सेबी ने रेटिंग एजेंसियों से मांगी अडानी ग्रुप के कर्जों की जानकारी, क्या गौतम अडानी की बढ़ेंगी मुश्किलें?
भारतीय पूंजी बाजार नियामक ने रेटिंग कंपनियों से जानकारी साझा करने के लिए कहा, जिसमें सभी बकाया रेटिंग, आउटलुक और बिजनेस ग्रुप के अधिकारियों के साथ किसी भी चर्चा से संभावित अपडेट शामिल होंगे.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद विवादों और संकट में घिरे अडानी ग्रुप की मुश्किलें अब और बढ़ने जा रही हैं. पिछले हफ्ते मामले की जांच की घोषणा के बाद अब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने क्रेडिट रेटिंग कंपनियों से अडानी समूह की कंपनियों के स्थानीय कर्जों और सिक्योरिटीज की सभी रेटिंग की जानकारी मांगी है. इकोनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी.
भारतीय पूंजी बाजार नियामक ने रेटिंग कंपनियों से जानकारी साझा करने के लिए कहा, जिसमें सभी बकाया रेटिंग, आउटलुक और बिजनेस ग्रुप के अधिकारियों के साथ किसी भी चर्चा से संभावित अपडेट शामिल होंगे.
मामले की जानकारी रखने वाले एक सोर्स ने कहा, "सेबी शायद यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या अडानी की कई कंपनियों के शेयर की कीमतों में तेज गिरावट का लिक्विडिटी की स्थिति और उधार लेने वाली कंपनियों की ऋण चुकाने क्षमता पर कोई असर पड़ेगा. हालांकि, इनमें से अधिकांश जानकारी सार्वजनिक डोमेन में है.
बता दें कि, हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप की 10 लिस्टेड कंपनियों के शेयरों की कीमतों में 21.7 फीसदी से लेकर 77.47 फीसदी की गिरावट आई है. इसमें अडानी टोटल गैस की कीमत सबसे अधिक गिरी है जबकि उसके बाद अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी ट्रांसमिशन का नंबर आता है. हालांकि, देश की किसी भी रेटिंग एजेंसी ने अडानी की कंपनियों के लिए रेटिंग या आउटलुक में कोई बदलाव नहीं किया है.
बता दें कि, बीते 24 जनवरी को अमेरिकी अमेरिकी रिसर्च फर्म और शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने ‘अडानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड थर्ड रिचेस्ट मैन इज पुलिंग द लारजेस्ट कॉन इन कॉरपोरेट हिस्ट्री' नामक रिपोर्ट में दावा किया है कि अडानी परिवार द्वारा टैक्स हैवन देशों में नियंत्रित की जा रही ऑफशोर कंपनियों के माध्यम से भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम दिया जा रहा है. इसके साथ ही, ये शेल कंपनियां अडानी ग्रुप के शेयर के दाम बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं.
हालांकि, अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को ‘‘भारत, उसकी संस्थाओं और विकास की गाथा पर सुनियोजित हमला’’ बताते हुए रविवार को कहा कि आरोप ‘‘झूठ के सिवाय कुछ नहीं’’ हैं.
अब तक, केवल S&P और मूडीज जैसी अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट एजेंसियों ने कुछ अडानी कंपनियों के आउटलुक को 'स्थिर' से 'नकारात्मक' में बदल दिया है. इसका मुख्य कारण संबंधित कंपनियों के बाजार मूल्य में तेजी से गिरावट आना माना जा रहा है. स्थानीय एजेंसियों का मानना है कि ग्रुप अपने कुछ पूंजीगत व्यय की समीक्षा कर सकता है.
Edited by Vishal Jaiswal