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'सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन' ने की 1.30 लाख बहुओं को न्याय दिलाने की पहल

'सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन' ने की 1.30 लाख बहुओं को न्याय दिलाने की पहल

Thursday December 26, 2019 , 4 min Read

देश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध से सहमीं हरियाणा की 1.30 लाख परदेसी बहुओं को जिंद के 'सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन' ने न्याय दिलाने की पहल की है। पीएम नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, सचिन तेंदूलकर, फौगाट बहनें, पीवी सिंधू, साइना नेहवाल आदि भी इस फाउंडेशन के अभियान की सराहना कर चुके हैं।


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ऐप लांच करते तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी



एक ओर देश में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध हो रहा है, ऐसे समय में 'सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन' के एक ताज़ा सर्वे में बताया गया है कि हरियाणा में दूसरे प्रदेशों से लाई गईं बहुओं के लगभग 1.30 लाख परिवार हैं, जिनमें 90 फीसदी खरीद-फ़रोख्त कर लाई गई हैं।


फाउंडेशन के जुलाई 2017 से जुलाई 2019 तक दिल्ली, पंजाब, हरियाणा के विश्वविद्यालयों के छात्रों द्वारा करवाए गए सर्वे में बताया गया है कि ये महिलाएं संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा की विभिन्मता के बावजूद हरियाणा के लाखों परिवारों को रोशन कर रही हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान चला कर बेटियों को कोख में मारने का कलंक धोने में जुटे हरियाणा की यह ताज़ा कड़वी सच्चाई है कि इस समय नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन को लेकर इन महिलाओं की नींद उड़ी हुई है। 


वैसे तो हरियाणा में लड़कियों की संख्या पर हमेशा से ही सवाल खड़े होते आए हैं, कन्या भ्रूण हत्या के कारण हरियाणा में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले काफी कम है, खुद सरकार राज्य में बेटियों की संख्या बढ़ाने, समान अधिकार दिलाने के कई तरह के अभियान चला चुकी है लेकिन जिंद में ब्याही असम की शबीना इसलिए परेशान है कि उसने सुना है कि जन्मतिथि, जन्म स्थान, माता-पिता से जुड़े सबूत दिखाने होंगे। उसके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है। वह अब असम लौटना भी नहीं चाहती हैं।


वह कहती हैं, बुरे वक्त के बाद अब वह जिंद में अपने परिवार के बीच खुशी से रह रही हैं। ऐसी ही दास्तान अपने पति, तीन बच्चों के साथ रह रहीं प.बंगाल मूल रुकसाना की है। माता-पिता ने रुकसाना को पैसों के लिए बेच दिया था। ऐसी आपबीती जींद की संतरा देवी, औकी, नीतू आदि की है।





'सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन' ने इस समय ऐसी बहुओं को सम्मान दिलाने के लिए 'परदेसी बहू, म्हारी शान' अभियान शुरू किया है। दीपा ढुल सेल्फ़ी विद डॉटर फ़ाऊंडेशन की डॉयरेक्टर हैं।


फाउंडेशन के संस्थापक एवं गांव बीबीपुर के पूर्व सरपंच सुनील जागलान बताते हैं,

हरियाणा में गुरुग्राम और रेवाड़ी क्षेत्रों से शुरू हुई अन्य प्रदेशों से बहुएं लाने की परंपरा आज भी जारी है। इन्हें हरियाणा के गांवों में 'मोल की बहू' कहा जाता है। अब तो प्रदेश के रोहतक, जींद, सोनीपत, हिसार, कैथल, झज्जर, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र में भी हजारों 'मोल की बहुएं' खुशहाल जिंदगी जी रही हैं।


फाउंडेशन ने सोशल मीडिया पर 'मिशन पॉसिबल' अभियान चला कर इन बहुओं के बारे में हरियाणा के हर जिले से ऐसे ब्योरे जुटाए हैं। पहले ये सिर्फ बंगाल से लाई जाती थीं लेकिन अब बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड आदि राज्यों से भी लाई जाने लगी हैं।


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सुनील जागलान अपनी बेटियों के साथ

फोटो साभार: सोशल मीडिया

सुनील जागलान बताते हैं कि 'सेल्फी विद डॉटर' फाउंडेशन ने चार साल पूरे होने पर 10 जून 2019 से 16 जून तक देश भर में बेटियों के साथ सेल्फी अपलोड करने का आह्वान किया था। बेस्ट सेल्फी विद डॉटर के चयन के लिए पांच सदस्यीय ज्यूरी बनाई गई, जिसने मेघालय, पंजाब और हरियाणा के मेवात क्षेत्र से तीन बेस्ट सेल्फी विद डॉटर का सलेक्शन किया।


इसी साल जून में 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान में देश भर की 27 हजार से ज्यादा प्रविष्टियों में से प्रथम तीन में चयनित होने पर मेवात से दाऊद और उनकी लाडो महरूनिशा, मेघालय से हितेश और उनकी लाडो यादवी, पंजाब से नवजोत और उनकी लाडो सुमेल को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने दिल्ली स्थित आवास पर सम्मानित किया था।


इससे पूर्व प्रणब मुखर्जी ने 9 जून 2017 को अपनी बेटी शर्मिष्ठा के साथ सेल्फी अपलोड कर राष्ट्रपति भवन में 'सेल्फी विद डॉटर एप' लांच किया था। इसी के साथ, ऑनलाइन म्यूजियम शुरू किया गया, जिसमें अब तक 23 हजार सेल्फी अपलोड हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 'मन की बात' के अलावा अपनी लंदन और अमेरिका यात्राओं के दौरान 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान की तारीफ कर चुके हैं।


प्रणब मुखर्जी के अलावा फौगाट बहनें, बैडमिंटन स्टॉर पीवी सिंधू, साइना नेहवाल, क्रिकेटर सचिन तेंदूलकर आदि भी 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान से जुड़े हैं। सुनील जागलान की मांग है कि हरियाणवी 'मोल की बहुओं' का पंजीकरण कर इनको आधार कार्ड से जोड़ा जाए।


हरियाणा महिला आयोग का कहना है कि दूसरे राज्यों से लाई गईं महिलाएं आधार कार्ड, बैंक अकाउंट आदि की आईडी दिखाकर अपनी नागरिकता पुख्ता कर सकती हैं। ऐसी महिलाओं को कानूनी मदद भी दी जाएगी।