मंदिर में महिलाओं को मिलेगी सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग, ये सरकार कर रही है तैयारी
आमतौर पर देश में मंदिरों को पुजा-पाठ, ज्ञान और अध्यात्म के साथ जोड़कर देखा जाता है, लेकिन अब मंदिरों के प्रांगण को बड़े ही खास मकसद के लिए इस्तेमाल किए जाने की तैयारी की जा रही है।
देश में महिलाओं पर रोजाना हो रहे अत्याचार की खबरें हम तक पहुँचती रहती हैं और इन आंकड़ों में कोई कमी नज़र नहीं आ रही है, ऐसे में इसका सबसे बड़ा समाधान यही सामने आता है कि महिलाएं स्वयं ही अपनी रक्षा के लिए तैयार रहें और इसके लिए उन्हे शारीरिक रूप से और युद्ध व बचाव के कौशल में भी दक्ष होने की जरूरत है।
आमतौर पर देश में मंदिरों को पुजा-पाठ, ज्ञान और अध्यात्म के साथ जोड़कर देखा जाता है, लेकिन अब मंदिरों के प्रांगण को बड़े ही खास मकसद के लिए इस्तेमाल किए जाने की तैयारी की जा रही है।
ग्रामीण कर्नाटक क्षेत्र में एक पुरानी प्रथा के तहत कुछ ऐसा किया जा रहा है जिसे महिलाओं को सशक्त करने के उद्देश्य से बड़े स्तर पर पूरे देश में लागू करने की आवश्यकता है। iइसके तहत अब जल्द ही मंदिर प्रांगण के भीतर लड़कियां और महिलाएं सेल्फ डिफेंस के गुर सीखती हुईं नज़र आएँगी।
कर्नाटक राज्य धर्मिका परिषद के सदस्य 9 अप्रैल को बेंगलुरु में एक अहम बैठक करने जा रहे हैं, जहां वे राज्य सरकार को यह सुझाव देंगे कि मंदिरों के प्रांगण का इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं और लड़कियों को कर्राटे, सेल्फ डिफेंस और संगीत की शिक्षा देने के लिए किया जाए।
आय के अनुसार विभाजित हैं मंदिर
गौरतलब है कि कर्नाटक राज्य भर में करीब 34 हज़ार से अधिक मंदिरों का संचालन निधि विभाग द्वारा किया जा रहा है, इनमें से 175 मंदिरों को क्लास ए के तहत वर्गीकृत किया गया है। क्लास ए के तहत आने वाले मंदिरों की वार्षिक आय को 25 लाख रुपये से अधिक माना जाता है।
इसी के साथ राज्य में क्लास बी के तहत 158 मंदिर आते हैं, जिनकी वार्षिक आय 5 लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच है। इसके बाद सभी मंदिर क्लास सी के तहत आते हैं, जिनकी वार्षिक आय 5 लाख रुपये से कम है।
सरकार तैयार कर रही है खाका
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संबन्धित मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी के अनुसार इस तरह के कार्यक्रमों को पहले ही शुरू किया जाना था, लेकिन लॉकडाउन के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका, हालांकि अब एक बार फिर से यह प्रस्ताव सरकार के पास है और इस बार सरकार इसपर कदम उठाने का मन बना रही है।
मंत्री के अनुसार वह इसके लिए अभी मुख्यमंत्री से बात कर रहे हैं और इसके बाद इस संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। संबन्धित अधिकारियों के अनुसार इस प्रोग्राम को सबसे पहले उन मंदिरों में शुरू किया जाएगा जिन मंदिरों की आय बेहतर है।
NGO करेंगे सहयोग
राज्य सरकार इसे पूरा करने के लिए उन एनजीओ का भी सहयोग लेगी जो इस दिशा में सीधे तौर पर काम कर रहे हैं। प्रस्ताव के तहत मंदिर प्रांगण में महिलाओं के लिए इन खास क्लास का आयोजन शाम को किया जाएगा। शाम को क्लास आयोजन करने से लड़कियों के स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई भी प्रभावित नहीं होगी।
गौरतलब है कि महिलाओं के सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए इसके पहले कई बार कराटे जैसे कौशल को सीधे तौर पर पढ़ाई के कोर्स में शामिल करने को लेकर भी सुझाव सामने आ चुके हैं।