सेंसेक्स में आई 1020 अंकों की भारी गिरावट, निवेशकों के 4.9 लाख करोड़ स्वाहा, ये 5 वजहें हैं जिम्मेदार
सेंसेक्स 1,020.80 अंक की गिरावट दर्ज करते हुए 58,098.92 अंक पर बंद हुआ. निफ्टी 302.45 अंक की गिरावट के साथ 17,327.35 अंक पर बंद हुआ. एक दिन में ही निवेशकों को करीब 4.9 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
वैश्विक बाजारों में नरमी के रुख के बीच भारत में शेयर बाजार लगातार तीसरे दिन गिरकर बंद हुआ. 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 1,020.80 अंक यानी 1.73% की गिरावट दर्ज करते हुए 58,098.92 अंक पर बंद हुआ. पूरे दिन के कारोबार में एक वक्त ऐसा भी आया जब सेंसेक्स 1,137.77 अंक तक गिर गया था. वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 302.45 अंक यानी 1.72 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,327.35 अंक पर बंद हुआ.
4.9 लाख करोड़ रुपये स्वाहा
हफ्ते के आखिरी दिन शुक्रवार को सेंसेक्स-निफ्टी करीब 1.5 फीसदी तक गिरे. इस भारी गिरावट की वजह से बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप करीब 4.9 लाख करोड़ रुपये फिसल गया और 276.6 लाख करोड़ रुपये पर आ गया. निवेशकों को इस गिरावट से बहुत नुकसान हुआ है.
किन शेयरों में हुई सबसे ज्यादा हलचल?
अगर बात सेंसेक्स के शेयरों की करें तो पावरग्रिड के शेयर में सबसे ज्यादा 7.93 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. इसके अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारतीय स्टेट बैंक, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, एनटीपीसी, एचडीएफसी और इंडसइंड बैंक के शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली. वहीं दूसरी तरफ सिर्फ सन फार्मा, टाटा स्टील और आईटीसी के शेयर ही बढ़त के साथ बंद हुए.
दुनिया के बाजारों का क्या रहा हाल?
अगर बात दुनिया के बाजारों की करें तो दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और जापान का निक्की नुकसान के साथ बंद हुए. वहीं चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग भी नुकसान में रहा. बात अगर यूरोपीय शेयर बाजारों की करें तो वहां शुरू में कारोबार में गिरावट देखी गई. इसके अलावा अमेरिकी बाजार में गुरुवार को गिरावट रही थी.
कच्चे तेल का भाव भी गिरा
शेयर बाजार में मचे घमासान के बीच अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.87 प्रतिशत गिरकर 88.77 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. गुरुवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुद्ध रूप से 2,509.55 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं.
इन वजहों से गिरा शेयर बाजार
1- फेडरल रिजर्व ने बढ़ाई दरें: शेयर बाजार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह है अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी. महंगाई को काबू में करने के लिए अमेरिका के पास ब्याज दरें बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
2- रुपये पर दबाव: फेडरल रिजर्व के फैसले से रुपया दबाव में है. विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर के लगातार मजबूत बने रहने और निवेशकों के बीच जोखिम से दूर रहने की प्रवृत्ति हावी रहने से शुक्रवार को रुपया 19 पैसे गिरकर 80.98 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ.
3- एफआईआई की बिकवाली: फेडरल रिजर्व की तरफ से दरें बढ़ाने के चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकालेंगे और अमेरिका में निवेश कर सकते हैं. पिछले महीने विदेशी निवेशकों ने करीब 51 हजार करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे. इस महीने अब तक वह करीब 10,865 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं. सिर्फ गुरुवार को ही एफआईआई ने करीब 2500 करोड़ के शेयर बेचे हैं.
4- रिजर्व बैंक बढ़ा सकता है दरें: जब से फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला सामने आया है, तब से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब भारतीय रिजर्व बैंक भी ब्याज दरें बढ़ा सकता है. उम्मीद की जा रही है इस बार भी रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है.
5- ग्लोबल मार्केट की कमजोरी: अगर ग्लोबल मार्केट में कमजोरी आती है, तो उसका सीधा असर भारत के शेयर बाजार पर पड़ता है. डाऊ जोन्स में 0.4 फीसदी और नैसडैक में 1.4 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है. वहीं एशिया के बाजार लगातार तीसरे दिन दबाव में हैं. ऐसे में भारत के शेयर बाजार में कोहराम तो मचना ही था.