और वे क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग जैसे मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी बात रखती हैं। गौरतलब है कि ग्रेटा कि माँ मालेना एमान एक प्रशिद्ध ओपेरा सिंगर हैं और पिता स्वांते थनबर्ग अभिनय की दुनिया में सक्रिय हैं। ग्रेटा 15 साल की उम्र से लगातार पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी आवाज़ उठा रही हैं।