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बुजुर्गों को टेक्नोलॉजी से रूबरू करा रहा है स्टार्टअप एम्पॉवरजी

बुजुर्गों को टेक्नोलॉजी से रूबरू करा रहा है स्टार्टअप एम्पॉवरजी

Monday June 17, 2019 , 6 min Read

Aparna Thakker - Founder of Empowerji

Empowerji की फाउंडर अपर्णा ठक्कर्



अक्सर हम में से कितने लोग अपने माता-पिता को टेक्नोलॉजी के बारे में बता-बता कर थक जाते हैं लेकिन हम उन्हें समझा नहीं पाते? हम अक्सर टेक्नोलॉजी टूल्स के बारे में बताते हुए ऊब या थक जाते हैं लेकिन सोचिए कि अगर उन्हें टेक्नोलॉजी का अच्छा ज्ञान होगा तो उनका जीवन थोड़ा आसान बना सकता है। अक्सर हम उन्हें नेट बैंकिंग और यूपीआई, फेसबुक खोलने और स्नैपचैट अकाउंट खोलने और स्पैम से निपटने की पेचीदगियों से जूझने के लिए छोड़ देते हैं। 


यह भले ही आपको दिलचस्प लग सकता है, लेकिन यह नहीं है। हर दिन हम सुनते हैं कि सीनियर सिटीजन्स को सिर्फ इसलिए ठग लिया जाता है क्योंकि वे टेक्नोलॉजी के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते थे। उन्हें नहीं पता होता है कि टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है। ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें उन्होंने बिना किसी नतीजे की परवाह किए अपने ओटीपी और पासवर्ड को स्कैमर को दे दिए। 


लेकिन अब सीनियर सिटीजन्स को आधुनिक जीवन के टेक्नोलॉजी पहलुओं के बारे में सीखने को मिल रहा है। अपर्णा ठक्कर द्वारा स्थापित मुंबई स्थित एक स्टार्टअप एम्पॉवरजी (Empowerji) सीनियर सिटीजन्स को टेक्नोलॉजी सीखने में मदद कर रहा है।


अपर्णा बताती हैं, “एम्पॉवर जी मुख्य रूप से मेरे करीबी लोगों के फर्स्ट-हैंड अनुभवों से प्रेरित हैं। टेक्नोलॉजी जो सुविधा लाती है वह निर्विवाद है, लेकिन मैंने देखा कि वरिष्ठ नागरिक इसका उपयोग करने से कतराते हैं। एप्लिकेशन, साइट्स और उपकरणों का उपयोग स्वाभाविक रूप से नहीं होता है। मेरे जैसे व्यस्त बच्चों के पास अपने माता-पिता को धैर्यपूर्वक पढ़ाने का समय नहीं है। इसीलिए, ऐसी समस्याओं के हल के लिए आसान टेक्नोलॉजीी विकल्प हैं, लेकिन वरिष्ठ लोग पुराने, थकाऊ तरीके से काम करना जारी रखते हैं। मैंने सोचा कि यदि वरिष्ठों के लिए कोई प्रौद्योगिकी को सरल बना सकता है तो उनके लिए इसे अपने जीवन में अपनाने में कठिनाई नहीं होनी चाहिए।”


वे आगे कहती हैं, "यही कारण है कि मैंने एम्पॉवरजी की स्थापना की, जिसका शाब्दिक अर्थ है कि हमारे जीवन में जी (आंटी जी और अंकल जी के) को सशक्त बनाना। एम्पॉवर जी का उद्देश्य वरिष्ठों और टेक्नोलॉजी के बीच की खाई को पाटना है ताकि वे अधिक खुशहाल, स्वतंत्र जीवन जी सकें।


मददगार हाथ

अधिकांश लोगों की तरह, अपर्णा का उद्यमिता मार्ग, कॉर्पोरेट क्षेत्र में एक पड़ाव के साथ शुरू हुआ। इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में अपनी स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद, दूरसंचार में मास्टर डिग्री और फिर एमबीए किया जिसके बाद उन्होंने एक दूरसंचार बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ काम किया। बाद में उन्होंने एजुकेशन टेक्नोलॉजी में अपना पहला स्टार्टअप शुरू करने के लिए नौकरी छोड़ दी। यह स्टार्अअप मुख्य रूप से छात्रों और शिक्षा संस्थानों के साथ डील करता है। एम्पॉवरजी स्वतंत्र रूप से टेक्नोलॉजी सीखने में वरिष्ठों की मदद करता है। टीम के टार्गेट ऑडियंस 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग हैं। अपर्णा के अनुसार, यह समूह भारत की आबादी का 150 मिलियन से अधिक है। 




empowerji

एंपावरजी के सत्र में बुजुर्ग




वह बताती हैं: “हम मुंबई में बुनियादी टेक्नोलॉजी वर्कशॉप और कस्टमाइज वर्कशॉप करते हैं। हमारी वर्कशॉप हाथों-हाथ तुरंत होती हैं। जब कोई प्रशिक्षक किसी ऐप या साइट को एक्सप्लेन करता है तो ऑडियंस में मौजूद हमारी टीम के सदस्य यह सुनिश्चित करते हैं कि हर वरिष्ठ नागरिक अपने स्मार्टफोन में इसे आजमा रहा हो। तो यह एक तरह से कोई लेक्चर नहीं है; यह एक संवादात्मक सत्र है जहाँ केवल सीखना होता है। हमने हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती और मराठी जैसी कई भाषाओं में सीखने की सामग्री का एक पुस्तकालय भी बनाया है, जो हमारे नए शिक्षण ऐप के माध्यम से उपलब्ध है। अन्य एप्लिकेशन का उपयोग करना सीखने के लिए हमने कुछ सरल वीडियो भी तैयार किए हैं। हमारा ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म हर रोज ऐप और वेबसाइटों पर लाइव इंस्ट्रक्टर-बेस्ड लर्निंग सेशन आयोजित करता है।”


एम्पॉवरजी तेलुगु, तमिल और कन्नड़ में 'बेसिक टेक्नोलॉजी फॉर सीनियर्स’नामक एक सीखने की सीरीज भी जारी कर रहे हैं, जो उन माता-पिता के लिए तैयार की गई है जिनके बच्चे विदेश में रहते हैं। चूंकि ये माता-पिता अपने बच्चों से दूर रहते हैं, इसलिए वे टेक्नोलॉजी मदद के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं।





ऑनलाइन सुरक्षित रहें

सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र जिस पर एम्पॉवरजी काम करता है, वह है साइबर स्पेस। वे कहती हैं, “एक वर्कशॉप में, हम फिशिंग अटैक (phishing attacks) पर चर्चा कर रहे तभी हमारे एक सहभागी ने हमें बताया कि उन्हें पहले से ही अप्रूव्ड क्रेडिट कार्ड मिलते रहते हैं, जिन्हें वह लेना तो चाहता है लेकिन, अप्लाई करना भूल जाता है। हमने उन्हें सूचित किया कि यह एक स्टैंडर्ड फिशिंग स्ट्रेटजी है और इसे अनदेखा किया जाना चाहिए। हमें उन वरिष्ठों से बहुत सारे 'धन्यवाद' संदेश मिले हैं जो वास्तव में सोचते हैं कि हमने उनके जीवन में सकारात्मक योगदान दिया है। हाल ही में एक ऑनलाइन पाठ में, उपस्थित लोगों में से एक बहुत खुश था क्योंकि उसने नियमित रूप से व्हाट्सएप का उपयोग करना शुरू कर दिया था, लेकिन यह कभी नहीं जानता था कि लोकेशन कैसे भेजनी है और चैट में ऑटोमैटिक मीडिया डाउनलोड कैसे रोकना है।"


एम्पॉवरजी की बुनियादी कार्यशालाएँ, जिन्हें 'स्टे कनेक्टेड' कहा जाता है, वे सीनियर सिटीजन्स के लिए मुफ्त हैं। अन्य कस्टमाइज्ड कार्यशालाओं के लिए चार्ज लेते हैं। ऐप को एक मुफ्त संसाधन के रूप में लॉन्च किया गया था, लेकिन इसे मोनेटाइज करने की योजना है। दर्शकों को ध्यान में रखते हुए, कंपनी ने जानबूझकर सामान्य सत्रों के लिए कम कीमत रखी है। स्टार्टअप ने अब तक मुंबई में 80 हैंड-ऑन वर्कशॉप आयोजित किए हैं।


अपर्णा की मानें तो सीनियर सिटीजन्स तक पहुंचना एक चुनौती है। वे कहती हैं, “चूंकि वे सभी ऑनलाइन नहीं हैं, जबकि हमारे कैंपेन ऑनलाइन और ऑफलाइन का मिश्रण हैं। ऑनलाइन सीखना पुराने वयस्कों के लिए एक नई अवधारणा है, लेकिन यह आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है। वरिष्ठ लोग लोगों से आमने-सामने सीखना पसंद करते हैं, लेकिन अब उन्हें कंप्यूटर स्क्रीन पर सीखने की जरूरत है। इसके लिए मानसिकता में बदलाव की जरूरत है लेकिन मुझे उम्मीद है कि वे इसके आसपास आएंगे।”


स्टार्टअप की भविष्य की योजनाओं में सीमाओं से परे अपनी पहुंच का विस्तार करना और ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों के माध्यम से वरिष्ठों की मदद करना शामिल है।


अपर्णा कहती हैं, “सीनियर्स को प्रौद्योगिकी तक पहुंच प्राप्त करने में मदद करके, हम उन्हें उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए सशक्त बना सकते हैं। उपकरणों और सोशल मीडिया का उपयोग करना सीखकर वे प्रियजनों के संपर्क में रह सकते हैं, ऑनलाइन भुगतान सीखने से उन्हें बिलों का भुगतान करने में मदद मिल सकती है, कैब बुक करना सीखना उन्हें आराम से यात्रा करने में मदद कर सकता है। आज के समय में डिजिटल निर्भरता या 'फिटिंग-इन' न होने की भावना किसी के आत्मविश्वास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। जब एक वरिष्ठ स्वतंत्र रूप से अपनी जरूरतों का ख्याल रख सकता है तो उसे उपलब्धि का अहसास होता है। ये सकारात्मक भावनाएं जीवन में खुशहाल वर्ष जोड़ सकती हैं। इसलिए डिजिटल सशक्तीकरण वास्तव में एक वरदान है।”